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नोटबंदी इफेक्ट: आधे मजदूर रोजाना रह जाते हैं बेरोजगार

नोटबंदी की मार, दो माह बाद भी मुश्किल से मिल रहा रोजगार, सुभाषचौक पर रोजाना पहुंचते हैं मजदूर

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sudhir@123 shrivas

Jan 16, 2017

majdur

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कटनी। नोटबंदी क्या हो गई हमें तो दो माह बाद भी रोजगार बमुश्किल मिल रहा है। लोगों को तो अब बैंक और एटीएम से पैसे भी मिलने लगे हैं। एटीएम की कतारें खत्म हो गई और बाजार भी पहले की तरह ही अब गुलजार हो गए हैं, लेकिन घरों व कालोनियों में निर्माणकार्य बंद पड़े हैं। यह समस्या है सुभाष चौक के समीप रोजाना अलसुबह काम की तलाश में पहुंचने वाले मजदूरों की।
शहर व आसपास के क्षेत्रों के मजदूरों को काम मिलने का यह एक स्थान मजदूरों ने खुद ही निश्चित किया है। यहां मजदूरों की तलाश में लोग पहुंचते हैं और आवश्यकतानुसार मोलभाव कर उन्हें अपने साथ ले जाते हैं। वर्तमान में इन मजदूरों को यहां भी काम मिलना मुश्किल हो रहा है। मजदूरों का कहना है कि नोटबंदी को दो माह से अधिक का समय बीत गया है, लेकिन पहले की तरह काम अबतक नहीं मिल पा रहा है। रोजाना आधे से अधिक संख्या में मजदूर काम न मिलने के कारण निराश होकर वापस घरों को लौट जाते हैं। काम की तलाश में रविवार को यहां खड़े बबलू बर्मन, दुर्गा साहू, लटोरा कुशवाहा, अरविंद हल्दकार, राजू चौधरी ने बताया कि अधिकांश स्थानों पर निर्माणकार्य बंद पड़े हुए हैं। लोग नोटबंदी की समस्या का रोना अबतक रो रहे हैं और हमें काम मिलना मुश्किल हो रहा है।
मनरेगा से नहीं सरोकार
यहां काम की तलाश में पहुंचने वाले अधिकांश मजदूर शहरी सीमा के हैं, जिन्हें मनरेगा से काम मिलना ही मुश्किल है। कई मजदूर जो आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं। छोटू चौधरी, अशोक चौधरी, सोनेसिंह ठाकुर का कहना है कि कागजों में दौड़ रही योजना से काम की उम्मीद नहीं है। महीनों से मनरेगा में कार्य नहीं मिल सका है।

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