कटनी जिले के ढीमरखेड़ा तहसील के इटोली गांव का यह मामला है, जहां श्मशान में अंतिम संस्कार के लिए लोगों को तिरपाल और पन्नी ढंककर अंतिम संस्कार करना पड़ता है।
इटौली गांव के 72 वर्षीय बुजुर्ग बैद्यनाथ के निधन के बाद ग्रामीण शव लेकर मुक्तिधाम पहुंचे तो हमेशा की तरह एक बार फिर सरकारी अव्यवस्था से रूबरू हुए। यहां अंतिम क्रिया की तैयारी चल ही रही थी, शव को चिता पर रखने के के बाद अग्नि संस्कार होना ही था तभी तेज बारिश शुरू हो गई। इसके बाद फौरन ग्रामीण दौड़कर गए और पास के घरों से पॉलिथीन लेकर आए और चिता को ढंका। इसके बाद अग्नि संस्कार किया जा सका। इस दौरान ग्रामीण आधा घंटा से ज्यादा समय चिता को पॉलिथीन से ढंककर खड़े रहे, थोड़ी देर बाद जब चिता में अग्नि लगाई गई तब जाकर ग्रामीण दूर हटे। हालांकि यदि बारिश तेज होती तो शव का अंतिम संस्कार भी मुश्किल था।
शव नहीं सरकार की नाकामी को ढंकते हैं हम :-:
इस अव्यवस्था से परेशान ग्रामीणों में गुस्सा देखा गया। वे कहते हैं कि इतने सालों से हम ऐसे ही अंतिम संस्कार करते आए हैं। कई सरकारें बदलती गई, लेकिन हमारी स्थिति कभी नहीं बदली। इस मुक्तिधाम में शेड निर्माण की मांग कई वर्षों से की जा रही है, लेकिन जिम्मेंदारों की बेपरवाही से कारण समस्या दूर नहीं हो रही है। अंतिम संस्कार के बाद ग्रामीणों ने कहा कि हर बार यही समस्या होती है। हम इस श्मशान घाट पर शव को नहीं, सरकार की नाकामी को पॉलिथिन से ढंकते हैं।
क्या कहते हैं जिम्मेदार लोग :-:
इटौली गांव के सरपंच तुलसीराम माझी ने बताया कि मुक्तिधाम में शेड निर्माण का प्रस्ताव बनाकर जनपद ढीमरखेड़ा भेजा गया है। कई माह से प्रस्ताव विचाराधीन है। जनपद के सीइओ विनोद पांडेय बताते हैं कि सोमवार को पॉलिथीन ढंककर अंतिम संस्कार किए जाने की जानकारी मिली है। मुक्तिधाम निर्माण को लेकर इंजीनियर ने बताया कि पहले निर्माण में शेड का प्रावधान नहीं था। अब पंच परमेश्वर योजना से निर्माण करवाएंगे।