बालमीक पांडेय@ कटनी. वन स्टॉप सेंटर यह सिर्फ एक केंद्र नहीं, बल्कि उन टूटते रिश्तों को जोडऩे की जमीनी पहल है, जहां हर आहत महिला को न्याय, सम्मान और सहारा मिलता है, फरवरी 2017 से संचालित यह सखी केंद्र अब तक 1800 से ज्यादा मामलों में हस्तक्षेप कर चुका है, घरेलू हिंसा, पति-पत्नी का विवाद, दहेज प्रताडऩा या पारिवारिक कलह—हर पडि़ता को यहां न सिर्फ कानूनी मदद मिलती है, बल्कि भावनात्मक संबल भी मिलता है, परामर्शदाता की संवेदनशील भूमिका और टीम के सतत प्रयासों से न जाने कितने घर फिर से आबाद हुए हैं, यह केंद्र आज महिलाओं की उम्मीद, आत्मविश्वास और सुरक्षा का प्रतीक बन चुका है, वन स्टॉप सेंटर अब उन कहानियों का गवाह है, जहां आंसू मुस्कान में बदले हैं…। महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत संचालित वन स्टॉप सेंटर (सखी केंद्र) फरवरी 2017 से लेकर अप्रेल 2025 तक महिलाओं से जुड़े कुल 1864 मामलों का निराकरण किया है। शराब, शक, हिंसा के कारण टूटते परिवार को परामर्श और संरक्षण से सहेजने का काम किया गया है। 391 प्रकरणों में घरेलू हिंसा (डीआईआर) दर्ज की गई, 1172 महिलाओं को परामर्श, 27 को विधिक सहायता, 32 को पुलिस सहायता, और 242 महिलाओं को अस्थायी आश्रय प्रदान कर सुरक्षित घर वापसी सुनिश्चित की गई।
वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक सुषमा नाग के अनुसार केन्द्र का मुख्य उद्देश्य पति-पत्नी के बीच आपसी विवाद को सुलझाकर परिवार को जोडऩा है। परामर्शदाता अनामिका खम्परिया द्वारा दी गई काउंसलिंग से अनेक परिवारों में सुधार हुआ है। ससुराल से निकलीं महिलाएं अब सम्मान के साथ घर लौट रहीं हैं। यह सेंटर महिलाओं के लिए आवाज बना है। जहां पर घरेलू हिंसा से लेकर पारिवारिक विवादों में राहत दिलाई गई है। वन स्टॉप सेंटर न केवल महिलाओं को कानूनी सहायता प्रदान कर रहा है, बल्कि परिवारों को जोडऩे का संवेदनशील कार्य भी कर रहा है। यह केन्द्र आज सैकड़ों महिलाओं के लिए आशा और आत्मसम्मान का प्रतीक बन चुका है।
केस नं. 01 बच्चों को मिला पिता का प्यार
शिकायतकर्ता ज्योति सिंह (परिवर्तित नाम) पति तेजसिंह ठाकुर (परिवर्तित नाम) शराब पीकर देर रात घर आते थे, जिससे बच्चों और पिता के बीच दूरी बढ़ रही थी। वन स्टॉप सेंटर द्वारा उन्हें समझाया गया कि पारिवारिक समय बच्चों के मानसिक विकास के लिए कितना आवश्यक है। परामर्श के बाद तेजसिंह ने धीरे-धीरे आदतें सुधारकर बच्चों और पत्नी के साथ समय बिताना शुरू किया। परिवार अब खुशहाल जीवन जी रहा है।
शिकायतकर्ता गेंदा बाई केवट (परिवर्तित नाम) पति और देवर से झगड़े व मारपीट की शिकायत पर सभी पक्षों को बुलाकर वन स्टॉप सेंटर में परामर्श दिया गया। पति और देवर ने गेंदा बाई से माफी मांगी और शांतिपूर्वक साथ रहने का वादा किया। परिवार में अब शांति और सम्मान का माहौल है।
केस नं. 03 पति की मृत्यु के बाद रिश्तों में आई दरार को किया दूर
शिकायतकर्ता सरिता चौधरी (परिवर्तित नाम) पति की मृत्यु के बाद ससुराल पक्ष का व्यवहार खराब हो गया था। वन स्टॉप सेंटर द्वारा महिला के मायके और ससुराल पक्ष को बुलाकर परामर्श किया गया, जिससे महिला को सम्मान के साथ पुन: ससुराल में स्थान मिला।
