
Vikas Dubey Encounter spot
कानपुर. कानपुर में बहुचर्चित बिकरू कांड (Kanpur Bikru Case) के मास्टरमाइंड गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर (Vikas Dubey Encounter) के मामले में न्यायिक जांच आयोग ने पुलिस को क्लीन चिट दे दी है। आयोग को मुठभेड़ के फर्जी होने का कोई भी सुबूत नहीं मिले। साथ ही कानपुर के पनकी थाना क्षेत्र में ही प्रभात दुबे के साथ हुई पुलिस मुठभेड़ को भी आयोग ने जांच में सही माना है। हालांकि आयोग ने यह माना है कि विकास दुबे को स्थानीय पुलिस व राजस्व और प्रशासनिक अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त था। इसी के साथ ही आयोग ने पुलिस व्यवस्था में सुधार की सिफारिश की है।
तीन सदस्यीय आयोग का किया गया था गठन-
विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर लाते वक्त पुलिस की गाड़ी रास्ते में पलट गई थी। पुलिस का कहना था कि इसका फायदा उठाकर विकास दुबे हमला करते हुए भागने लगा। इस पर जवाबी फायरिंग में वह मारा गया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था। इसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज डॉ बीएस चौहान कर रहे थे। वहीं इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज शशिकांत अग्रवाल व यूपी के पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता थे आयोग के सदस्य थे। आयोग ने साक्ष्यों के आधार पर एनकाउंटर करने वाली पुलिस टीम को क्लीन चिट दे दी है।
किसी ने नहीं किया खंडन-
मामले की जांच के बाद आयोग का कहना है कि पुलिस के पक्ष में पेश किए गए सबूतों का न मीडिया और न ही जनता ने खंडन किया है। आयोग ने आगे कहा कि विकास दुबे की पत्नी ऋचा ने एनकाउंटर को फर्जी बताया था और एक एफिडेविट दिया था, लेकिन बाद में वह भी पेश नहीं हुईं। ऐसे में पुलिस पर शक करने का कोई आधार नहीं है। मजिस्ट्रेट जांच में भी यही निष्कर्ष निकलना है।
जिले के टॉप 10 अपराधियों में भी विकास का नाम नहीं-
जांच आयोग ने यह भी कहा कि स्थानीय संरक्षण मिलने के कारण विकास दुबे का नाम जिले के टॉप दस अपराधियों की लिस्ट में नहीं, बल्कि केवल सर्कल के टॉप दस अपराधियों की सूची में था, जबकि उसके खिलाफ 64 आपराधिक मामले दर्ज थे।
Published on:
20 Aug 2021 08:45 pm
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