26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

एंबुलेंस नहीं आई तो घायल वृद्ध की जान बचाने चारपाई में लादकर 1.5 किमी चले ग्रामीण

प्राइवेट वाहन से पहुंचा उमरियापान अस्पताल, गांव तक सडक़ नहीं होने से ग्रामीण परेशान, ढीमरखेड़ा तहसील के सारंगपुर से झकाझोर तक की सडक़ खराब

2 min read
Google source verification

कटनी

image

Balmeek Pandey

Jul 27, 2025

patient did not get an ambulance

patient did not get an ambulance

कटनी/उमरियापान. ग्रामीण क्षेत्र में सडक़ के अभाव ने एक बार फिर व्यवस्था की पोल खोल दी है। झकाझोर में शनिवार को जंगली सुअर ने खेत पहुंचे एक वृद्ध पर हमला कर दिया। घायल वृद्ध को स्वास्थ्य केंद्र ले जाने के लिए परिजन व ग्रामीणों को एंबुलेंस की जगह चारपाई का सहारा लेना पड़ा। कीचड़ भरे रास्ते और ऊबड़-खाबड़ पगडंडियों से होकर चारपाई पर लिटाए मरीज को डेढ़ किलोमीटर दूर मुख्य सडक़ तक लाया गया, जहां से निजी वाहन से अस्पताल भेजा गया।
ढीमरखेड़ा तहसील अंतर्गत खंदवारा ग्राम पंचायत के सारंगपुर के झकाझोर निवासी हुकुमचंद पटेल (65) शनिवार सुबह फसल देखने खेत गए थे। इसी दौरान एक वन्य प्राणी(जंगली सुअर) ने वृद्ध पर हमला कर दिया। वन्यप्राणी ने जबड़े से घुटने के ऊपर पकड़ा और पूरा मांस नोच डाला। वृद्ध चीख पुकार करते हुए खेत से जान बचाकर गांव की तरफ भागा। ग्रामीणों ने वृद्ध को चिल्लाता सुन बचाव के लिए दौड़े। ग्रामीणों ने देखा कि वृद्ध खेत की मेढ़ पर घायल पड़ा हैं। घुटने के ऊपर से खून बह रहा है। ग्रामीणों ने एंबुलेंस को फोन लगाया लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची। वृद्ध के परिजनों और ग्रामीणों ने आनन-फानन चारपाई निकाली और वृद्ध को लिटाया। झकाझोर से सारंगपुर तक डेढ़ किलोमीटर कीचड़ से सने उबड़-खाबड़ रास्ते से चारपाई से लाए। यहां भी एंबुलेंस नहीं पहुंची तो सारंगपुर से किराए से निजी वाहन कर उमरियापान अस्पताल पहुंचाया।

शिक्षा की नींव डगमगाई: 48 स्कूलों में नहीं एक भी मास्साब, 122 में जरूरत से ज़्यादा शिक्षक

यह है गंभीर समस्या

ग्रामीणों का कहना है कि झकाझोर से सारंगपुर तक सडक़ खराब होने से बारिश के दिनों में आवागमन मुश्किल भरा होता है। गांव तक पहुंचने का कोई पक्का रास्ता नहीं है। बारिश के दिनों में कीचड़ और दलदल से होकर गुजरना पड़ता है। कठिन डगर में ग्रामीण अपना सफर तय करते है। वर्षों से सडक़ की मांग की जा रही है, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं हुई। बरसात में हालात और भी बदतर हो जाते हैं। स्कूली बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है। गांव में यदि किसी की तबीयत बिगड़ती है तो अस्पताल पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं होता। कई बार समय पर इलाज न मिलने से लोगों की जान तक खतरे में पड़ जाती है।