
Bumper cultivation of sweetcorn in Katni
बालमीक पांडेय@ कटनी. कटनी जिले के तेवरी व आसपास में लगे एक दर्जन से अधिक गांव का स्वीटकॉर्न व हाइब्रिड कॉर्न मध्यप्रदेश सहित आधा दर्जन से अधिक राज्यों में अपने स्वाद का जादू बिखेर रहा है। इस साल स्वीटकॉर्न की खेती 150 हेक्टेयर में और 650 हेक्टेयर में हाइब्रिज कॉर्न यानि कि कुल 800 हेक्टेयर में खेती हुई है। 517 किसानों ने मक्के की खेती में रुचि दिखाई और बोवनी के बाद फसल उत्पादन कर बेहतर आमदनी कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार कटनी में पैदा होने वाले स्वीटकॉर्न व हाइब्रिड कॉर्न की सप्लाई अपने प्रदेश सहित महाराष्ट्र, झारखंडा उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों व जिलों में स्वाद बिखेर रहा है। नेशनल हाइवे-30 सहित नेशनल हाइवे-43 सहित शहर व उपनगरीय क्षेत्र में जगह-जगह लगे स्वीटकॉर्न के स्टॉल में सोंधी खुशबू वाहनों के पहियों को थाम देती है और लोग स्वाद चखने के बाद ही आगे बढ़ते हैं।
स्लीमनाबाद क्षेत्र के ग्राम तेवरी, बिचुआ, भेड़ा, डोंगरिया, लिगरी, रितुआ, लखनवारा, नैगवां, डोगरहाई, छितवारा, देवरीभार सहित अन्य गांवों में मक्के की फसल लहलहा रही है। मक्के की फसल प्राकृतिक मौसम पर आधारित होती है। कुछ दिनों से अच्छा मौसम है, इसलिए किसानों के लिए फसल फायदेमंद साबित हो रही है। क्षेत्र के किसान पुरुषोत्तम सिंह, रोहणी कुशवाहा ने कहा कि यह क्षेत्र के लिए यह नकदी फसल वरदान साबित हुई है।
आरके चतुर्वेदी, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के अनुसार हाइब्रिड स्वीटकॉर्न में एक एकड़ में 10 से 12 हजार की लागत आती है, जबकि स्वीटकॉर्न में 15 हजार लागत है। यह फसल 80 दिन की है। एक एकड़ में 100 से 120 बोरा मक्के का उत्पादन होता है। एक बोरा मक्के की बाजार में कीमत 600 से 700 रुपए है, जिससे किसानों को प्रति एकड़ 70 से 80 हजार रुपए मिल रहे हैं। लागत काटकर किसानों को 50 से 50 हजार रुपए की आमदनी हो रही है।
बता दें कि कटनी जिले में वर्ष 2000 से स्वीटकॉर्न, हाइब्रिज कॉर्न की खेती हो रही है। बताया जा रहा है कि पांच साल पहले तक इनमें कीट व्याधियों का प्रकोप नहीं रहा था, कोई रासायन व कीटनाशन नहीं पड़ रहा था। तो फसल बढिय़ा थी, लेकिन अब स्वीटकॉर्न और हाइब्रीड कार्न में इल्ली का प्रकोप हो रहा है, कीटनाशक दवा डाल रहे हैं, इस दवा का उपयोग दो से तीन बार हो रहा है, यह मानव जीवन के लिए घातक हैं। मवेशियों के लिए भी घातक है। मक्के में इमाम मेक्टिन बेंज्वेट, डंडोक्सा कॉर्व, क्लोरोपाइसी फॉस, ट्राइजो फॉस, फायोमैथाशॉम, फिफरोनिल का उपयोग हो रहा है, जो किसी जहर से कम नहीं है। किसानों को सलाह दी गई है, जो किसान लगातार खेती कर रहे हैं फसल का चक्र बदलें, नई जगह पर खेती करें।
Published on:
19 Aug 2025 07:14 am
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