
करौली
नादौती (करौली) . करगिल युद्ध में ऑपरेशन विजय रक्षक के दौरान मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले शहीद कैमरी निवासी हवलदार नेतराम के परिजन आज भी बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं। सरकार की ओर से शहीद पैकेज के तहत अनेक घोषणाएं की गईं, लेकिन शहीद की ढाणी को अब तक सड़क से नहीं जोड़ा गया है। कैमरी के मेढेकापुरा की ढाणी निवासी श्योदान सिंह गुर्जर के घर 1 फरवरी 1963 को नेतराम गुर्जर का जन्म हुआ। गांव में शिक्षा के बाद 30 अप्रेल 1982 को वह सेना की 3 राजपूत रेजीमेंट में भर्ती हुए।
पुत्र सिपाही के पद पर भर्ती
हवलदार नेतराम गुर्जर जम्मू कश्मीर में ऑपरेशन विजय रक्षक के दौरान 3 अगस्त 1999 को देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। शहीद के पिता श्योदान सिंह का गत 2 वर्ष पूर्व निधन हो गया। मां लाडबाई (80), वीरांगना पत्नी मोहर कंवर, पुत्र भाग्य सिंह व राजवीर पंचायत मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर दूर शहीद की ढाणी में निवास करते हैं। शहीद नेतराम का छोटा पुत्र राजवीर सिंह वर्ष 2010 में सेना की 6 राजपूत रेजीमेंट में सिपाही के पद पर भर्ती होकर देश की सेवा कर रहा है।
घर तक पहुंचना बेहद जोखिम भरा
शहीद की मां लाडबाई व वीरांगना मोहर कंवर का कहना कि पति के शहीद होने के दौरान उनके घर आए तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व अन्य नेताओं ने शहीद के पैकेज के तहत उनकी ढाणी को डामर की सड़क से जोड़े जाने की घोषणा की, जो आज तक भी पूरी नहीं हुई है। खास कर बारिश के दिनों में तो उनके घर तक पहुंचना बेहद जोखिम भरा है। कीचड़, गंदगी व गड्ढों से अटी कच्ची सड़क में होकर निकलना मुश्किल हो रहा है।
मकान अब तक नहीं मिला
वीरांगना का कहना है कि राज्य सरकार की ओर से शहीद पैकेज में शहीद के एक पुत्र को राज्य सरकार द्वारा सरकारी नौकरी व जयपुर में आवासन मण्डल का मकान देना शामिल किया गया, लेकिन उनका बड़ा पुत्र भाग्य सिंह नौकरी के लिए चक्कर काटता फिर रहा है। उन्हें मकान अब तक नहीं मिला है। शहीद के परिजनों ने सड़क निर्माण कार्य को प्राथमिकता देते हुए सरकार से इसे पूरा कराने के लिए कहा है। साथ ही कैमरी स्थित शहीद स्मारक के आसपास से अतिक्रमण हटवा कर स्मारक के सौंदर्यीकरण की मंशा जाहिर की है।
Published on:
26 Jul 2018 06:08 am
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