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Nagaur patrika…जिले में पेयजल संकट गहराया: आधी आबादी तक पहुंच रहा दूषित पानी

जलापूर्ति में लापरवाही, कई इलाकों में मिट्टीयुक्त पानी की सप्लाई जारी नागौर जिले में शुद्ध पेयजल की किल्लत ने आम जीवन को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। जिले के अधिकांश ग्रामीण और शहरी इलाके दूषित और गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं। स्थानीय लोग लगातार जलापूर्ति की […]

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जलापूर्ति में लापरवाही, कई इलाकों में मिट्टीयुक्त पानी की सप्लाई जारी

नागौर जिले में शुद्ध पेयजल की किल्लत ने आम जीवन को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। जिले के अधिकांश ग्रामीण और शहरी इलाके दूषित और गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं। स्थानीय लोग लगातार जलापूर्ति की गुणवत्ता में गिरावट की शिकायत कर रहे हैं, लेकिन इस गंभीर मुद्दे पर प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। अधिकारियों की लापरवाही और गुणवत्ता नियंत्रण की अनदेखी से स्थिति बिगड़ती जा रही है।

जलापूर्ति की गुणवत्ता में गिरावट, सैम्पल जांच महीनों से नहीं हुई
जिले के विभिन्न हिस्सों जैसे नागौर ग्रामीण, जायल, खींवसर, मेंड़ता, डेगाना और रिया में जल की गुणवत्ता बेहद खराब हो चुकी है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि जलापूर्ति के पानी के सैम्पल की जांच कई महीनों से नहीं की गई है। कई बार शिकायत देने के बाद भी ना तो पाइपलाइन की सफाई हो रही है, न ही दूषित पानी की आपूर्ति पर कोई ध्यान दिया जा रहा है।
काफी समय से खराब आ रहा पानी
जायल के निवासी राकेश कुमार (45) ने कहा, "हमारे गांव में कई महीनों से नल से गंदा पानी आ रहा है। हम कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन अधिकारियों ने कोई कदम नहीं उठाया। मेंड़ता के कृष्णलाल (58) ने बताया, "पानी में मिट्टी और गंदगी इतनी ज्यादा है कि हमें मजबूरी में दूर-दराज से पानी लाना पड़ता है।

दूषित पानी से बढ़ी बीमारियां, ग्रामीण क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित
गंदा पानी पीने से उल्टी, दस्त, बुखार और त्वचा संबंधी रोगों के मामलों में इज़ाफा हुआ है। खासकर ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी खराब है। डेगाना के सुरेश (50) ने कहा, "हमारे गांव में बच्चों को बार-बार पेट की बीमारियां हो रही हैं। गंदे पानी से होने वाली बीमारियां हमारे लिए रोज़ की समस्या बन गई हैं। रिया के गांव में निवासी श्यामलाल (60) बताते हैं, "पानी का स्तर इतना खराब है कि कई बार हमारी बकरियां भी बीमार हो चुकी हैं। हम अब मजबूरी में टैंकर से पानी मंगवाते हैं, लेकिन वह भी पर्याप्त नहीं होता।"

केन्द्र के निर्देश लागू नहीं, राज्य सरकार पर भी सवाल
केंद्र सरकार ने जलापूर्ति में सुधार के लिए राज्य सरकार को सख्त दिशा-निर्देश दिए थे। जिसमें पानी की गुणवत्ता की नियमित जांच और नियंत्रण की बात की गई थी। लेकिन राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों ने इन निर्देशों को नजरअंदाज कर दिया है, और विभागीय कार्यों में कोई सुधार नहीं हुआ है।

स्थानीय लोगों का प्रदर्शन, प्रशासन की उदासीनता
जल संकट के विरोध में ग्रामीण कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं और शुद्ध पानी की आपूर्ति की मांग कर रहे हैं। जायल के निवासी नरेश कुमार (38) ने कहा, "हमने कई बार अधिकारियों से मांग की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बावजूद प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। लोग अब मजबूरी में गंदा पानी पीने के लिए विवश हैं। जिससे उनकी स्वास्थ्य समस्याएं और बढ़ रही हैं।

क्या हैं स्वच्छ पानी के मानदंड
स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल सुनिश्चित करने के लिए सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय ने कुछ मानक तय किए हैं, जिनका पालन करना आवश्यक है।
पानी की शुद्धता जल में कोई भी हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस या रासायनिक पदार्थ नहीं होने चाहिए। पीएच स्तर पानी का पीएच स्तर 6.5 से 8.5 के बीच होना चाहिए, ताकि वह पीने योग्य रहे। क्लोरीन की मात्रा पानी में क्लोरीन की मात्रा 0.2 से 0.5 मिग्रा प्रति लीटर के बीच होनी चाहिए, ताकि बैक्टीरिया और वायरस का नाश हो सके। लवणता पानी में घुले हुए खनिजों की मात्रा 500 मिग्रा प्रति लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। पानी का स्वाद और गंध पानी में किसी भी प्रकार की अप्रिय गंध या स्वाद नहीं होना चाहिए। वॉटर टेम्परेचर पानी का तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए, ताकि उसमें किसी भी प्रकार के बैक्टीरिया का विकास न हो।

पानी की जांच कराई जा रही हे
शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल के नमूनों को लेकर जांच कराई जा रही है। विशेषकर गांवों एवं ढाणियों में पानी की जांच कराने के लिए लिए अभियंताओं को विशेष निर्देश दिए गए हैं।
श्रवण सिंह खिडिय़ा, अधीक्षण अभियंता, जलदाय विभाग नागौर