
Scientists created solar light trap
कटनी. जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर से संबद्ध कृषि विज्ञान केंद्र कटनी के वैज्ञानिकों ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल कर विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया है। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. संजय वैशंपायन, मनोज गंगराडे और अरुण कुमार पटेल द्वारा विकसित सौर ऊर्जा से संचालित सोलर इन्सेक्ट ट्रैप (सौर ऊर्जा चलित प्रकाश प्रपंच) को भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय द्वारा डिजाइन पंजीकरण का प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है।
इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. प्रमोद कुमार मिश्रा ने वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि यह यंत्र छोटे से छोटे किसानों तक पहुंचेगा और उनके खेतों में कीट प्रबंधन के लिए प्रभावी साबित होगा। इसके उपयोग से किसानों की आय में वृद्धि होगी और कीटनाशकों पर होने वाला खर्च भी कम किया जा सकेगा।
ऐसे काम करेगा सोलर लाइट ट्रैप
कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. संजय वैशंपायन ने इस मॉडल एसएमवी 19 की विशेषताओं के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह यंत्र अल्ट्रा वायलेट-ए एलईडी प्रकाश तकनीक पर आधारित है, जो हानिकारक कीटों को आकर्षित कर उन्हें नियंत्रित करने में मदद करता है। खास बात यह है कि यह डिवाइस माइक्रोकंट्रोलर आधारित ऑपरेशन से सुसज्जित है, जो सूर्यास्त के बाद अपने आप चालू हो जाता है और स्वचालित रूप से चार घंटे बाद बंद हो जाता है। इसे संचालित करने के लिए किसी भी प्रकार की बिजली की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने बताया कि जल्द ही यह यंत्र किसानों के लिए बाजार में उपलब्ध कराया जाएगा।
वैज्ञानिक की पहल को पहली बार मिला पेटेंट
संचालक विस्तार सेवाएं डॉ. दिनकर प्रसाद शर्मा ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों को पहली बार किसी उत्पाद का पेटेंट प्राप्त हुआ है, जो कृषि विज्ञान समुदाय के लिए गर्व और खुशी का विषय है। इस यंत्र का उपयोग प्राकृतिक खेती और जैविक खेती में कीट प्रबंधन के लिए भी किया जा सकेगा। इस उपलब्धि पर आयोजित कार्यक्रम में अटारी-आईसीएआर के निदेशक डॉ. एसआरके सिंह, संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. जीके कौतु, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. अमित शर्मा, आईबीएम के संचालक डॉ. मोनी थॉमस आदि ने डॉ. संजय वैशंपायन और उनकी टीम को प्रोत्साहित किया है। यह उपलब्धि न केवल विश्वविद्यालय के लिए गौरव का विषय है, बल्कि प्रदेश के किसानों के लिए भी लाभकारी साबित होगी, जो सतत और जैविक कृषि की ओर बढ़ते कदम में मील का पत्थर बनेगी।
Published on:
24 Mar 2025 09:13 pm
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