
समाज में बदलाव के लिए शिक्षा में बदलाव जरूरी,आईएएस में चयनित अवधेश के विचार
करौली. बीते माह भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित अवधेश दीक्षित का मानना है कि समाज की अनेक समस्याओं में सुधार के लिए शिक्षा में बदलाव की जरूरत है। आज की शिक्षा बच्चे को जागरूक और जिम्मेदार नहीं बना रही है। एक मध्यम वर्गीय परिवार के अवधेश मूल तौर पर गंगापुरसिटी के निवासी है लेकिन दो दशक से उनका परिवार हिण्डौनसिटी में है। उनके पिता बसंत लाल हिण्डौन में सार्वजनिक निर्माण विभाग में लिपिक है। माता गृहणी हैं। उन्होंने किसी भी सफलता के लिए पांच सूत्र भी बताए। पत्रिका ने उनकी सफलता के सूत्र, विद्यार्थी जीवन के साथ कुछ मौजूदा स्थितियों के बारे में बातचीत की।
पत्रिका- क्या आपने बचपन से ही आईएएस बनने का लक्ष्य रखा।
अवधेश- ऐसा नहीं है। मैंने आईआईटी करने के बाद मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में एक माह का इंटर्न करने के दौरान किए अनुभव से भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाकर सेवा करने का मन हुआ। पहली बार में सफलता नहीं मिली। दूसरी बार में १५८ वीं रैंक मिल सकी।
खेलने का क्या शौक रहा। कितना समय पढ़ाई करते थे
मैं रोजाना ८ से घंटे पढ़ाई करता था। आईएएस की तैयारी शुरू की तो १६ घंटे तक पढ़ाई में बिताए। इस दौरान टीवी देखना बंद रखा और मोबाइल पर फेसबुक और वाट्सप से दूर बनाई। आम किशोर युवाओं की तरह मुझे भी क्रिकेट खेलने का शौक रहा है। लेकिन आईएएस की तैयारी के दौरान ये बंद हुआ। हालांकि मैं रिलेक्स होने के लिए शांत माहौल में घूमने तथा ध्यान लगाने में २ घंटे नियमित देता था।
बच्चों के लिए क्या हिन्दी भाषा को प्रगति में बाधक मानते हो।
ऐसा नहीं है। मेरी भी मातृ भाषा हिन्दी रही है। भाषा का केवल मनोवैज्ञनिक दबाव है। आजकल इंटरनेट पर गूगल सहित अन्य माध्यमों से भाषा की समस्या को खत्म कर दिया है।
आपकी सफलता के पीछे कौन है।
मैं मेरी सफलता को माता पिता के लिए समर्पित करता हूं। उनका काफी सहयोग रहा है। उन्होंने अभावों में भी मुझे सदैव आगे बढऩे के लिए सहयोग के साथ प्रेरित किया। मेरे प्रेरणा स्रोत मेरे पापा और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू हैं।
आप नई पीढी को क्या संदेश देना चाहेंगे
दृढ़ निश्चय, कड़ी मेहनत, अनुशासन, धैर्य और आत्मविश्वास। ये पांच ऐसे सूत्र हैं जिनसे जीवन में हर प्रकार की सफलता हासिल की जा सकती है।
समाज में भ्रष्टाचार, झूठ-फरेब अपराध, क्षेत्र वाद जातिवाद बढ़ रहा है। इसमें बदलाव कैसे लाया जा सकता है।
इसमें बदलाव के लिए शिक्षा पर काम करने की जरूरत है। आज हमारी शिक्षा बच्चे को जागरूक और जिम्मेदार नहीं बना रही है। अगर इन समस्याओं में सुधार चाहिएतो इसके लिएबच्चों को उसी अनुरूप शिक्षा देनी होगी।
आज की युवा पीढ़ी को सोश्यल मीडिया का ज्यादा चस्का लगा है। इसको लेकर क्या संदेश देना चाहेंगे।
सोश्यल मीडिया का प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में काफी सकारात्मक उपयोग है। युवा पीढ़ी को इसका सूझबूझ से उपयोग करना चाहिए। लेकिन साथ में यह ध्यान रखने की जरूरत है कि सोश्यल मीििडया उसकी तैयारी में बाधक तो नहीं बन रहा। हालांकि उन्होंने तो जब प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की तब ढाई वर्ष से इससे दूरी बना ली थी।
( करौली पत्रिका फेसबुक पेज पर जाकर देखें ये मूल साक्षात्कार)
Published on:
12 May 2019 01:15 pm
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