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सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों ने नहीं मिल रहा राशन, ग्रामीण परेशान

-सहकारी समिति कर्मियों की हड़ताल के बाद एब कही सेल्समैन कर रहा परेशान तो कहीं सर्वर डाउन

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कटनी

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Ajay Chaturvedi

Feb 25, 2021

सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान

सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान

कटनी. जिले के कई इलाकों के सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों ने लोगों को राशन न मिलने की शिकायतें आ रही हैं। लोग परेशान हैं। कुछ दिन पहले सहकारी समिति कर्मचारियों की हड़ताल के चलते लोगों को राशन नहीं मिल पाया। अब हड़ताल के बाद कर्मचारी काम पर लौटे तो कहीं सर्वर डाउन तो कहीं सेल्समैन की लापरवाही के चलते उन्हें मायूसी हाथ लग रही है। ऐसे में लोगों ने इस मामले की शिकायत आला अफसरों से की लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं हुआ। ऐसे में गरीब तबका यानी बीपीएल श्रेणी के लोग खासे परेशान हैं।

जानकारी के मुताबिक जिले का करौंदी खुर्द गांव में तीन महीने से लोगो को राशन नहीं मिला है। बरही तहसील के करौंदी खुर्द गांव के लोगों का कहना है कि सेल्समैन की मनमानी के चलते उनकी परेशानी बढ़ गई है। हम लोगों ने ऊपर तक शिकायत भी की लेकिन कोई फायदा नहीं निकला।

इससे पहले सहकारी समिति कर्मचारियों की हड़ताल के चलते लोग परेशान रहे। उन्हें सस्ते गल्ले की दुकान से राशन नहीं मिल पाया। जानकारी के मुताबिक हड़ताल के चलते जिले में 23 सौ मीट्रिक टन गेहूं और 15 सौ मीट्रिक टन चावल नहीं बंट पाया। इससे 2 लाख परिवारों के 8 लाख से अधिक सदस्य प्रभावित हुए थे। इन परिवारों में करीब सदस्य 8 लाख 73 हजार सदस्य हैं। इनमें एक व्यक्ति को 5 किलो खाद्यान्न, तीन किलो गेहूं और दो किलो चावल और एक किलो नमक दिया जाता है। बता दें कि जिले में 473 राशन दुकान हैं। ये राशन दुकानें 54 सोसाइटी के अधीन संचालित हैं। इनमें से 77 दुकानें उपभोक्ता भंडार के अधीन है।

अब पिछले दो दिन पहले की बात करें तो शहर के राम मनोहर लोहिया वार्ड, माधवनगर स्थित राशन, बरगवां स्थित राशन दुकान में राशन न मिलने से उपभोक्ता परेशान रहे। लोगों का कहना है कि कमोबेश यही स्थिति पूरे जिले में है।

राशन का वितरण न होने और संबंधितों पर कार्रवाई न किए जाने से अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठने लगा है। ग्रामीणों ने बताया कि यह आप में एक बड़ा सवाल है कि सेल्समैन द्वारा प्रतिमाह राशन वितरण नहीं किया जाता। आलम यह है कि कभी-कभी गरीबों को बाजार से राशन लेना पड़ता है। ग्रामीणों ने अधिकारियों से शिकायत की, लिखित आवेदन किया लेकिन कोई सुनवाई न होने से वो परेशान हैं। अब तक ग्रामीणों ने इस मुद्दे पर उग्र आंदोलन तक की चेतावनी दे डाली है।