
Big fraud in IHSDP scheme
कटनी. गरीबों को पक्की छत मुहैया कराने के लिए 2007 में बनी योजना आइएचएसडीपी शुरुआती दौर से ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी हुई थी। हैरानी की बात तो यह है कि 2025 में ही योजना मूर्त रूप लेते नहीं दिख रही। तत्कालीन नगर निगम के अफसर, तत्कालीन नगर सरकार ने गंभीर लापरवाही की, लेकिन अब का महकमा भी बेपरवाही बरते हुए है। इस योजना के मकानों में भारी विसंगति है। पात्रों को समय पर आवंटन नहीं किया गया और अब पात्र हितग्राही नगर निगम तलाश रही है। हद तो तब हो जा रही है कि नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारियों ने कब्जाधारियों से ही आवेदन लेकर उनको पात्र बताकर आवंटन की प्रक्रिया अपना रहे हैं।
जानकारी के अनुसार नगर निगम ने इस योजना में गरीबों को मकान देने के ना पर फिर प्रक्रिया अपना रही है। इसमें 171 लोगों ने आवेदन किया था। उनकी टीम ने जांच की। कलेक्टर से अनुमोदन लिया और उनमें से 137 को पात्र पाते हुए आवंटन की फाइल चला दी है। कुछ ही दिनों में आवंटन का उत्सव मनेगा। बता दें कि शहर में 2200 से अधिक माकन बनने थे, लेकिन समय पर जमीन न मिलने, सरकार से बजट न मिलने के कारण योजना दम तोड़ गई। आधे-अधूरे ही मकान बन पाए। महत्वपूर्ण योजना को लेकर जिम्मेदार बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं।
यह सामने आई बड़ी खामी
नगर निगम के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अभी भी आइएचएसडीपी योजना के 500 से अधिक मकान आवंटन के लिए शेष हैं। 450 नए लोगों ने मकान के लिए आवेदन किया है, लेकिन 250 आवेदक ऐसे हैं जो पहले से ही यहां पर कुछ अधिकारी-कर्मचारियों की सह पर कब्जा जमाए बैठे हैं। नगर निगम का यह भी दावा है कि 25 से अधिक लोगों के कब्जे अबतक खाली कराए जा चुके हैं।
यह बनी थी योजना
आपको बता दें कि नगर निगम द्वारा 18 साल पहले 2007 में 2921 लाख रुपए से इंटीग्रेटेड हाउसिंग एंड स्लम डेवलपमेंट प्रोग्राम (आएचएसडीपी) योजना शुरू की गई थी। दो साल के अंदर पहले फेज में एक हजार 119 गरीबों को आवास मुहैया कराना था, लेकिन अबतक नगर निगम 2025 में भी न तो आवासों को पूर्ण करा पाई और ना ही पात्र हितग्राहियों को आवंटित कर पाई। हैरानी की बात तो यह है कि नगर निगम व स्थानीय बाहुबलियों द्वारा कई मकान किराये पर उठा दिए गए हैं। पूर्व में मामला संज्ञान में भी आ चुका है, लेकिन नगर निगम ने कोई कार्रवाई नहीं की।
यहां-यहां बने हैं मकान
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खंडहर में तब्दील कई मकान
ये मकान बनने के कुछ साल बाद ही खंडहर में तब्दील हो गए हैं। कई जगह दीवारों में दरारें हैं तो प्लास्टर टूट गया है। खिडक़ी-दरवाजों का अता-पता नहीं है। कई जगह आसामाजिक तत्वों का डेरा है तो कई जगह पर कब्जाधारियों का साम्राज्य। पूरी तरह से परिसर असुरक्षित हैं। हैरानी की बात तो यह है कि सरलानगर, इंद्रानगर आदि में कब्जा करके रहने वाले कई लोग बाहर के हैं, जो सांठगांठ कर यहां के दस्तावेज बनवाते हुए स्थाई निवास बन बैठे हैं। वोट बैंक की राजनीति के चलते शहर के जनप्रतिनिधि चुप्पी साधे हैं तो वहीं अधिकारी भी दबाव में कार्रवाई नहीं कर रहे।
वर्जन
171 लोगों द्वारा आइएचएसडीपी योजना के मकानों को लेने के लिए आवदेन किया है। 137 पात्र पाए गए हैं। उनके आवंटन की प्रक्रिया चल रही है। शेष आवेदनों की जांच कराई जाएगी। यदि किसी का कब्जा है तो इसपर टीम बनाकर जांच कराते हुए कार्रवाई की जाएगी।
नीलेश दुबे, आयुक्त नगर निगम।
Published on:
27 Mar 2025 09:26 am
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