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ऐसे भी बदलती है किस्मत: 300 किसानों ने अपनाई हल्दी, अदरक, अश्वगंधा और तुलसी की खेती

बड़ी कंपनियों ने दिखाई खरीद में रुचि, जिले के ढीमरखेड़ा व बड़वारा विकासखंड में कृषकों ने की पहल

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कटनी

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Balmeek Pandey

Dec 08, 2025

Farmers cultivated turmeric, ginger and ashwagandha

Farmers cultivated turmeric, ginger and ashwagandha

कटनी. जिले में प्राकृतिक, औषधीय एवं बागवानी फसलों को बढ़ावा देने कवायद चल रही है। ढीमरखेड़ा और बड़वारा क्षेत्र के करीब 300 किसानों ने पारंपरिक खेती से हटकर हल्दी, अदरक, अश्वगंधा और तुलसी की उन्नत खेती शुरू की है। इन फसलों की इस वर्ष अच्छी पैदावार होने की संभावना जताई जा रही है, जिसके चलते डाबर इंडिया लिमिटेड, सुहाना मसाला महाराट्र एवं अन्य कंपनियों ने इन उत्पादों की खरीद में रुचि दिखाई है।
किसानों की उपज को उचित दाम दिलाने और मार्केट से जोडऩे के लिए एफपीओ संगम बीडी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी भी सक्रिय है। यह कंपनी नीमच मंडी, डाबर इंडिया और सुहाना मसाला की प्रबंधन टीमों से लगातार संपर्क बनाए हुए है, ताकि किसानों को उनकी उपज का सर्वोत्तम मूल्य मिल सके। बता दें कि कलेक्टर आशीष तिवारी ने जिले में प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा देने व किसानों को नकदी फसल तैयार कर कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिए प्रेरित करने पहल की जा रही है।

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नि:शुल्क बीज वितरण से बढ़ा प्रोत्साहन

पर्यावरणविद एवं मानव जीवन विकास समिति के सचिव निर्भय सिंह ने बताया कि कृषि विभाग के आत्मा कार्यक्रम, नाबार्ड की नानबाड़ी परियोजना, मानव जीवन विकास समिति के सहयोग से 300 किसानों को हल्दी, अदरक, अश्वगंधा और तुलसी के नि:शुल्क बीज प्रदान किए गए। पिछले वर्ष भी किसानों को अश्वगंधा के बीज दिए गए थे, जिसमें 25 एकड़ में हुई खेती की उपज को नीमच मंडी में 25 हजार रुपए प्रति क्विंटल में बेचा गया, जिससे किसानों को सीधा लाभ मिला।

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बड़ी उपज होने की संभावना

किसानों के अनुमानों के अनुसार 500-600 क्विंटल अदरक, 1500-1600 क्विंटल हल्दी, करीब 100 किलो तुलसी, अश्वगंधा की भी उत्कृष्ट उपज प्राप्त होने वाली है। इस वर्ष किसानों को मिलने की संभावना है। ढीमरखेड़ा विकासखंड के 8 गांव जिनमें कोठी, हर्रई, सगौना, सिवनी, दैगवां, दियागढ़, उमरपानी, छाहर व बड़वारा क्षेत्र के गांवों में भी यह खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है।

किसानों की मानसिकता में सकारात्मक बदलाव


सचिव निर्भय सिंह ने बताया कि शुरुआत में किसानों के मन में उन्नत फसलों को लेकर संदेह था। ग्रामीणों ने पहले वर्ष इसे आजमाने का निर्णय लिया था, लेकिन अब परिणाम देखकर किसान उत्साहित हैं। उनका कहना है कि इस नई खेती का अनुभव शानदार रहा है। अगले साल हम इससे भी ज्यादा रकबे में खेती करेंगे।