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Agriculture News: उद्यानिकी विभाग के कहने पर खेती को लाभ का धंधा बनाने किसानों ने उठाया लाखों का जोखिम, नुकसान हुआ तो विभाग व कंपनी ने फेरा मुंह

locationकटनीPublished: Aug 23, 2019 11:58:19 am

Submitted by:

balmeek pandey

– जिले का किसान परंपरागत खेती Agriculture को छोड़कर उसे लाभ का धंधा बनाने के लिए जोखिम तो उठा रहा है और लाखों रुपये खर्च कर रहे हैं, लेकिन उन्हें नुकसान हो रहा है तो फिर न तो उद्यानिकी विभाग ध्यान दे रहा और ना ही पॉली हाउस कंपनी।
– जिले में पांच लोगों ने पॉली हाउस लगाकर काम शुरू किया। उन्हें फायदा की बजाय लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। इस पर उद्यानिकी अधिकारियों की बेपरवाही और पॉलीहाउस कंपनी वीएमबी पॉली ट्रेडिंग कंपनी की लापरवाही सामने आई है।
– अगस्त 2017 में 60 लाख रुपये की लागत से चाका में राजेश पोद्दार ने गुलाब की खेती के लिए पॉली हाउस उद्यानिकी विभाग के माध्यम से लगवाया। इसमें जब हवा चली तो पूरा पॉलीहाउस खराब हो गया।

Farmer suffered heavy losses due to poly house

Farmer suffered heavy losses due to poly house

कटनी. जिले का किसान परंपरागत खेती Agriculture को छोड़कर उसे लाभ का धंधा बनाने के लिए जोखिम तो उठा रहा है और लाखों रुपये खर्च कर रहे हैं, लेकिन उन्हें नुकसान हो रहा है तो फिर न तो उद्यानिकी विभाग ध्यान दे रहा और ना ही पॉली हाउस कंपनी। जिले में पांच लोगों ने पॉली हाउस लगाकर काम शुरू किया। उन्हें फायदा Ministry of Agriculturea की बजाय लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। इस पर उद्यानिकी अधिकारियों की बेपरवाही और पॉलीहाउस कंपनी वीएमबी Poly House पॉली ट्रेडिंग कंपनी की लापरवाही सामने आई है। अगस्त 2017 में 60 लाख रुपये की लागत से चाका में राजेश पोद्दार ने गुलाब की खेती के लिए पॉली हाउस उद्यानिकी विभाग के माध्यम से लगवाया। इसमें जब हवा चली तो पूरा पॉलीहाउस खराब हो गया। तीन साल के अंतराल में 10 से अधिक बार पॉलीहाउस फटा। हर बार में 50 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये खर्चने पड़े। इतने बड़े नुकसान के बाद भी बीमा नहीं किया गया। सिर्फ पहले साल बीमा किया। इसके बाद 2018-19 में मना कर दिया गया।

 

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30 हजार गुलाब के पौधे बर्बाद
किसान राजेश पोद्दार ने बताया कि उद्यानिकी विभाग द्वारा बताया गया कि फूलों की खेती से बड़ा फायदा होगा। साल में 20 लाख से अधिक का एक एकड़ में मुनाफा होगा, लेकिन दो साल में 15 लाख रुपये की ही आमदनी हुई। लाखों बर्बाद हुए वह अलग। विभागीय अधिकारियों ने कहा था कि पांच यह हादस चलेगा। वह ढाई साल में ही ध्वस्त हो गया। लाखों रुपये की गुलाब की फसल बर्बाद हो गई। उद्यानिकी विभाग और कंपनी के अधिकारी देखने तक नहीं आए। उद्यानिकी वाले सिर्फ एक डेढ़ साल पहले फोटो लेकर गए थे, पोर्टल में समस्या बताकर अपलोड नहीं किया और भारी नुकसान के बाद भी बीमा का लाभ नहीं दिलाया। 30 हजार गुलाब के पौधे उखाड़कर फेंकने पड़ रहे हैं।

 

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16 दिन बाद भी नहीं पहुंचे अधिकारी
हैरानी की बात तो यह है कि उद्यानिकी विभाग के माध्यम से किसानों ने इतना बड़ा जोखिम उठाया, लेकिन विभाग के अधिकारी ध्यान नहीं रहे दे रहे। राजेश पोद्दार द्वारा परियोजना अधिकारी उद्यानिकी विभाग को पॉली हाउस में हुए नुकसान व गुलाब के फसल के खराब होने की जानकारी 6 अगस्त को दी गई। 16 दिन बाद भी उद्यानिकी विभाग से कोई भी अधिकारी जांच के लिए नहीं पहुंचा।

 

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चतुर्वेदी को तीन लाख से अधिक का नुकसान
कंपनी द्वारा सिर्फ राजेश को ही नहीं बल्कि जिले के अधिकांश किसान को ठगा गया है। देवरीटोला निवासी उन्नत कृषक सुबीर चतुर्वेदी के यहां भी वीएमबी पॉली ट्रेडिंग कंपनी भोपाल द्वारा 2016 में पॉलीहाउस लगाया गया। किसान ने आधा एकड़ में 18 लाख रुपये का प्रोजेक्ट लगाया, इसमें उद्यानिकी विभाग द्वारा 9 लाख रुपये का अनुदान तो मिला, लेकिन पॉली हाउस के अंदर थ्रेड सही से नहीं लगाए। अच्छे क्वालिटी की मटेरियल नहीं लगाया। नेट के ऊपर लगने वाली सामग्री को नहीं लगाया। बाद में कोई सर्विस नहीं दी। ड्रिप पद्धति ने ठीक से काम नहीं किया, किसान को निजी कंपनी से काम कराना पड़ा और लगभग तीन लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।

 

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इनको भी भारी नुकसान
ग्राम सिंघनपुरी में शैलेष शर्मा द्वारा शेड नेट 2017 में 32 लाख रुपये की लागत से पॉली हाउस लगाया गया है। इसमें 50 प्रतिशत विभाग ने अनुदान तो दिया, लेकिन पॉली हाउस लगाने वाली कंपनी ने ध्यान नहीं दिया। इससे किसान को ढाई लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। इसको लेकर किसान ने कई बार कंपनी के प्रतिनिधियों को समस्या बताई, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।

इनका कहना है
राजेश पोद्दार के यहां पॉली हाउस व फसल खराब होने का पत्र प्राप्त हुआ है। इन्होंने बीमा कराया है कि नहीं यह देखना होगा। रिपेयरिंग ठीक से न होने के कारण हवा प्रवेश कर गई है। बाकी किसानों के तो पॉली हाउस ठीक हैं। मैं किसी अधिकारी को भेजकर दिखवाऊंगा।
वीरेंद्र सिंह, सहायक संचालक उद्यानिकी।

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