scriptभगवान गणेश को क्यों नहीं चढ़ाते तुलसी दल | Why no Tulsi offer Lord Ganesha Inspirational story | Patrika News
कासगंज

भगवान गणेश को क्यों नहीं चढ़ाते तुलसी दल

ॐ गजाननं भूंतागणाधि सेवितम्, कपित्थजम्बू फलचारु भक्षणम्। उमासुतम् शोक विनाश कारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्॥

कासगंजSep 24, 2019 / 07:14 am

suchita mishra

Ganesh Chaturthi video

Ganesh Chaturthi video

धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान गणेश को भगवान श्री कृष्ण का अवतार बताया गया है। भगवान श्री कृष्ण स्वयं भगवान विष्णु के अवतार हैं। जो तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है, इतनी प्रिय कि भगवान विष्णु के ही एक रूप शालिग्राम का विवाह तक तुलसी से होता है, वही तुलसी भगवान गणेश को अप्रिय है, इतनी अप्रिय कि भगवान गणेश के पूजन में इसका प्रयोग वर्जित है।
ganesha
इसके सम्बन्ध में एक पौराणिक कथा है – एक बार श्री गणेश गंगा किनारे तप कर रहे थे। इसी कालावधि में धर्मात्मज की नवयौवना कन्या तुलसी ने विवाह की इच्छा लेकर तीर्थ यात्रा पर प्रस्थान किया। देवी तुलसी सभी तीर्थस्थलों का भ्रमण करते हुए गंगा के तट पर पंहुची। गंगा तट पर देवी तुलसी ने युवा तरुण गणेश जी को देखा जो तपस्या में विलीन थे।
शास्त्रों के अनुसार तपस्या में विलीन गणेश जी रत्न जटित सिंहासन पर विराजमान थे। उनके समस्त अंगों पर चंदन लगा हुआ था। उनके गले में पारिजात पुष्पों के साथ स्वर्ण-मणि रत्नों के अनेक हार पड़े थे। उनकी कमर में अत्यन्त कोमल रेशम का पीताम्बर लिपटा हुआ था।
ganesha
तुलसी श्री गणेश के रूप पर मोहित हो गई और उनके मन में गणेश से विवाह करने की इच्छा जाग्रत हुई। तुलसी ने विवाह की इच्छा से उनका ध्यान भंग किया। तब भगवान श्री गणेश ने तुलसी द्वारा तप भंग करने को अशुभ बताया और तुलसी की मंशा जानकर स्वयं को ब्रह्मचारी बताकर उसके विवाह प्रस्ताव को नकार दिया।

श्री गणेश द्वारा अपने विवाह प्रस्ताव को अस्वीकार कर देने से देवी तुलसी बहुत दुखी हुई और आवेश में आकर उन्होंने श्री गणेश के दो विवाह होने का शाप दे दिया। इस पर श्री गणेश ने भी तुलसी को शाप दे दिया कि तुम्हारा विवाह एक असुर से होगा।
ganesha
एक राक्षस की पत्नी होने का शाप सुनकर तुलसी ने श्री गणेश से क्षमा मांगी। तब श्री गणेश ने तुलसी से कहा कि तुम्हारा विवाह शंखचूर्ण राक्षस से होगा। किन्तु फिर तुम भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण को प्रिय होने के साथ ही कलयुग में जगत के लिए जीवन और मोक्ष देने वाली होगी। पर मेरी पूजा में तुलसी चढ़ाना शुभ नहीं माना जाएगा। तब से ही भगवान श्री गणेश जी की पूजा में तुलसी वर्जित मानी जाती है।
ॐ गजाननं भूंतागणाधि सेवितम्, कपित्थजम्बू फलचारु भक्षणम्।

उमासुतम् शोक विनाश कारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्॥

प्रस्तुतिः डॉ. राधाकृष्ण दीक्षित, सोरों

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो