बचपन में रहे काफी शरारती
चूंकि अनूप पांच भाई बहनों में सबसे छोटे थे। इसलिए वे घर में सबके लाडले भी थे। जिस वजह से वे शरारतें भी खूब करते थे। गांव के मित्रों का कहना है कि वे फिल्में देखने के लिए कासगंज शहर तक जाते थे।
चूंकि अनूप पांच भाई बहनों में सबसे छोटे थे। इसलिए वे घर में सबके लाडले भी थे। जिस वजह से वे शरारतें भी खूब करते थे। गांव के मित्रों का कहना है कि वे फिल्में देखने के लिए कासगंज शहर तक जाते थे।
पहली बार यहां मिला था ब्रेक
वैसे तो उन्हें लोकप्रिय नाटककार हबीब तनवीर के देख रहे हैं नैन सीरियल में पहला ब्रेक मिला था, लेकिन अनूप की लोकप्रियता लापतागंज से शुरू हुई। इस सीरियल में उनका पिता जी कहते थे डायलॉग खूब चर्चित हुआ। इस सीरियल में लोकप्रियता हासिल करने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज वे छोटे पर्दे की दुनिया में बतौर कॉमेडी किंग जाने जाते हैं। वे अब तक दर्जनों धारावाहिकों में अहम भूमिका निभा चुके हैं।
वैसे तो उन्हें लोकप्रिय नाटककार हबीब तनवीर के देख रहे हैं नैन सीरियल में पहला ब्रेक मिला था, लेकिन अनूप की लोकप्रियता लापतागंज से शुरू हुई। इस सीरियल में उनका पिता जी कहते थे डायलॉग खूब चर्चित हुआ। इस सीरियल में लोकप्रियता हासिल करने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज वे छोटे पर्दे की दुनिया में बतौर कॉमेडी किंग जाने जाते हैं। वे अब तक दर्जनों धारावाहिकों में अहम भूमिका निभा चुके हैं।
बचपन से था एक्टिंग का शौक
अनूप के पिता जी रेलवे में गार्ड की नौकरी करते थे। उनकी इच्छा थी कि अनूप पढ़ाई करके कोई सरकारी नौकरी पा ले। जबकि अनूप को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था। कासगंज से बीएससी का आखिरी पेपर देकर वह दिल्ली चले गए और थिएटर आर्टिस्ट के तौर पर काम किया। दिल्ली के मंडी हाउस में उनकी मुलाकात हबीब तनवीर से हुई और उन्हें देख रहे हैं नैन सीरियल के जरिए छोटे पर्दे पर किस्मत आजमाने का मौका मिला।
अनूप के पिता जी रेलवे में गार्ड की नौकरी करते थे। उनकी इच्छा थी कि अनूप पढ़ाई करके कोई सरकारी नौकरी पा ले। जबकि अनूप को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था। कासगंज से बीएससी का आखिरी पेपर देकर वह दिल्ली चले गए और थिएटर आर्टिस्ट के तौर पर काम किया। दिल्ली के मंडी हाउस में उनकी मुलाकात हबीब तनवीर से हुई और उन्हें देख रहे हैं नैन सीरियल के जरिए छोटे पर्दे पर किस्मत आजमाने का मौका मिला।