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Metro Speciality: कानपुर मेट्रो में दस विशेषताएं है ये खास, आप भी जानिए

Metro Features कानपुर मेट्रो ट्रेनें आधुनिक फायर और क्रैश सेफ्टी युक्त डिजाइन की गई हैं। प्रत्येक मेट्रो ट्रेन में 24 सीसीटीवी कैमरे होंगे, इससे घटना का बचाव करने में सहायता मिलेगी। आटोमेटिक ट्रेन आपरेशन के तहत ये ट्रेनें संचारित आधारित ट्रेन नियंत्रण प्रणाली से चलेंगी।

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Metro Speciality: कानपुर मेट्रो में दस विशेषताएं है ये खास, आप भी जानिए

Metro Speciality: कानपुर मेट्रो में दस विशेषताएं है ये खास, आप भी जानिए

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
कानपुर. कानपुर में मेट्रो सेवा शुरू (Kanpur Metro Service) करने के लिए बुधवार को ट्रायल रन (Metro Trial Run) का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुभारम्भ किया। उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन (UPMRC) के प्रबंध निदेशक कुमार केशव का कहना है कि कानपुर मेट्रो का काम लखनऊ से भी तेज हुआ है, जबकि मेट्रो कार्य के दौरान कोरोना का संक्रमण रहा। बावजूद समय से कार्य निपटाने के लक्ष्य को देखते हुए तेजी से कार्य किया गया। 15 नवंबर 2019 से निर्माण कार्य शुरू होकर आज दो वर्ष में ट्रायल रन शुरू होने जा रहा है। एमडी ने बताया कि कानपुर की मेट्रो में बहुत से प्रयोग ऐसे किए गए हैं, जो देश में प्रथम बार किए हैं।

कानपुर मेट्रो में होंगी ये दस विशेषताएं

कानपुर मेट्रो ट्रेनों में एक बार में 974 यात्री सफर कर सकेंगे। साथ ही ट्रेनों की रफ्तार 80-90 किमी प्रति घंटा तक होगी। कानपुर मेट्रो ट्रेनें आधुनिक फायर और क्रैश सेफ्टी युक्त डिजाइन की गई हैं। प्रत्येक मेट्रो ट्रेन में 24 सीसीटीवी कैमरे होंगे, इससे घटना का बचाव करने में सहायता मिलेगी। इनकी फुटेज ट्रेन आपरेटर और डिपो में बने सिक्योरिटी रूम में पहुंचेगी। प्रत्येक ट्रेन में 56 यूएसबी चार्जिंग प्वाइंट और 36 एलसीडी पैनल्स भी होंगे। मेट्रो ट्रेनों में टाक बैक बटन की सुविधा भी दी गई है, जिससे इमरजेंसी कंडीशन में यात्री ट्रेन आपरेटर से बात कर सकें।

आटोमेटिक ट्रेन (Automatic Metro Train) आपरेशन के तहत ये ट्रेनें संचारित आधारित ट्रेन नियंत्रण प्रणाली से चलेंगी। वायु प्रदूषण कम करने को ट्रेनों में मार्डन प्रापल्सन सिस्टम होगा। सभी ट्रेनों को रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम से लैस किया गया है, ताकि ब्रेक लगाए जाने से उत्सर्जित 45 फीसद ऊर्जा को फिर से इस्तेमाल किया जा सके। ट्रेनों में कार्बन-डाई-आक्साइड सेंसर आधारित एयर कंडीशनिंग सिस्टम भी दिया गया है, जो ट्रेन में मौजूद यात्रियों की संख्या के हिसाब से चलेगा और ऊर्जा की बचत करेगा। मेट्रो का बुनियादी ढांचा बेहतर और सुंदर दिखाई दे इसके लिए मेट्रो ट्रेनें तीसरी रेल से ऊर्जा प्राप्त करेंगी, ताकि इसमें खंभों और तारों के सेटअप की आवश्यकता न पड़े।