
जियोलॉजिकल सर्वे का दावा
कटनी. एमपी के कटनी जिले में खरबों का खजाना छुपा हुआ है। यहां दुर्लभ धातुओं का अथाह भंडार है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआइ) का दावा है कि इस क्षेत्र में वैनेडियम, लीथियम, टाइटेनियम, कोबाल्ट, क्रोमियम, प्लेटिनम और निकिल जैसी बेशकीमती धातुओं की मौजूदगी पाई गई है। यह भारत ही नहीं बल्कि पूरे एशिया के लिए भी दुर्लभ है।
आयरन ओर और मार्बल की वजह से खनन क्षेत्र में पहचान बनाने वाले कटनी जिले में अब दुर्लभ धातुओं के खजाने का पता चला है। जीएसआइ 1995 से धातुओं को खोजने का जो अभियान चला रहा है, उसमें महाकौशल का कटनी भी शामिल है। कटनी जिले में लेटराइट, डोलोमाइट, मैगनीज और आयरन ओर बहुतायत मात्रा में निकाला जाता है और इनकी कई खदानें संचालित हैं।
इन धातुओं की जांच में पता चला है कि दुर्लभ किस्म की बेशकीमती दूसरी धातुएं भी इन खदानों में मौजूद हैं। जीएसआइ के अनुसार इन कीमती धातुओं के लिए कटनी में बड़ा स्कोप है। क्रिटिकल मिनरल्स के लिए काम काम चालू होने वाला है। पहले निकिल और कोबाल्ट धातु निकालने का लक्ष्य तय किया गया है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार प्रारंभिक सर्वे हो गया है, उसमें बेहतर परिणाम आए हैं। अब इसके लिए जी-4 लेवल पर काम शुरू किया जाना है। अच्छा माल आने पर प्रोजेक्ट को आगे ले जाया जाएगा।
कटनी के आसपास जो लेटराइट निकल रहा है, उसमें सैलेनियम, निकेल, टाइटेनियम, कोबाल्ट, प्लेटिनम, वैनेडियम, क्रोमियम, लीथियम धातु शामिल हैं। इनका उपयोग मिसाइल और बैट्री बनानेमें होता है।
नीलामी कराने के लिए ब्लॉक बनाने की तैयारी
जिले में मिली क्रिटिकल धातुओं के लिए ब्लॉक बनाने की तैयारी की जा रही है, ताकि नीलामी कराई जा सके। जीएसआइ का मानना है कि इन धातुओं के शोधन के लिए देश के भीतर प्लांट लगें तभी मेहनत सार्थक होगी। अभी इन धातुओं पर यूरोप के देशों का एकाधिकार है। इसलिए शोधन के लिए बाहर भेजना उचित नहीं होगा। तकनीक जुटाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसके प्रस्ताव जीएसआइ के रीजन ऑफिस भोपाल और मुख्यालय कोलकाता भेजे गए हैं।
मुख्यालय को कटनी में मिनरल्स निकालने के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा—
जीएसआइ की डिप्टी डायरेक्टर जनरल सुभ्रा सरकार के अनुसार वर्ष 1995 से क्रिटिकल मिनरल्स की खोज चल रही थी। कोलकाता मुख्यालय को कटनी में मिनरल्स निकालने के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। हमारा काम एक्सप्लोर करके ब्लॉक देना और ऑक्सन के लिए तैयार करना होता है। आइबीएम द्वारा आगे की प्रक्रिया की जाती है। इन धातुओं की खोज से देश को बड़ा फायदा तब होगा जब यहीं पर इंडस्ट्री तैयार कर शोधन और उपयोग होगा।
Published on:
15 Apr 2023 07:58 am
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