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किसान कलेवा: सरकारी योजना को मनचाहे तरीके से बदल डाला

Kisan Kaleva: Changed the government scheme in the desired way अधिकारी और ठेकेदार की मिलीभगत की भेंट चढ़ी 'किसान कलेवा' योजना रोटी के बजाय पूड़ी और दाल की जगह मिल रही कढ़ी, थाली से गुड़ और छाछ गायब

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 किसान कलेवा: सरकारी योजना को मनचाहे तरीके से बदल डाला, किसान कलेवा: सरकारी योजना को मनचाहे तरीके से बदल डाला

किसान कलेवा: सरकारी योजना को मनचाहे तरीके से बदल डाला,किसान कलेवा: सरकारी योजना को मनचाहे तरीके से बदल डाला


हिण्डौनसिटी. उपखण्ड़ मुख्यालय पर कैलाश नगर स्थित करौली जिले की एकमात्र 'ए' क्लास की कृषि उपज मंडी में सरकार की महत्वाकांक्षी 'किसान कलेवा' योजना अधिकारी और ठेकेदार की मिलीभगत की भेंट चढ़ रही है। किसान और पल्लेदारों की सहूलियत के लिए सरकार द्वारा आठ साल पहले शुरु की गई योजना के तहत मिल रहे भोजन की कीमत और गुणवत्ता को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

कभी 12 रुपए में मिलने वाले इस नाम के भोजन की कीमत 26.75 रुपए तक पहुंच गई है। बावजूद इसके मंडी में आने वाले किसानों को ना तो समय पर भोजन मिल रहा है, और ना ही निर्धारित मेन्यू के मुताबिक खाना खिलाया जा रहा है। ऐसे में किसानों को पांच रुपए में मिलने वाली इस थाली के जरिए सरकार को सीधी चपत लगाई जा रही है।

मंडी समिति का दावा है कि बीते आठ सालों में 1 लाख 75 हजार 255 किसान योजना का लाभ ले चुके हैं।संवेदक द्वारा प्रत्येक किसान से वसूली जाने वाली पांच रुपए की कुल राशि के अलावा अनुदान के रुप में मंडी समिति द्वारा संवेदकों को 46 लाख 74 हजार रुपए का भुगतान किया गया है।


सूत्रों के अनुसार किसान अपनी उपज को लेकर मण्डी आते हैं। अधिकतर किसान दूर-दराज के इलाकों से अपनी उपज को बेचने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली, जुगाड़ और अन्य साधनों से मण्डी पहुंचते हैं। यार्ड में आने के बाद किसान के पंजीयन से लेकर जिंस के बेचान की प्रक्रिया पूरी होने में काफी समय लगता है। इसलिए भूखे पेट आए किसानों को मण्डी यार्ड में रूक कर भोजन करना पड़ता है। किसानों को सस्ता व पौष्टिक भोजन मण्डी यार्ड में ही उपलब्ध कराने की मंशा से सरकार द्वारा मार्च 2014 में किसान कलेवा नाम से योजना शुरू की गई।

जिसके तहत में मण्डी में आने वाले किसानों और हम्मालों को पांच रूपए में भोजन उपलब्ध करवाने का प्रावधान किया था। हालांकि किसानों के लिए परोसी जाने वाली थाली की कीमत कागजों में हर साल अगल-अलग दर्ज की जाती है, लेकिन उनसे महज पांच रूपए ही लिए जाते है। शेष राशि का भुगतान मण्डी समिति की ओर से अनुदान के रूप में करने की सरकार ने व्यवस्था की गई है। उल्लेखनीय है कि मंडी समिति द्वारा किसान कलेवा की कैंटीन संचालित करने के लिए बयाना के ठेकेदार रुपकिशोर महावर को टेंडर दिया गया है।

गुणवत्ता पर उठ रहे सवाल
हिण्डौन की कृषि उपज मण्डी में भी मार्च 2014 से यह योजना शुरू कर दी गई थी। शुरुआत में तो मण्डी प्रशासन ने किसानों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता पर ध्यान दिया, लेकिन अब मण्डी प्रशासन की अनदेखी के चलते किसानों को गुणवत्तायुक्त भोजन नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में मण्डी में आने वाले किसानों को या तो अपना भोजन घर से साथ लाना पड़ रहा है और या फिर उन्हें बाजार में जाकर होटल-ढाबों पर भोजन करना पड़ रहा है।

चपाती की जगह पूडी और दाल की जगह कढ़ी-
किसान कलेवा योजना में मण्डी में आने वाले किसान को पांच रूपए में भोजन की थाली उपलब्ध करवाने का प्रावधान किया हुआ है, इसमें आठ चपाती, एक कटोरी दाल, एक कटोरी सब्जी, सर्दी में पचास ग्राम गुड़ और गर्मी में गुड़ की जगह 200 मिलीलीटर छाछ उपलब्ध करवाना शामिल है। इसके विपरीत हिण्डौन की कृषि उपज मण्डी में ठेकेदार द्वारा चपाती की जगह पूडियां और पौष्टिक दाल के स्थान पर कढ़ी किसानों को परोसी जा रही है। गुड़ और छाछ की बात तो दूर, परोसे जा रहे भोजन की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

1.75 लाख किसानों को मिला लाभ-
मण्डी में किसान कलेवा योजना के तहत उपलब्ध कराए जाने वाले भोजन की दरें भी घटती-बढती रही है। मंडी समिति द्वारा वर्ष 2014 से लेकर 2021 तक 1 लाख 75 हजार 255 किसानों को भोजन कराया जा चुका है। इसके एवज में अनुदान के रुप में संवेदकों को 46 लाख 74 हजार रुपए का भुगतान किया गया है। योजना के प्रारंभ से अब तक आठ साल में किसान की थाली में परोसी जाने वाली आठ चपाती और एक कटोरी दाल-सब्जी दो गुनी से ज्यादा महंगी हो गई। वर्ष 2015-16 में जहां ठेकेदार को 12 रूपए प्रति थाली के हिसाब से मण्डी समिति ने भुगतान किया था, वहीं इसके अगले ही साल वर्ष 2016-17 में प्रति थाली 28.50 रुपए के हिसाब से संबंधित ठेकेदार को लाखों रुपए का भुगतान किया गया। वर्ष 2020-21 में 23.80 रुपए तथा वर्ष 2021-22 में प्रति थाली का 26.75 रूपए की दर से भुगतान किया जा रहा है। जबकि कोरोना की वजह से इन दो साल में कई माह तक मण्डी बंद रही थी।


इनका कहना है-
मंडी में किसान कलेवा की कैंटीन पर किसानों को शुद्ध और पौष्टिक भोजन मिलना चाहिए। योजना के तहत अगर संवेदक तय मेन्यू के अनुसार भोजन नहीं देता है, तो कार्रवाई की जाएगी। किसानों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ तो कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
-राजेश कर्दम, सचिव कृषि उपज मंडी समिति, हिण्डौनसिटी।


किसान कलेवा योजना में निर्धारित मेन्यू के अनुसार ही भोजन मिलना चाहिए। अगर मेन्यू बदलकर गुणवत्ताहीन भोजन दिया जा रहा है, तो सचिव को निर्देशित कर जांच करा ली जाएगी। दोषी पाए जाने पर संवेदक पर कार्रवाई की जाएगी।
अनूप सिंह, प्रशासक, कृषि उपज मंडी समिति, हिण्डौनसिटी।