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राजस्थान में यहां स्थापित है मां भगवती की 500 वर्ष पुरानी चमत्कारिक प्रतिमा, मंदिर से जुड़ी ये मान्यताएं हैं खास

Ghatwasan Mata Mandir Rajasthan: मां भगवती घटवासन देवी का मंदिर जन-जन की आस्था का केंद्र है। नवरात्राओं में श्रद्धालु नौ दिन अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित कर आराधना करते हैं।

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Ghatwasan Mata Mandir Rajasthan, beliefs and history

Ghatwasan Mata Mandir Rajasthan

गुढ़ाचंद्रजी, करौली। कस्बे में नदी के किनारे पहाड़ी पर स्थित मां भगवती घटवासन देवी का मंदिर जन-जन की आस्था का केंद्र है। मंदिर में प्रतिदिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। नवरात्राओं में श्रद्धालु नौ दिन अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित कर आराधना करते हैं। रामनवमीं व जानकी नवमीं पर मां भगवती घटवासन देवी का मेला भरता है। जिसमें हजारों श्रद्धालु मां के दरबार में धोक लगाते हैं। घटवासन देवी की महिमा निराली है। लोगों में श्रद्धा और विश्वास है कि मां के दरबार में धोक लगाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

स्थापित है 500 वर्ष पुरानी चमत्कारिक प्रतिमा

पहाड़ी पर मां भगवती की करीब 500 वर्ष पुरानी चमत्कारिक प्रतिमा के अलावा भैरव महाराज, क्षेत्रपाल महाराज, भोमिया जी महाराज व लांगुरिया की प्रतिमा विराजित हैं। बुजुर्ग बताते हैं कि मां घटवासन देवी की प्रतिमा 500 वर्ष पूर्व पहाड़ी में भूमि से प्रकट हुई थी। पहाड़ी में चट्टानों के खिसकने से देवी मां की प्रतिमा के प्राकट्य भाव को लेकर क्षेत्र में कई जनश्रुतियां प्रचलित हैं। बुजुर्गों के अनुसार गुढ़ाचंद्रजी में चौहान राजा के दरबार में सेवादार घाटोली गांव निवासी केसरी सिंह मेहर को देवी प्रतिमा के प्राकट्य का भाव दिखा था।

किदवंती है कि जंगल में पहाड़ियों के रास्ते घाटोली गांव से राजा के दरबार में जाने के दौरान घाटे वाली नदी के पास केसरी सिंह को स्त्री की आवाज सुनाई दी। तभी से मां भगवती घटवासन देवी को मीणा समाज के महर गोत्र के लोग पूजने लग गए। मनोती पूर्ण होने पर मां के दरबार में लोग मालपुए की प्रसादी, मंदिर निर्माण के लिए धनराशि, पंखें, वाटर कूलर सहित अन्य सामग्री भेंट स्वरूप चढ़ाते हैं।

सावन भादो में आती है पदयात्राएं

देवी मां के दरबार में वर्षभर धार्मिक आयोजन होते हैं। रामायण पाठ, सवामणी, भंडारे आदि आयोजन होते रहते हैं। रात के समय में देवी मां का जागरण होता है।

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