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थानों में निजी चालक संभाल रहे पुलिस वाहनों की स्टेयरिंग!, बगैर स्वीकृति मनमानी

कटनी जिले में पुलिस वाहनों के संचालन को लेकर गंभीर व्यवस्थागत खामियां सामने आई हैं। पर्याप्त सरकारी वाहन चालकों के अभाव में थानों में निजी चालकों की तैनाती नियमों के उल्लंघन की ओर इशारा करती है। सीमित चालकों पर 24 घंटे की ड्यूटी से न केवल कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है, बल्कि दुर्घटना का जोखिम भी बढ़ रहा है।

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कटनी

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Balmeek Pandey

Dec 18, 2025

unfit police officers ig arvind saxena warning guna mp news

unfit police officers ig arvind saxena warning (Patrika.com)

कटनी. जिले की कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने वाले जिला पुलिस बल में व्यवस्थागत खामियां अब खुलकर सामने आने लगी हैं। जिले के पुलिस थानों और इकाइयों में 50 से अधिक पुलिस अधिकारी-कर्मचारी व थानों के लिए दर्जनों वाहन उपलब्ध हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इनके संचालन के लिए केवल लगभग 35 वाहन चालक ही पदस्थ हैं। यदि दिन और रात की अलग-अलग शिफ्टों को ध्यान में रखा जाए तो कम से कम 100 से अधिक वाहन चालकों की आवश्यकता होती है, साथ ही रिजर्व में भी पर्याप्त चालक होने चाहिए।
पर्याप्त सरकारी चालकों के अभाव में कई थानों में निजी वाहन चालक पुलिस के वाहनों को फर्राटे से दौड़ा रहे हैं। सवाल यह उठता है कि इन निजी चालकों की नियुक्ति किसके आदेश से की गई और उनका वेतन आखिर किस मद से दिया जा रहा है। नियमों के अनुसार थानों में निजी वाहन चालकों की तैनाती की अनुमति मुख्यालय से नहीं है, इसके बावजूद शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के थानों में बाहरी चालक पुलिस वाहनों की कमान संभाले हुए हैं।

निगरानी प्रणाली पर उठे सवाल

यह स्थिति पुलिस अधिकारियों की निगरानी और प्रशासनिक नियंत्रण व्यवस्था पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े करती है। चर्चा यह भी है कि पुलिस लाइन में पर्याप्त वाहन चालक उपलब्ध हैं, फिर भी थानों में निजी चालकों को जिम्मेदारी सौंपी जा रही है, जो व्यवस्था की गंभीर खामी को दर्शाता है।

कई थानों में चालक ही नहीं, कहीं 24 घंटे की शिफ्ट

जानकारी के अनुसार कुठला थाने में वाहन चालक की पदस्थापना ही नहीं है। वहीं कोतवाली थाने में 24 घंटे की शिफ्ट में विशाल राय, एनकेजे थाने में ओमशिव तिवारी और माधवनगर थाने में नवीनदत्त शुक्ला की पोस्टिंग बताई जा रही है। इससे स्पष्ट है कि सीमित चालकों पर अत्यधिक दबाव डाला जा रहा है, जो किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।

थानों में बाहरी व्यक्तियों की सक्रियता, सुरक्षा पर सवाल

शहर और जिले के थानों में बाहरी व्यक्तियों की सक्रियता भी चिंता का विषय बनी हुई है। नगर रक्षा सैनिक भी नियमित रूप से पुलिसिंग करते नजर आ रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि थानों में बाहरी व्यक्तियों की यह सक्रियता किस हैसियत और किस अधिकार से है, यह स्पष्ट नहीं है। अधिकारियों द्वारा इस ओर ध्यान न दिया जाना कई तरह के संदेह और सवालों को जन्म दे रहा है। पुलिस जैसे संवेदनशील विभाग में इस तरह की लापरवाही न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि सुरक्षा और गोपनीयता के लिहाज से भी गंभीर खतरा पैदा कर सकती है। अब जरूरत है कि पुलिस प्रशासन इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर स्पष्ट करे कि निजी वाहन चालक किन परिस्थितियों में तैनात किए गए हैं और जल्द से जल्द व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए।

वर्जन

किसी भी थाने में बाहरी व्यक्तियों को सरकारी वाहन चलाने के लिए अधिकृत नहीं किया है। यदि किसी थाने में इस प्रकार का हो रहा है तो जांच कराई जाएगी। जांच में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

अभिनय विश्वकर्मा, एसपी।