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समर्थन मूल्य के साथ नहीं संवरे भाव, मण्डी में घटी सरसों की आवक

The price did not improve with the support price, the arrival of mustard decreased in the market बेचान में किसान का कम हुआ रुझान

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हिण्डौनसिटी. समर्थन मूल्य की खरीद शुरू होने के बाद मंडी के खुले बाजार में सरसों की आवक आधी रह गई है। दाम बढऩे के इंतजारी में महज1500 से दो हजार कट्टे सरसों की आवक हो रही है। खरीद शुरू होने से पहले मंडी में सरसों की आवक दुगनी हो रही थी। लेकिन भावों में बढ़ोतरी नहीं होने से किसानों का सरसों के बेचान के प्रति रुझान कम हो गया है।
इस बार सरसों की बम्पर पैदावार होने से जिले की एक मात्र अ श्रेणी की कृषि उपज मंडी में 20 फरवरी से नई सरसों की आवक शुरू हो गई। समर्थन मूल्य की खरीद के महीनों दूर होने से शुरुआत से मार्च और अप्रेल माह के तीसरे सप्ताह तक प्रति दिन 15 से 20 हजार कट्टा सरसों की आवक रही। उस दौरान खुली मंडी मेंं सरसो कंडीशन का भाव भी सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य से 150-200 रुपए अधिक चल रहा था। लेकिन एक अप्रेल से समर्थन मूल्य पर खरीद की तिथि घोषित होने पर सरसों के मंडी भाव में गिरावट शुरू हो गई। हालांकि हिण्डौन में तय तिथी से समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू नहीं हुई। लेकिन भावों में सुधार नहीं होने से सरसों की आवक गिर कर 1500 से 2000 कट्टों तक आ गई। व्यापरियों के अनुसार गुरुवार को लैब जांच 42 कंडीशन सरसों का भाव 4961 रुपए के प्रति क्विंटल रहा। जो समर्थन मूल्य के खरीद केंद्र से करीब 500 रुपए कम है। ऐसे में समर्थन मूल्य के दामों से ऊंची कीमत पर सरसों को बेचने को ख्बाव सजोए बैठा किसान अब मंडी के भावों की चाल का इंतजार कर रहा है।

एमएसपी खरीद के साथ नहीं बढ़े दाम-
किसानों के अनुसार सरकारी खरीद शुरू होने से पहले मंडी में जिंसों के दाम मंदे रहते है। जो सरकारी खरीद शुरु होने के साथ बढ़ते हैं। कमोबेश प्रतिवर्ष मंडी में भावों की चाल ऐसे रहती है। इस वर्ष के समर्थन मूल्य की खरीद शुरू होने के एक पखबाड़े बाद भी खुली मंडी में भावों में बढ़ोतरी नहीं हुई।

समर्थन मूल्य के भाव नहीं किए पार-
शुरुआती दौर में सरसों के भाव 5500-5600 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए। लेकिन दामों में गिरावट आने से समर्थन मूल्य के 5450 रुपए को नहीं छू सके। 4800 रुपए प्रति क्विंटल तक गिरने के बाद बीते सप्ताह सरसों 5200 रुपए पहुंच गई। जो गिर से 4961 रुपए पर आकर ठहर गई।

जिले में सरसों की बम्पर उपज
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक वीडी शर्मा ने बताया कि बीते वर्ष जिले में 1 लाख 11 हजार 224 हैक्टेयर में सरसों की बुवाई की गई थी। मौसम के विभिन्न दौरों के झेलने के बाद 2 लाख 1 हजार 690 मीट्रिक टन सरसों की उपज हुई है। अधिक उपज होने से भी भाव प्रभावित होते हैं।


समर्थन मूल्य पर नियंत्रित खरीद-
मंडी में सरसों के भाव नीचे रहने से राजफेड़ द्वारा सरसों व चना की नियंत्रित खरीद की जा रही है। खरीद केंद्र पर प्रति दिन 10-12 किसानों की फसल ही तुलाई की जा रही है। ऐसे में 18 दिन में 4482 कट्टों की खरीद हो सकी है। जबकि बेचान के लिए किसानों का पंजीयन 800 के पार पहुंच गया है।


इनका कहना है-

देश में विदेशी तेलों की आवक होने और बम्पर पैदावार से सरसों के दामों में मंदापन है। कम भावों की वजह से किसान के फसल का स्टॉक करने से मंडी मेंं सरसों की वर्षभर आवक रहेगी। ऐसे में दामों में ज्यादा सुधार के आसार नही हैं।
प्रदीप कुमार गर्ग, पूर्व अध्यक्ष
व्यापार मंडल, कृषि उपज मंडी, हिण्डौनसिटी.

फैक्ट फाइल-
सरसों की आवक(क्विंटल)

दिनांक कृषि उपज मंडी एमएसपी खरीद केंद्र
5मई 767 122.5
6मई 682 85
7मई अवकाश 239
8मई 837 360
9मई 908 159.5
10मई 899 116
11मई 698 299.5
12मई 685 100
13मई 710 232.5
14मई अवकाश अवकाश
15मई 575 154.5
16मई 6715 89
17मई 585 186
18मई 650 97.5