केस नं. 04 सेंटर बना रिश्तों को सुधारने की मिसाल
शिकायतकर्ता अनीता सपेरा (परिवर्तित नाम) देवर से पारिवारिक विवाद की शिकायत पर दोनों पक्षों को बुलाकर विवाद का कारण समझा गया और परामर्श दिया गया। अब पूरा परिवार मिलजुल कर रह रहा है और संयुक्त परिवार को टूटने से बचाया गया।
केस नं. 05 पति-पी का शक हुआ दूर, बढ़ी नजदीकियां
शिकायतकर्ता रचना चौधरी (परिवर्तित नाम) पति सुरेश (परिवर्तित नाम) पत्नी के चरित्र पर शक करते थे। दोनों को वन स्टॉप सेंटर बुलाकर समझाया गया कि विश्वास के बिना रिश्ता नहीं चल सकता। सुरेश को गलती का अहसास हुआ और उन्होंने माफी मांगकर रिश्ते को नई शुरुआत दी।
केस नं. 06 पति की बेरुखी से तंग महिला ने ली न्याय की राह
शिकायतकर्ता अंजली (परिवर्तित नाम) पति, सास-ससुर द्वारा दहेज प्रताडऩा और गाली-गलौज से पीडि़त अंजली ने वन स्टॉप सेंटर में शिकायत की। पति ने साथ रहने से इनकार कर दिया। महिला को न्यायालय जाने की सलाह दी गई और विधिक सहायता के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भेजा गया। मामला अब न्यायालय में विचाराधीन है।
जिले में सखी केंद्र 2017 से महिलाओं की सहायता के लिए है सक्रिय।
अब तक कुल 1864 केस दर्ज, जिनमें घरेलू हिंसा, पारिवारिक विवाद, कानूनी सहायता और अस्थाई आश्रय शामिल हैं।
391 घरेलू हिंसा प्रकरण दर्ज, महिलाओं की सुरक्षा के लिए गंभीर मामलों में डीआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की गई।
1172 मामलों में परामर्श, अनुभवी परामर्शदाताओं के जरिए पति-पत्नी के विवाद, पारिवारिक मनमुटाव को सुलझाया गया।
242 महिलाओं को आश्रय, संकट की स्थिति में महिलाओं को अस्थायी आवास देकर उन्हें सुरक्षित उनके घर तक पहुंचाया गया।
प्रभावी काउंसलिंग से बदले हालात, टीम के परामर्श से कई टूटते परिवार फिर से जुड़े।
181 हेल्पलाइन से त्वरित रिस्पॉन्स, महिला हेल्पलाइन से प्राप्त शिकायतों पर तत्परता से कार्रवाई की जाती है।
हर केस बना मिसाल, शराब, संदेह, घरेलू कलह और दहेज जैसी समस्याओं में कानूनी और भावनात्मक दोनों स्तर पर समाधान। सम्मान के साथ घर वापसी, अनेक महिलाओं को ससुराल में फिर से स्थान दिलाया गया, रिश्तों में आई कड़वाहट को समझाइश से दूर किया गया।
सशक्तिकरण की मिसाल, वन स्टॉप सेंटर सिर्फ सहायता नहीं, बल्कि महिलाओं के आत्मबल और पुनर्वास का माध्यम बन चुका है।
अधिकारी ने कही यह बात
नयन सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी-महिला बाल विकास विभाग ने कहा कि केंद्र का उद्देश्य संकट में आई महिलाओं को एक ही छत के नीचे हर प्रकार की सहायता उपलब्ध कराना है। घरेलू हिंसा, पारिवारिक विवाद, दहेज प्रताडऩा या अन्य किसी भी समस्या से जूझ रही महिलाओं को केंद्र पर कानूनी, चिकित्सकीय, परामर्श व अस्थायी आश्रय जैसी सभी सुविधाएं दी जाती हैं। टीम संवेदनशीलता और गोपनीयता के साथ प्रत्येक प्रकरण को संभालती है। कई बार सिर्फ सही परामर्श से रिश्ते फिर से जुड़ जाते हैं। महिलाएं अपने आत्मसम्मान के साथ दोबारा अपने घर लौटती हैं, यही सबसे बड़ी सफलता है।
Hindi News / Katni / मुस्कुराहट में बदले आंसू: शराब, शक, हिंसा से टूटते परिवार को बिखरने से बचाया, सम्मान के साथ ससुराल लौंटी महिलाएं