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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस: एक दशक में बदली दिनचर्या व संवर रही सेहत, सैकड़ों लोग करते हैं नियमित योग,जिले में 40 योग कक्षाएं संचालित

हिण्डौनसिटी. एक दशक में योग के प्रति आई जागरुकता से लोग सौ दवा और एक हवा की राह पर चल पड़े हैं। सुबह मॉर्निंग वॉक करने से लेकर योगाभ्यास के शिविरों से लोगों की दिनचर्या में आए बदलाव से लोगों की सेहत संवरने लगी है।

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हिण्डौनसिटी. एक दशक में योग के प्रति आई जागरुकता से लोग सौ दवा और एक हवा की राह पर चल पड़े हैं। सुबह मॉर्निंग वॉक करने से लेकर योगाभ्यास के शिविरों से लोगों की दिनचर्या में आए बदलाव से लोगों की सेहत संवरने लगी है।

योग- प्राणायाम के प्रति बढ़ते रुझान से जिले भर में पतंजलि समिति की ओर से जिले में 40 कक्षाएं लगाई जा रही हैं। जिनमें सैकड़ों महिला-पुरुष दैनिक योगाभ्यास कर दूसरों को योग से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। योग गुरु बाबा रामदेव की प्रारंभिक कर्मस्थली रहे हिण्डौन शहर में वर्ष 2002 में पहला योग शिविर लगा था। इसके बाद योग साधकों का कारवां बढ़ता चला गया।

लोगों ने पतंजलि योगपीठ हरिद्वार में पहुंच प्रोटोकॉल के तहत प्रशिक्षण लेकर योग क्रियाओं में दक्षता ली। भारत स्वाभिमान ट्रस्ट व पतंजलि योग समिति के जिलाध्यक्ष हरिप्रसाद गुप्ता व अन्य योग साधकों ने नियमित योग कक्षाओं की शुरुआत की दी। केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा 21 जून को अंतराष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने के बाद क्षेत्र में योग की गतिविधियों में और तेजी आ गई है। शहर से लेकर गांवों तक दक्ष प्रशिक्षक स्वयं योग करने के साथ लोगों को योग क्रियाओं से स्वस्थ रहने का फलसफा बता रहे हैं।

यह कहते हैं लोग

77 वर्षीय राधेश्याम शर्मा ने बताया कि हृदयाघात होने पर जयपुर में चिकित्सक ने एंजियोग्राफी कर आगे के उपचार की सलाह दी थी। योग की राह का अनुसरण किया तो ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ी । वर्ष 2010 से योग कर रहे हैं।

कुमोदिनी गुप्ता ने बताया कि वर्ष 1998 में हिण्डौन में रहने के दौरान बाबा रामदेव का घर आना हुआ था। उनके द्वारा बताई कपाल भांति कर रही हूं। प्रतिदिन कपाल भांति करने से एक बार मस्तिष्काघात के खतरे से बचीं हैं।

शिक्षिका मीरा सिंघल ने बताया कि वे वर्ष 2015 से योग कर रहीं हैं। योग उनके जीवन में रच बस गया है। 4-5 बार बाबा रामदेव के समक्ष पहुंच योग प्रशिक्षण लिया है। वे खुद योग के जरिए अवसाद से उभरी हैं।

राजेंद्र कुमार मोरड़ा ने बताया कि वर्ष 2022 में वे लकवा ग्रस्त हो गए थे। आधे शरीर ने काम करना बंद कर दिया। डॉक्टर ने दवा से ज्यादा योग करने की सलाह दी। लगातार योग कर रहे हैं। साइकिल चलाने व पैदल चलने के कोई तकलीफ नहीं हैं।

व्यापारी ने प्रेमचंद गुप्ता ने बताया कि वर्ष 2013 में पेट के मर्ज से परेशान थे। चिकित्सकों ने ऑपेरशन की सलाह दी थी। दवाएं लेने के साथ योग को अपनाया तो दर्द और मर्ज दोनों से निजात मिल गई है। अब योग प्रचारक बन लोगों को योगाभ्यास कराते हैं।