24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सादगी की सवारी के साथ सेहत की चाबी है साइकिल

Cycling is the key to health with simplicity riding विश्व साइकिल दिवस पर विशेष

3 min read
Google source verification
सादगी की सवारी के साथ सेहत की चाबी है साइकिल,सादगी की सवारी के साथ सेहत की चाबी है साइकिल

सादगी की सवारी के साथ सेहत की चाबी है साइकिल,सादगी की सवारी के साथ सेहत की चाबी है साइकिल

हिण्डौनसिटी. आधुनिकता और हाईटेक होते आवागमन के साधनों की भीड़ में साइकिल की सवारी का क्रेज कम नहीं हुआ है। दो सदी पुरानी हुई साइकिल की सवारी का लोगों में रुझान बरकरार है। सड़कों की सुगमता से शहर से लेकर दूरस्त गांवों तक बाइक और कार की पहुंच से भी साइकिल के कद्रदान कम नहीं हुए हंै। किशोरावस्था से लेकर वृद्धावस्था तक के सफर में साइकिल हमराही बनी हुई है। साधनों की उपलब्धता होने बावजूद दशकों बाद भी सादगी की सवारी साइकिल का जादू में कमीं नहीं आई है। जमाने के साथ साइकिल में तकनीक और डिजायन में बदलाव जरूर आए हैं।अब साइकिल सेहतमंदी (फिटनेस) साधनों में भी शुमार हो गई है।

समीप के गांव के महू दलालपुर निवासी 68 वर्षीय जगमोहन किसान हैं। वे रोजमर्रा के कामकाज के लिए साइकिल से सफर करते हैं। 45 वर्ष से कस्बे सहित आस-पास के गांवों में साइकिल से ही आवजाही करते हैं। जगमोहन 22 बीघा भूमि के सम्पन्न किसान हैं, घर में दो बाइक, ट्रेक्टर आदि अन्य साधन है, लेकिन साइकिल के प्रति रुझान कायम है। जगमोहन बताते हैं कि पहले वाहनों की कमी होने से साइकिल ही आवागमन का साधन थी। तब से साइकिल की सवारी की पंसद कायम है। वे साइकिल से ही आवागमन कर कृषि कार्य, रोजमर्रा की खरीदारी का काम संभालते हैं।

साइकिल से करते धर्म का प्रचार-
शहर की ढाणी कंजौलियानका पुरा निवासी बौद्ध भंते सुन्दरा धर्म के प्रचार के लिए साइकिल से सफर करते है।आस-पास की गांव ढाणियों के अलावा भंते समीप के कस्बों में जाने के लिए साइकिल से यात्रा करते है। 74 वर्षीय भंते धम्म दीक्षा लेने से पूर्व में भी 4 दशक से साइकिल से यात्रा करते हैं। जाटव बस्ती निवासी पूर्व पार्षद भरतलाल जाटव ने बताया कि धर्म के प्रचार में भंते प्रति दिन20-25 किलोमीटर की साइकिल यात्रा करते हैं। बयाना आदि समीप केअन्य कस्बों में धार्मिक आयोजनों में जाने के लिए अल सुबह या एक फिर पूर्व ही साइकिल यात्रा शुरू कर देते हैं। उम्र के इस पड़ाव में साइकिल से सफर के प्रति भंते का लगाव लोगों में खासा चर्चित है।

यातायात का बिगड़ा हाल, परेशान साइकिल सवार-
शहर में बिगड़ी यातायात व्यवस्था में सड़क पर सरपट साइकिल चलना सहज नहीं है। अनियंत्रित यातायात के चलते साइकिल सवार सुरक्षित सफर के लिए प्राय: आशंकित रहते हैं। साइकिलिंग के शौकीन मुकेश कुमार जिंदल ने बताया कि शहरों में मुख्य सड़क पर किनारे साइकिल ट्रेक होता है। लेकिन करौली व हिण्डौन में साइकिल-वे नहीं है। ऐसे वाहनों की रेलमपेल के बीच सइकिल लेकर निकलना असुरक्षित प्रतीत लगता है। ऐसे में रोजमर्रा के कामकाज के लिए लोग साइकिल का उपयोग करने से कतराते हैं।

सेहत की सवारी है साइकिल
ताइक्वांडो चैम्पियन एवं कोच रामबृजसिंह ने बताया कि साइकिल चलना सेहतमंद रहने की एक्सरसाइज भी है। ताइक्वाड़ों खेल से जुड़े होने के साथ वे प्रति दिन 4-5 किलोमीटर साइकिल चलाने हैं। रामबृज बताते हैं कि साइकिल चलाना मांस पेशियां मजबूत होने के साथ मोटापा, डायबिटीज व अन्य रोगों से बचाव करती है। साथ ही साइकिलिंग वाला व्याक्ति फेट रहित चुस्त-दुरुस्त रहता है।


संभाग में एक मात्र साइकिलिंग खेल एसोसिएशन-
सादगी की सवारी होने के साथ साइकिल दौड़ ओलंपिक खेलों में शुमार है। लेकिन खेल मंत्रालय से इसके लिए समुचित प्रोत्साहन नहीं मिल पा रहा है। जिला ओलंपिक संघ के संयुक्त सचिव देवीसहाय शर्मा ने बताया कि भरतपुर संभाग में धौलपुर में खेल संघ के तोर पर साइकिलिंग एसोसिशएन ही है। शर्मा ने बताया कि सभी जिलों में साइकिल के खेल संघ स्थापित हो जाएगा तो न केवल विश्व पटल के लिए खेल प्रतिभाएं निखरेंगी। बल्कि युवाओं का बाइक व कार से हट साइकिलिंग के प्रति रुझान बढ़ेगा। इसके लोग सेहतमंद भी रहेंगे और पेट्रोल डीजल की बचत के साथ पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी।