
sudama chakrwarti
कटनी. दोनो आंखो से नहीं दिखने के बाद भी ब्लाइंड जूडो में राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगिताएं जीतने वाली कटनी जिले के आदिवासी बाहुल्य ढीमरखेड़ा विकासखंड के दशरमन गांव में रहने वाली सुदामा चक्रवर्ती के जज्बे पर जर्मनी में फिल्म बन रही है। जनवरी के अंतिम सप्ताह में फिल्म बनाने जर्मनी से कटनी पहुंचे टीम के सदस्यों ने उस समय ही बताया था कि उनकी फिल्म में सुदामा का उदाहरण देकर बेटियों को यह सदेंश देने की कोशिश की जाएगी कि जीवन मेंं किसी भी चुनौती से पार पाने में बेटियां कहीं ज्यादा सक्षम होती है।
बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा सुदामा चक्रवर्ती बताती हैं कि 3 भाई और 2 बहनों में वे सबसे छोटी हैं। पिता छोटेलाल ने मजदूरी कर पालन पोषण किया है। मां सुम्मी बाई घर का काम करती हैं। पहली कक्षा में जब भाई के साथ प्रवेश लेने गईं तो शिक्षक ने यह कहकर लौटा दिया कि देख नहीं पाती तो पढ़ेगी कैसे। फिर भी सुदामा ने पढऩे की जिद नहीं छोड़ी तो अगले साल स्कूल में प्रवेश लिया। अक्षर स्पर्श कर पढ़ाई की। शासकीय उच्चतर माध्यमिक महात्मा गांधी स्कूल से कक्षा 12वीं पास कर वर्तमान में श्याम सुंदर अग्रवाल महाविद्यालय सिहोरा में बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं। उन्होंने जूडो का प्रशिक्षण तरूण संस्कार संस्था से प्राप्त किया है और अपनी स्नातक की पढ़ाई के साथ जूडो का निरंतर अभ्यास पड़वार स्टेडियम स्लीमनाबाद स्थित प्रशिक्षण केन्द्र में कर रही हैं।
बेटी सुदामा चक्रवर्ती बताती हैं कि लोग बेटियों को बेटा समझें। हमे यह मानना होगा कि रानी लक्ष्मीबाई ने कैसे अकेले अंग्रेजों का मुकाबला करने मैदान में उतर गईं थीं। जूडो खेल मुझे इसलिए पसंद है क्योंकि इसमें आत्मरक्षा की सीख भी होती है जो महिलाओं के लिए जरूरी है।
सुदामा ने इन प्रतियोगिताओं में कमाया नाम
- 2017 में गुडग़ांव दिल्ली में आयोजित पाचवें राष्ट्रीय जूडो प्रतियोगिता में सुदामा ने जीते स्वर्ण पदक.
- 2018 में राष्ट्रीय ब्लाइंड जूडो प्रतियोगिता में कांस्य पदक प्राप्त किया.
- 2021 में लखनऊ में आयोजित ब्लाइंड जूडो प्रतियोगिता में जीता कांस्य पदक.
Published on:
28 Mar 2022 12:05 pm
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