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एमएसडब्ल्यू कंपनी के तीन डायरेक्टर, प्रोजेक्ट व प्लांट हेड पर मुकदमा दायर

Case filed against company MSW

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कटनी

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Balmeek Pandey

Feb 08, 2025

Case filed against company MSW

Case filed against company MSW

कचरा प्रशंसकरण में गंभीर लापरवाही, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में प्रकरण दायर, प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम के तहत हुई कार्रवाई, प्रदूषण विभाग ने जांच में पाईं थरं कई खामियां, नगर निगम के अधिकारियों, जिम्मेदारों की सांठगांठ से चल रहा मनमानी का बड़ा खेल, मचा हडक़ंप

कटनी. शहर में प्रतिदिन समय पर सूखे और गीले कचरे का अलग-अलग उठाव, वैज्ञानिक विधि से प्रशंसकरण कराने वाले नगर निगम अफसरों के दावे फेल साबित हो गए हैं। नगर निगम के अफसरों और जिम्मेदारों की सांठगांव से काम करने वाली कंपनी एमएसडब्ल्यू प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने ननि से किए गए अनुबंध शर्तों को ठेंगा दिखाते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों को धता बताते हुए 2015 से काम कर रही है। नियमों का माखौल उड़ाने वाली कंपनी को ननि के अफसर भुगतान भी करते चले आ रहे हैं। इसका खुलासा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम द्वारा की गई जांच के बाद हुआ है। इसके बाद विभाग ने अभियोजन की अनुमति का मुख्यालय से आदेश मिलने पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में प्रकरण दर्ज कराया है, जिससे कंपनी और नगर निगम के जिम्मेदारों में हडक़ंप मच गया है।
जानकारी के अनुसार मेसर्स कटनी एमएसडब्लू प्रालि ग्राम पडऱवारा के विरूद्ध मिथलेश जैन वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा उद्योग द्वारा प्रदूषण किए जाने के संबंध में लगातार शिकायतें की जा रही थीं। जिसका सत्यापन प्रदूषण विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी सुधांशु तिवारी एवं आरपी शुक्ला रसायनज्ञ द्वारा 20 जून 2024 को किया गया, जिसमें पाया गया कि प्लांट में लगभग 1.5 लाख मेट्रिक टन कचरा लेगेसी वेस्ट के रूप में एकत्रित पाया गया, जिसका प्रसंस्करण नहीं किया गया। कचरे के एकत्रीकरण से आसपास में दुर्गंध पाई गई। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एमएसडब्लू वेस्ट का संग्रहण, प्रसंस्करण एवं निपटान के लिए सर्शत जल वायु सम्मति प्रदान की गई थी, लेकिन उद्योग द्वारा जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1974 की धारा 43/47 एवं पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा 15 एवं 17 का लगातार उल्लंघन किया गया है।


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सूचना पत्रों को कंपनी ने किया दर किनार
प्रदूषण विभाग द्वारा कई बार कंपनी को नियमों का पालन करने संबंधी सूचना पत्र दिया गया। लेकिन उद्योग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। लगातार मनमानी करने पर मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भोपाल से अनुमति प्राप्त कर उद्योग के हेमा प्रसाद, डायरेक्टर, संतराम बायतारू डायरेक्टर, अनुपमा मिश्रा डायरेक्टर, शांतनु कुमार प्रोजेक्ट हैड, आदित्य कुमार प्लांट हैड के विरूद्व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1974 की धारा 43/47 एवं पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा 15 एवं 17 के तहत् प्रकरण क्रमांक 829/2025 दिनांक 4 फरवरी को दायर कर दिया गया है। साथ ही जिले में संचालित चूना भट्टा, स्टोन केशर जो बोर्ड से सम्मति नवीनीकरण प्राप्त किए, उपयुक्त एवं प्रभावी प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था नहीं किए जाने वाले उद्योगों के विरूद्व भी शीघ्र न्यायालयीन कार्यवाही की जाएगी।

इन मानकों का नहीं हो रहा पालन
बता दें कि कंपनी एमएसडब्ल्यू ने मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पर्यावरण की अनुमति ली है। उस अनुमति का पालन नहीं हो रहा। इससे जल प्रदूषण व वायु प्रदूषण हो रहा है, नियमों का सीधा उल्लंघन हो रहा है। कचरे का निष्पादन भी वैज्ञानिक पद्धति से नहीं हो रहा, जिससे कचरे का ढेर लगता जा रहा है। 3 लाख मैट्रिक टन से अधिक कचरा स्टोर हो गया है। टीम के साथ मौके का निरीक्षण कर जांच प्रतिवेदन भोपाल भेजा गया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अभियोजन के लिए स्वीकृति दी, जिसके बाद क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण विभाग ने कंपनी के खिलाफ न्यायालय में प्रकरण दर्ज कराया है।

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खास-खास

  • 100 टन प्रतिदिन निकल रहा कचरा
  • 80 लाख रुपए से अधिक के बिल हो रहे तैयार
  • 55 से 60 लाख रुपए से अधिक का हो रहा भुगतान
  • 2015 से कंपनी शहर में कर रही है काम
  • 01 नगर निगम, चार नगर परिषदों का आ रहा कचरा

मनमानी के खिलाफ लडऩी पड़ी लंबी लड़ाई: जैन
वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पार्षद मिथलेश जैन ने कहा कि शहर में सूखा और गीला कचरा निष्पादन के नाम पर बड़ा खेल हो रहा है। कहीं पर भी मानकों का पालन नहीं हो रहा। कचरा उठाव से लेकर एकत्रीकरण, प्रशंसकरण में पग-पग पर नियमों की अनदेखी हो रही है। नगर निगम बगैर किसी जांच, परीक्षण के कंपनी के देयकों का भुगतान करती जाती है। नाम मात्र की कटौती का खेल कर लाखों रुपए हर माह भुगतान हो रहा है। वायु और जल प्रदूषण के लिए घातक बन रही कंपनी के खिलाफ शिकायत की गई। इसके लिए लंबी लड़ाई लडऩी पड़ी। मेरे द्वारा की गई शिकायत की जांच हुई, लापरवाही पाई गई, उसके बाद विभाग ने न्यायालय में अभियोजन के लिए प्रकरण दर्ज कराया है।

वर्जन
मेसर्स कटनी एमएसडब्लू प्रालि ग्राम पडऱवारा द्वारा प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण नियमों का पालन नहीं किया गया। कंपनी की मनमानी से न सिर्फ कचरे का ढेर तैयार हो गया है बल्कि क्षेत्र में दुर्गंध की स्थिति बनी। जांच प्रतिवेदन मुख्यालय भेजा गया था। वहां से अभियोजन की अनुमति के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में कंपनी के खिलाफ प्रकरण दायर हुआ है।
सुधांशु तिवारी, क्षेत्रीय अधिकारी मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।