एक दिन में चार का डायलिसिस
डायलिसस सेंटर में एक दिन में 4 मरीजों का डायलिसिस हो रहा था। उल्लेखनीय है कि जहरीला पदार्थ खाने, सर्पदंश, दुर्घटना सहित अन्य स्थितियों में भी डायलिसिस की आवश्यता होती है। ब्लड प्रेशर, शुगर व अन्य कारणों से जब मरीज की किडनी पूरी तरह से कामकरना बंद कर देती है और उन्हें नियमित डायलिसिस की आवश्यकता होती है। हैरानी की बात तो यह है कि इतने लंबे समय से खराब पड़ी मशीन को ठीक कराने अस्पताल प्रबंधन ने ध्यान नहीं दिया और गुर्दा रोगी दर्द को लेकर भटक रहे हैं।
डायलिसिस को लेकर खास-खास
– बीपीएल और अंत्योदय कार्ड धारकों का नि:शुल्क होता है डायलिसिस।
– एपीएल कार्ड धारकों से लिए जाते हैं मात्र 500 रुपए।
– निजी अस्पताल में डायलिसिस के लगते हैं 2 से 3 हजार रुपए।
– तीन साल में २ हजार से अधिक लोगों का हो चुका है डायलिसिस।
इसलिए जरुरी है डायलिसिस
– रक्त में बढे हुए विषैले तत्व क्रिएटिनिन, यूरिया को बाहर कर रक्त को साफ करना।
– शरीर में जरुरत के अनुसार पानी का प्रमाण नियंत्रित करना।
– रक्त में सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड, मैग्नीशियम आदि इलेक्ट्रोलाइट की मात्रा नियंत्रित करना।
– रक्त में एसिड की मात्रा को नियंत्रित करना।
– क्रॉनिक रिनल डिजीज या क्रॉनिक किडनी डिजीज के कारण क्रिएटिनिन क्लियरेंस रेट 15 फीसदी या उससे भी कम हो जाए तो डायलिसिस करना पड़ता है।
– यूरिमिक पेरिकार्डाइटिस, यूरिमिक एनकेफे लोपैथी और यूरिमिक गैस्ट्रोपैथी जैसे रोगों की वजह से भी डायलिसिस की जरूरत पड़ती है।
भोपाल से हाती है मशीनों की रिपेयरिंग
डायलिसिस यूनिट की मशीनें व सिस्टम खराब हो गया है। मशीनों की रिपेयरिंग स्थानीय स्तर पर नहीं हो रही है। ऐसी स्थिति में मशीनों की रिपेयरिंग भोपाल से आने वाले मैकेनिक करते हैं। जब कंपनी के कर्मचारी आएंगे और रिपेयरिंग होंगी तक बंद पड़ी यूनिट शुरू होगी।
इनका कहना है
मुझे जानकारी नहीं है कि डायलिसिस यूनिट बंद पड़ा है। आपके द्वारा मुझे यह जानकारी दी गई है। यह तो गंभीर समस्या है। मैं सिविल सर्जन से इस मामले में बात करता हूं और जल्द से जल्द डायलिसिस यूनिट शुरू कराया जाएगा।
केवीएस चौधरी, कलेक्टर।
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डायलिसिस यूनिट का संचालन डीसीडीसी कम्पनी करती है और मशीनें कम्पनी के अंडर में ही हैं। जो एक सप्ताह व उससे भी अधिक समय से खराब पड़ी हैं। जिसे लेकर कम्पनी के लोगों से व अधिकारियों से मौखिक रूप से और पत्र व ईमेल के माध्यम से जानकारी दे दी गई है, लेकिन कम्पनी ने अभी तक इस समस्या को खत्म करने का कोई प्रयास नहीं किया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से चर्चा की है। एक दो दिन में यूनिट ठीक हो सकता है।
डॉ. एसके शर्मा, सिविल सर्जन।