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बच्चों की ‘अपार’ आइडी से गर्म हो रहा अभिभावकों का ‘कपार’, दस्तावेजों में एकरूपता न होने से 53 हजार वंचित

बच्चों संग माता-पिता भी परेशान 244376 में सिर्फ 190703 ही बन पाईं हैं आइडी, आधार कार्ड में विसंगति से बड़ी फजीहत जिले में 12 स्थानों पर लग रहे आधार शिविर फिर भी नहीं बन पा रही बात

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कटनी

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Balmeek Pandey

Dec 17, 2025

Aapar id

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कटनी. जिले में विद्यार्थियों की अपार आईडी बनाने का कार्य बेहद मंथर गति से चल रहा है। जिले में कुल 2 लाख 44 हजार 376 बच्चों की अपार आईडी बननी थी, लेकिन अब तक केवल 1 लाख 90 हजार 703 बच्चों की ही आईडी तैयार हो पाई है। शेष 53 हजार 673 बच्चे अब भी इस महत्वपूर्ण डिजिटल पहचान से वंचित हैं।
अपार आईडी न बन पाने का मुख्य कारण बच्चों और उनके अभिभावकों के दस्तावेजों में एकरूपता का अभाव है। कहीं आधार कार्ड में नाम या जन्मतिथि की त्रुटि है, तो कहीं समग्र आईडी, जन प्रमाण पत्र या अंकसूची में भिन्नता दर्ज है। दस्तावेजों में नाम, पिता-माता का नाम अथवा वर्तनी अलग-अलग होने के कारण ऑनलाइन फीडिंग के दौरान दस्तावेज स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं, जिससे न केवल विद्यार्थियों के काम अटक रहे हैं बल्कि जिले का लक्ष्य भी प्रभावित हो रहा है।

12 स्थानों पर लगाए जा रहे आधार सुधार कैंप

समस्या के समाधान के लिए जिले में 12 स्थानों पर आधार कैंप लगाए जा रहे हैं, ताकि बच्चों के आधार कार्ड एवं अभिभावकों के दस्तावेजों में सुधार किया जा सके। दस्तावेज दुरुस्त होने के बाद ही अपार आईडी तैयार हो पाएगी। शिक्षा विभाग एवं संबंधित एजेंसियों द्वारा अभिभावकों से कहा जा रहा है कि वे समय रहते अपने बच्चों के दस्तावेजों में आवश्यक सुधार कराएं।

डिजिटल दस्तावेजों की त्रुटि से बढ़ी परेशानी

जानकारों के अनुसार आधार कार्ड, समग्र आईडी, जन प्रमाण पत्र, अंकसूची जैसे दस्तावेज जब बनाए जाते हैं, तब नाम और अन्य विवरणों में एकरूपता न होने के कारण बाद में डिजिटल दस्तावेज तैयार कराने में दिक्कत आती है। इससे न केवल विद्यार्थी बल्कि अन्य हितग्राही भी परेशान हो रहे हैं।

अपार आईडी क्यों है जरूरी?

अपार आईडी भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक विशिष्ट डिजिटल शैक्षणिक पहचान संख्या है। यह हर विद्यार्थी के लिए एक स्थायी अकादमिक खाता होता है, जिसमें उसकी पढ़ाई से जुड़ा पूरा रिकॉर्ड डिजिटल रूप से सुरक्षित रहता है। अपार आइडी से स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक का पूरा अकादमिक रिकॉर्ड एक ही आईडी में सुरक्षित, डिजिटल लॉकर की तरह सभी शैक्षणिक दस्तावेज सुरक्षित रहते हैं, ट्रांसफर या आगे की पढ़ाई में दस्तावेज जमा करने की झंझट कम, शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी बनाने में सहायक, छात्रवृत्ति, योजनाओं और उच्च शिक्षा में प्रवेश के समय आसानी। अपार आईडी विद्यार्थियों के भविष्य के लिए बेहद अहम है। ऐसे में अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन को चाहिए कि वे बच्चों के सभी दस्तावेजों में नाम व विवरण की एकरूपता सुनिश्चित करें, ताकि जिले का लक्ष्य पूरा हो सके और विद्यार्थी डिजिटल शिक्षा व्यवस्था का पूरा लाभ उठा सकें।

फैक्ट फाइल

  • 244376 बननी हैं जिले में विद्यार्थियों की अपार आइडी।
  • 190707 बच्चों की अबतक बन पाई हैं अपार आइडी।
  • 29524 बनीं कक्षा एक से 8 तक की अपार आइडी।
  • 12727 बनीं कक्षा 9 से 12 तक की अपार आइडी।
  • 42251 बनीं कक्षा एक से 12 तक की अपार आइडी।

यह है जिले में अपार आइडी की स्थिति
ब्लॉक लक्ष्य आइडी
बड़वारा 42521 30943
बहोरीबंद 37390 29629
ढीमरखेड़ा 31414 24886
कटनी 71607 57134
रीठी 23175 17936

विगढ़ 38269 30175

योग 244376 190703

सरकारी स्कूलों में भी 25 फीसदी बचीं आइडी

सरकारी स्कूलों में भी 25 फीसदी बच्चों की अबतक अपार आइडी नहीं बन पाई हैं। जानकारी के अनुसार कक्षा नर्सरी से 8 तक सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले एक लाख 81 हजार 995 बच्चों की आइडी बनना था, अबतक एक लाख 37 हजार 372 बच्चों की ही आइडी बन पाई है। 24.5 प्रतिशत बच्चे अभी इस योजना से वंचित हैं। इसी प्रकार कक्षा 9 से 12 में 62 हजार 381 बच्चों की आइडी बननी थी, लेकिन अबतक 53 हजार 331 बच्चों की ही आइडी बन पाई है। 14.5 प्रतिशत काम शेष है।

वर्जन

जिले में विद्यार्थियों की अपार आइडी बनाने का काम चल रहा है। जिले में लगभग 53 हजार छात्र-छात्राओं की आइडी नहीं बन पा रही है, इसकी मुख्य वजह दस्तावेजों में एकरूपता न होना है। इसके लिए जिले में 12 स्थानों पर आधार कैंप भी लग रहे हैं। शीघ्र ही इस लक्ष्य को पूरा किया जाएगा।

प्रेमनारायण तिवारी, डीपीसी।