
प्रतीकात्मक फोटो
Kanpur News : पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमन की बेटी विजया को कानपुर में विजया दीदी के नाम से जाना जाता है। यह पहचान उन्हें उनके त्याग ने दिलाई है। वह पिछले 58 साल से गरीब बच्चों को शिक्षा की रोशनी बांट रही हैं। वह भी बिल्कुल निःशुल्क। इतना ही नहीं, बुजुर्ग हो चुकी विजया दीदी बच्चों की पढ़ाई के साथ उनके रहने और खाने का खर्च भी स्वयं उठाती हैं। आइए बताते हैं कि विजया दीदी के यह करने के पीछे का कारण क्या है।
समाज के सबसे निचली पायदान पर बैठे मजदूरों के बच्चों को शिखर तक पहुंचाना कोई विजया दीदी से सीखे। पिछले 58 वर्षों से वह ईंट-भट्ठा पर काम करने वाले मजदूरों के बच्चों को शिक्षित कर रही हैं। न जाने कितने बच्चों को उन्होंने उच्च शिक्षा दिलाकर सम्मानजनक जीवन जीना सिखाया। परिवारों की दशा और दिशा बदल दी। बुजुर्ग हो चुकीं दीदी की हिम्मत और उनके जज्बे को आज भी कोई डिगा नहीं सकता है।
पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटनमन की बेटी हैं विजया दीदी
पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमन की बेटी विजया दीदी पहली बार 1965 में कानपुर आई थीं। उनके पति प्रोफेसर आर रामचंद्रन आईआईटी कानपुर में फिजिक्स के प्रोफेसर थे। आईआईटी के भी वे शुरुआती दिन थे। यहां बड़ी संख्या में मजदूर निर्माण में लगे हुए थे। वह चाहती थीं कि इन मजदूरों के बच्चे भी पढ़ें। उन्होंने प्रयासों से कैंपस में ऑरच्युनिटी स्कूल की स्थापना कराई।
अपना स्कूल खोला, दिखाई राह
विजया दीदी ने मजदूरों के बच्चों के लिए अपना स्कूल नाम से एक स्कूल शुरू कर दिया। यहां वह बच्चों को खिलाने पिलाने से लेकर पढ़ाने तक की जिम्मेदारी उठाने लगीं। तमाम लोगों ने उनके इस अच्छे काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया। मजदूरों के बच्चे सीजन ऑफ होते ही अपने मां-बाप के साथ विशेषकर बिहार चले जाते थे।
इससे निपटने के लिए उन्होंने पहले तो अपना स्कूल मोबाइल कर दिया। बाद में एक स्कूल बिहार में उस स्थान पर भी शुरू कर दिया जहां से ऐसे मजदूर ज्यादा आते थे।
अब तक 60 हजार से ज्यादा को दी शिक्षा
विजया दीदी अब तक करीब 60 हजार बच्चों को शिक्षित कर चुकी हैं। इनमें कई ऐसे हैं जो किसी मुकाम तक पहुंचने में सफल हुए हैं। इनको खान-पान, वस्त्रत्त् कंप्यूटर शिक्षा के अलावा संगीत, सिलाई आदि का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इसके लिए धन की व्यवस्था स्थानीय लोगों के सहयोग से वह खुद करती हैं।
बेटियों को बढ़ाने के लिए दिखता है गजब का जज्बा
उनके मुताबिक ईंट-भट्ठों पर महिलाओं की स्थिति में सुधार लक्ष्य है जिसमें वह सफल हो रही हैं। कई मजदूरों की बेटियां डिग्री कॉलेजों, पॉलीटेक्निक जैसे संस्थानों तक पहुंचने में सफल रही हैं। विजया दीदी कहती हैं "मजदूरों को न्यूनतम वेतन अब तक नहीं मिल रहा है। पानी से लेकर अन्य सुविधाएं भी प्रशासन से नहीं मिल पाती हैं। मजदूरों का पंजीकरण नहीं हो पा रहा है। हम चाहते हैं कुछ सुधार हो।"
Updated on:
01 May 2023 12:38 pm
Published on:
01 May 2023 12:37 pm
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