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इस राजा ने फिरंगियों को कर दिया था परास्त, अंग्रेज खाते थे खौफ फिर

locationकानपुरPublished: Aug 15, 2018 11:54:39 am

Submitted by:

Arvind Kumar Verma

गौर राजा दरियावचंद्र ने अपनी बहादुरी से पूरी अंग्रेजी फौज को गंगापार खदेड दिया। दहशतजदा अंग्रेज बौखला गये और घात लगाकर राजा को पकडकर फांसी पर लटका दिया।

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इस राजा ने फिरंगियों को कर दिया था परास्त, अंग्रेज खाते थे खौफ फिर

कानपुर देहात-आज आज़ादी का दिन है, लोग जश्नों में डूबे हैं। हर तरफ खुशियों का माहौल है।स्कूलों, सरकारी दफ्तरों व निजी संस्थानों में लोग हर्षोउल्लास कर मिष्ठान वितरण कर रहे हैं लेकिन उस ग़दर में शहादत को सुपर्द हुए उन वीर सपूतों की पीढ़ी गुजरने के बाद आज भी उनके घरों में सिसकारियां निकल जाती हैं। आज भी उन दरकती गुम्बदों व जर्जर ऊंची दीवारों को देख उनकी आंखों के सामने वह मंजर गुजर जाता है। शायद उन्होंने इस आज़ादी के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया था। फिर चाहे वो रियासत हो या कई जिंदगियां। ऐसी ही एक रियासत गौर राजा दरियावचंद्र की थी। जनपद के उत्तरी छोर पर नार कहिंजरी में स्थित वह ध्वस्त किला और उसकी चाहरदीवारी को छूती रिन्द नदी की लहरें आज भी उस बर्बरता की दास्तां कह जाती हैं।
राजा ने अंग्रेजों को गंगा पार खदेड़ दिया

ररसूलाबाद क्षेत्र में रिन्द नदी किनारे तक्षशिला के राजा नार ऋषिदेव ने इस किले का निर्माण कराया था। इसके बाद यहां नार कालिंजर नगर बसाया था। जिसे आज लोग नार कहिंजरी के नाम से जानते हैं। इस किले में गौर राजा अपनी रियासत के लोगों की समस्याओं का निराकरण करते थे। 1857 का दौर आया और जंग-ए-आज़ादी का ऐलान हो गया। रणबांकुरे घरों से निकलकर अंग्रेजों से मुकाबले में डट गए। दरियावचंद्र गौर वंशी थे, उन्होंने भी आज़ादी की जंग में शंखनाद कर दिया। इधर अंग्रेजी सेना उनकी रियासत को लूटने की फिराक में थी। राजा ने अपने इसी किले में बैठकर अंग्रेजों से लोहा लेने की रणनीति बनाई। फिर उन्होंने अपनी सेना के साथ बहादुरी के साथ अंग्रेजी फौज को गंगा पार तक खदेड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने तहसील का सरकारी खजाना लूट लिया था।
राजा के कौशल को देख अंग्रेज भयभीत हुए

गौर राजा दरियाव चंद्र के इस हमले के बाद अंग्रेजी अफसर दहशत में आ गए और अपनी हार को देख बुरी तरह बौखला गए। अब अंग्रेज अफसरों के लिए राजा एक निशाना बने हुए थे। अफसरों ने नए तरीके से रणनीति तैयार की और फिर घात लगाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उन्हें ले जाकर रसूलाबाद के धर्मगढ़ परिसर में खड़े नीम के पेड़ से लटका कर फांसी पर लटका दिया। जिसके बाद अंग्रेजी फौज ने उनके किले पर हमला बोला दिया। किले की ऊंची व मोटी दीवारें ढहाने में सेना लगी रही लेकिन पूरी तरह किले को ध्वस्त नहीं कर सके। धीरे धीरे समय गुजरता गया और उनकी रियासत जमींदार पहलवान सिंह को सौंप दी गयी।
शहीद हुए थे सैंकड़ों क्रांतिकारी

राजा की गिरफ्तारी के लिए षणयंत्र बनाने के बाद अंग्रेजी सेना जब राजा की गिरफ्तारी के लिए पहुंची तो भयावह जंग छिड़ गई, जमकर युद्ध हुआ। जेहन में आज़ादी का जुनून पाले आक्रोशित क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी सेना को लगभग परास्त कर ही दिया था कि तभी धोखेबाज गोरों ने अपनी फितरती चाल से राजा को गिरफ्तार कर लिया गया। लंबी चले इस रण में बड़ी तादाद में देश के वीर सपूत शहीद हुए थे। आज उन दरकते पत्थरों में जंग की वो इबारत लिखी हुई है।

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