
KDA is unable to build a colony
कटनी. कटनी विकास प्राधिकरण की झिंझरी में 6.31 हैक्टेयर भूमि पर बनी आवासीय योजना में एक बार फिर पेंच फंस गया है। योजना के क्रियान्वयन के लिए केडीए को रेरा से अबतक अनुमति नहीं मिली है, जिसके चलते योजना साकार नहीं हो पा रही है। इसका कारण खसरे में भूस्वामी (केडीए) का नाम दर्ज न होना है। हैरानी की बात तो यह है कि योजना के क्रियान्वयन की प्रक्रिया पिछले कई वर्षों से चल रही है लेकिन अफसरों ने अबतक केडीए को आवंटित जमीन अपने नाम दर्ज नहीं कराई है। करीब छह माह पूर्व कलेक्टर व जेडीए व केडीए के अफसरों के बीच योजना के क्रियान्वयन को लेकर बैठक हुई और जल्द कार्य शुरू कराने का निर्णय लिया गया लेकिन अबतक अधिकारी खसरा में प्रवृष्टि नहीं करवा सके है।
जानकारी के अनुसार कटनी विकास प्राधिकरण को झिंझरी में 85.60 हेक्टेयर भूमि आवंटित है। इस आवंटित भूमि पर केडीए ने प्रथम चरण में 6.31 हेक्टेयर में ावासीय योजना बनाई है। इसके योजना के क्रियान्वयन के लिए केडीए ने जबलपुर विकास प्राधिकरण से राशि उधार लेकर कटनी विकास प्राधिकरण ने नगरनिगम को कॉलोनी विकास अनुज्ञा प्रदान करने के लिए अनुज्ञा शुल्क, आश्रय शुल्क, श्रमिक उपकर, पर्यवेक्षण आदि के मद में 47 लाख 19 हजार 622 रुपए व प्रापर्टी टैक्स 26 लाख में से 9 लाख रुपए का भुगतान किया है। इस राशि के भुगतान के बाद अब रेरा पंजीयन करवाकर जमीनों का विक्रय किया जाना है लेकिन अबतक पेंच फंसा हुआ है। केडीए के अफसरों का कहना है कि कैफियत के कॉलम में केडीए दर्ज है लेकिन खसरा में अबतक प्रवृष्टि न होने के कारण रेरा में पंजीयन उटका हुआ है।
भूभाटक व प्रीमियम के लिए लेना होगा उधार
जानकारी के अनुसार नजूल निवर्तन नियमों के अनुसार केडीए को खुद के नाम पर जमीन दर्ज कराने के लिए नियमानुसार जमीन का भूभाटक व प्रीमियम की राशि सरकार को जमा करनी होगी। इसके लिए करीब 3 करोड़ रुपए भुगतान किए जाने का अनुमान है, जिसे केडीए को जबलपुर विकास प्राधिकरण से उधार लेकर चुकाना होगा।
आवासीय योजना से होगा यह फायदा
शहर में अवैध कॉलोनियों व प्लाटिंग की भरमार है। इन कॉलोनियों में लोग खून-पसीने की कमाई खर्चकर आशियाना तो बना लेते हैं, लेकिन फिर कई साल तक कॉलोनाइजरों द्वारा मूलभूत सुविधाओं पर काम न करने के लिए परेशान रहते हैं। जो कॉलोनियां वैध बनी हैं वहां के दाम सातवें आसमान पर होते हैं, जिससे सामान्य व्यक्ति को आशियाना बनाने के लिए जमीन खरीद पाना दूर की कौड़ी साबित होता है। केडीए की योजनाएं साकार होने से आमजन का अपनी जमीन और मकान का सपना पूरा होगा।
निजी बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लगते रहे आरोप
सरकारी आवासीय परियोजना में लगातार विलंब होने के साथ ही अलग-अलग कारणों से गति नहीं मिलने और प्रोजेक्ट के फेल हो जाने के बाद नागरिक निजी बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के आरोप लगाते रहे हैं। शहर के रहवासियों का कहना है कि झिंझरी में सरकारी आवासीय प्रोजेक्ट के जमीन पर उतरने पर कई निजी बिल्डरों को नुकसान होगा और यही कारण है कि इस प्रोजेक्ट में लगातार विलंब हो होता रहा है। वहीं अब एकबार फिर शहरवासियों को राहत मिलती दिख रही है।
ये है झिंझरी आवासीय कालोनी का प्लान
केडीए की ये योजनाएं भी मांग रही सांसें
बरगवां में नगर विकास स्कीम क्रमांक-2
शहर में केडीए के अन्य योजनाएं दमतोड़ रही है, इन योजनाओं को सांसों की दरकार है। इनमें बरगवां स्थित योजना भी शामिल है। वर्ष 2013 में केडीए को बरगवां में 3.442 हैक्टेयर भूमि का आवंटन योजनाओं के क्रियान्यवन के लिए किया गया था। वर्ष 2021 में केडीए ने नगर विकास स्कीम क्रमांक-2 तैयार कर सूचना का प्रकाशन किया। सूचना प्रकाशन में ही अफसरों को 8 वर्ष लग गए। योजना अबतक सिर्फ सिर्फ सूचना का प्रकाशन ही हुआ है। बजट का आभाव होने के कारण योजना अबतक ठप पड़ी हुई है। बताया जा रहा है कि संभवत: योजना को सरेंडर कर दिया गया है।
खिरहनी में जमीन लेकिन रास्ता नहीं
केडीए को वर्ष 2013 में ग्राम खिरहनी में योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए 0.656 हैक्टेयर भूमि आवंटित की गई। केडीए ने यहां रिहायशी भवनों का निर्माण कर एक कालोनी विकसित करने की योजना बनाई लेकिन आवंटित जमीन तक पहुंचने कोई भी शासकीय मार्ग नहीं मिला। जिसके चलते योजना क्रियान्वित नहीं हो सकी।
इनका कहना
केडीए की झिंझरी स्थित आवासीय योजना के क्रियान्वयन को लेकर कार्य चल रहा है। नजूल निवर्तन नियमों के अनुसार जमीन केडीए के नाम पर जल्द दर्ज होगी। भूभाटक व प्रीमियम राशि जमा कराने को लेकर भी चर्चा की गई है। जल्द ही योजना के तहत कार्य शुरू किया जाएगा।
दिलीप कुमार यादव, कलेक्टर
Published on:
19 Jan 2025 09:41 pm
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