तीन साल की जाॅब
शास्त्री नगर के रहने वाले शिवांश शुरू से ही मेधावी रहे हैं। हाईस्कूल में 95 व इंटर में 92 फीसदी अंक हासिल करने वाले शिवांश ने आईआईटी जेईई में भी पहले ही प्रयास में नेशनल लेवल पर 1765वीं रैंक पाई थी। आईआईटी कानपुर से साल 2014 में एयरो स्पेस से बीटेक करने के बाद बाद उनका कैंपस सेलेक्शन जापान की मल्टीनेशनल कंपनी मित्सबुशी में हो गया। कंपनी ने उन्हें 40 लाख रुपए का पैकेज ऑफर किया। तीन साल तक जापान में जॉब करने के बाद देश के लिए कुछ करने की इच्छा लेकर शिवांश कानपुर वापस आ गए और सिविल परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी।
गरीब बुला रहे हैं सर
शिवांश बताते हैं कि जापान में पैसा था और अच्छी जिंदगी कट रही थी, पर पासपोर्ट वाली घटना हर वक्त हमें सोनें नहीं देती थी। इसी के चलते बाॅस को रिजाइन लेटर थमा दिया। बाॅस ने इसका कारण पूछा तो बताया कि सर गरीब बुला रहे हैं और अब बचा जीवन उनके उत्थान और भ्रष्टाचार के खात्में के लिए लगाना है। शिवांश बताते हैं हमें 14 मार्च को इंटरव्यू के दौरान भारत के चीन व जापान से रिश्तों पर एक्सपर्ट ने सवाल दागे और पूछा कि इतनी अच्छी जॉब छोड़कर आईएएस क्यों बनना चाहते हो, जिस पर हमने जवाब दिया कि देश के बेसिक एजूकेशन सिस्टम के अलावा सरकारी तंत्र को बेहतर करना चाहता हूं। रिजल्ट आया और हमारा सपना सकार हो गया।
माता-पिता का अहम रोल
शिवांश अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं। उन्होंने बताया कि जब वह पढ़ाई करते थे तो उनकी मां अपर्णा अवस्थी पूरी रात ठीक से सोती नहीं थी कि कहीं उन्हें किसी चीज की जरूरत न पड़ जाए। पिता हर जरूरत को पूरा करते थे। वो जर्नलिस्ट हैं और अक्सर घर से बाहर रहते हैं। उन्होंने अपने जीवन में कभी भ्रष्टाचार से समझौता नहीं किया। उनके इन्हीं वसूलों के हम दिवाने थे। बताते हैं, वह रोजाना न्यूज पेपर जरूर पढ़ते हैं इससे काफी हेल्प मिली। शिवांश स्टूडेंट्स को कोई खास टिप्स नहीं देना चाहते, उनके हिसाब से टाइम टेबल बनाकर पढ़ना और उसे स्ट्रिक्टली फॉलो करना जरूरी है।