कटनी. कृषि प्रधान देश की संज्ञा के बीच किसानों के खेतों की हालत अभी भी ऐसी है कि बारिश का सीजन छोड़ दिया जाए तो वे प्यासे ही रहते हैं। कई क्षेत्रों में किसान सिर्फ एक या दो फसल ले पाते हैं। सिंचाई के साधन न होने, भूमिगत जल स्तर लगातार पाताल में जा रहा है, ऐसे में जरूरत है, बारिश की एक-एक बूंद सहेजकर जल स्तर को बचाने और खेतों को भरपूर पानी देने की की। इसी दिशा में किसानों, ग्रामीणों के लिए ‘जल गंगा सवंर्धन अभियान’ वरदान साबित होगा। इस बार मनेगा द्वारा बड़ी पहल करते हुए सेटेलाइट सर्वे के जहां पर पानी का प्राकृतिक बहाव है, वहां पर खेत तालाब, अमृत सरोवर बनाए जा रहे हैं। कूप रिचॉर्ज का भी बेहतर कार्ययोजना पर काम हो रहा है। खास बात तो यह है कि संभाग की बगर बात की जाए तो सबसे ज्यादा छिंदवाड़ा, बालाघाट व कटनी में बन अमृत सरोवर, कूप रिचॉर्ज और खेत तालाब बन रहे हैं। इससे अन्नदाता की तकदीर बदलेगी।
देशभर में सरकार गरीब, महिला, किसान और युवा सशक्तिकरण के लिए चलाए जा रहे अभियान को मध्यप्रदेश में मिशन मोड दिया गया है। संभाग में भी मनरेगा के तहत हजारों की तादाद में काम चल रहा है। बता दें कि संभाग में 17 हजार 92 खेत तालाब निर्माण का लक्ष्य तय किया गया था। यहां पर 17 हजार 284 खेत तालाब बनाए जा रहे हैं। इसी प्रकार 11 हजार 900 कूप रिचार्ज के लिए लक्ष्य तय किया गया था, संभाग में लक्ष्य के विरुद्ध 12 हजार 704 कूप रिचार्ज सिस्टम का निर्माण कराया जा रहा है। संभाग में बड़ी संख्या में अमृत सरोव भी बन रहे हैं। 179 तालाब निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसके विरुद्ध में 9 जिलों में 231 अमृत सरोवर बन रहे हैं। मनरेगा योजना ग्रामीणों के जीवन में बड़ा बदलाव लाने का काम कर रही है। यह योजना गरीबों, किसानों और श्रमिकों के आर्थिक सशक्तिकरण की मजबूत कड़ी बन गई है।
यह है संभाग में लक्ष्य व निर्माण की स्थति
जिला खेत तालाब कूप रिचॉर्ज अमृत सरोवर
जबलपुर 1581/898 400/561 21/22
कटनी 1423/1614 1300/1462 18/37
मंडला 1604/1979 1400/1701 27/33
डिंडौरी 2171/2258 1500/1400 13/13
नरसिंहपुर 1350/1377 300/319 18/18
छिंदवाड़ा 2370/2433 3700/4137 33/58
शिवनी 2693/3345 2100/2239 24/30
बालाघाट 3900/3999 1200/1390 25/38
आंकड़ों की बात की जाए तो इस वर्ष प्रदेश में 2025-26 के दौरान अब तक 32 लाख श्रमिकों को मनरेगा के अंतर्गत रोजगार उपलब्ध कराया गया है। मजदूरी के रूप में करीब 1500 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। मनरेगा के तहत ग्रामीणों को उनके गांव में ही रोजगार देकर पलायन पर भी अंकुश लगाया गया है। अप्रेल से लेकर अब तक 22 लाख परिवारों के सदस्य इस योजना से लाभान्वित हुए हैं। ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर 100 दिन का रोजगार मुहैया कराने कवायद की गई।
मनरेगा योजना को जल गंगा संवर्धन अभियान से जोड़ा गया है। इसके तहत खेत-तालाब, अमृत सरोवर, कूप रिचार्ज पिट, चेक डैम, मेड़बंदी, वर्षा जल संचयन जैसे कार्य किए जा रहे हैं। इससे न केवल जल संरक्षण में मदद मिली है, बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार भी सृजित हुआ है।
तीन माह के विशेष जल गंगा संवर्धन अभियान ने उस अवधि में रोजगार उपलब्ध कराया, जब कृषि गतिविधियां रुकी रहती हैं। इससे किसानों, श्रमिकों को काम मिला और बाहर पलायन कम हुआ। यह अभियान खेती-किसानी की तैयारी और ग्रामीण आजीविका को सुदृढ़ करने में सहायक बन रहा है। मनरेगा योजना से मिलने वाली मजदूरी अब सिर्फ काम नहीं, बल्कि जरूरतों की पूर्ति का साधन बनी। इससे खेत की तैयारी, बच्चों की शिक्षा, घरेलू खर्च और जीवन स्तर में सुधार होगा। साथ ही गांवों में बुनियादी ढांचे का विकास भी हो रहा है।
अवि प्रसाद, मनरेगा आयुक्त ने कहा कि तेजी से जिलों में जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत मनरेगा के माध्यम से खेत-तालाब, अमृत सरोवर, कूप रिचार्ज पिट, चेक डैम, मेड़बंदी का काम कराया जा रहा है। विशेष सर्वे के साथ निर्माण हो रहा ताकि पानी खेतों व तालाबों में रुके। ग्रामीणों को सुविधा के साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार भी मिला है। इनके निर्माण से ग्रामीण जीवन में समृद्धि की नई इबारत होगी। जल संरक्षण किसानों के लिए संजीवनी साबित होगा।
Published on:
18 Jun 2025 09:57 pm