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मर्ज पर भारी पड़ा इंतजार का दर्द

रेजिडेंट डॉक्टरों के खिलाफ सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई के विरोध में शनिवार को चिकित्सकों का रोगियों को दो घंटे तक इंतजार करना पड़ा।

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ashish Sain

Jun 04, 2016


रेजिडेंट डॉक्टरों के खिलाफ सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई के विरोध में शनिवार को चिकित्सकों का रोगियों को दो घंटे तक इंतजार करना पड़ा।

वार्ड और आउटडोर में कक्षों के बाहर बैठे रोगी आहत नजर आए। हालांकि प्रमुख चिकित्साधिकारी ने खुद व ग्रामीण क्षेत्र से बुलाए चिकित्सकों के साथ व्यवस्थाओं को संभालने का प्रयास किया। सुबह करीब 8 बजे चिकित्सक आम दिनों की तरह चिकित्सालय तो पहुंचे, लेकिन पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत कार्य बहिष्कार कर बाहर निकल आए और पास ही एक स्थान पर बैठ गए।

इधर रोगी पर्ची खरीदकर कक्षों के बाहर पहुंच गए, लेकिन सभी कक्षों में चिकित्सकों की कुर्सियां खाली थीं। वे नर्सिंगकर्मियों से उनके बारे में जानकारी लेते नजर आए। सर्जिकल, मेडिसन, स्त्रीरोग आउटडोर के बाहर रोगियों की भीड़ दिखी। लम्बे इंतजार और गर्मीसे अकुलाए रोगी चिकित्सालय भवन के सहारे छाया में बैठ गए। कई रोगी पर्ची खरीद बिना उपचार परामर्श लिए ही लौट गए। वहीं दर्जनों रोगी एक्स-रे व प्रयोगशाला की जांच रिपोर्ट लेकर परामर्श का इंतजार करते रहे। दो घंटे बाद करीब 10 बजे चिकित्सक समूह के रूप में बहिष्कार खत्म कर काम पर लौटे और कक्षों में पहुंच रोगियों को परामर्श दिया।

साथ ही यूनिट प्रभारियों ने वार्डों में पहुंच एक दिन पूर्व भर्ती रोगियों की जांच की। इधर प्रमुख चिकित्साधिकारी डॉ. नमोनारायण मीणा ने बताया कि चिकित्सा व्यवस्था संभालने के लिए शेरपुर पीएचसी के डॉ. धर्मेन्द्र डागुर, झारेड़ा पीएचसी के डॉ. दीपक चौधरी, बीसीएमओ डॉ. उमेश गुप्ता व डॉ. ऋतु को आउटडोर में बैठा रोगियों को परामर्श दिलाया गया।

गैलरी में भटकते रहे रोगी
सुबह 8 बजे वार्डों में चिकित्सकों के नहीं पहुंचने पर भर्ती रोगी इंतजार करते रहे। साढ़े आठ बजे गंभीर रोगों से पीडि़त रोगियों के परिजन चिकित्सकों को तलाशने गैलरी और आउटडोर तक आ गए, लेकिन चिकित्सक नहीं मिले। कमोबेश मेडिकल, सर्जिकल, शिशु व प्रसूती वार्ड में परिजन 8 से 10 बजे तक पुन: उपचार व छुट्टी होने के लिए चिकित्सक का इंतजार करते रहे। कईबार नर्सिंग प्रभारी से भी चिकित्सक के आने की पूछा गया। ऐसे में कुछ रोगियों को तो नर्सिंग स्टाफ द्वारा ही उपचार शुरू किया गया।

सोनोग्राफी के लिए कतार
चिकित्सकों के साथ सोनोलॉजिस्ट के कार्य बहिष्कार करने से सोनोग्राफी कक्ष के बाहर भी रोगियों की कतार लग गई। हालांकि कक्ष में कार्यरत रेडियोग्राफर द्वारा रोगियों का पंजीयन किया गया। सोनोलॉजिस्ट का कहना है कि पंजीकृत रोगियों की सोनोग्राफी की गई।