
रामलीला के मंचन में शामिल कलाकार।
कटनी. वर्ष 1938 में तेवरी गांव के कुछ बुजुर्गों ने मिलकर भगवानी श्रीराम की लीलाओं के मंचन की परंपरा शुरू की थी। उस परंपरा गांव के युवा व बुजुर्ग 80 साल से निभाते चले आ रहे हैं। हर साल नवरात्र से पूर्व 15 दिनों तक रामलीला का मंचन गांव में स्थानीय कलाकार ही करते हैं और वर्तमान में तीसरी पीढ़ी परंपरा का निर्वहन कर रही है। वर्ष 1938 में तेवरी निवासी ठाकुर बुद्ध सिंह ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर स्थानीय कलाकारों को मंच देने के लिए श्रीकृष्ण रामलीला नाट्य समिति की स्थापना की थी। जो हर साल नवरात्र में भगवान श्रीराम की लीलाओं का मंचन करती थी और नए कलाकारों को भी उससे जोड़ती थी। लीला के अलावा विभिन्न कथाओं पर आधारित नाटकों का मंचन भी किया जाता था, जिसे देखने सैकड़ों लोग पहुंचते थे। दूसरी पीढ़ी में बुद्ध सिंह के पुत्र गेंद सिंह ने समिति अध्यक्ष रहते हुए कई साल तक परंपरा को जीवित रखा तो वर्तमान में तीसरी पीढ़ी के पुरुषोत्तम सिंह अगुवाई कर रहे हैं।
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आज भी पहुंचते हैं उत्साह बढ़ाने
समिति के शुरुआत के दिनों से जुड़े गांव के बुजुर्ग गौरीशंकर गुप्ता आज भी मंचन के दौरान कलाकारों का उत्साह बढ़ाने पहुंचते हैं। उनका कहना है कि यह कलाकारों की कला को सामने लाने का मंच स्थापित हुआ था और खुशी होती है कि बुजुर्गाे की परंपरा को युवा जीवित रखे हुए हैं। खुद गुप्ता भी कभी कभार मंचन का हिस्सा बनते हैं तो बुजुर्ग रिटायर्ड शिक्षक अवसर सिंह भी रावण का किरदार निभाने पहुंचते हैं। पूरी कमेटी का संचालन बुजुर्ग महादेव असाटी के हाथों में होता है। इस वर्ष से भगवान की लीलाओं को मंचन स्थानीय कलाकार कर रहे हैं।
Published on:
01 Oct 2019 12:08 pm
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