
अजब-गजब स्कूल: एक भी नहीं विद्यार्थी, फिर भी दो मास्साब को हर माह हो रहा था 62 हजार रुपये वेतन भुगतान
कटनी. जिला शिक्षा विभाग में हर दिन अजग-गजब मामले सामने आ रहे हैं। कई शिक्षकों को तो बिना काम के ही पगार लुटाई जा रही है। ऐसा ही एक मामला कटनी जनपद शिक्षा केंद्र अंतर्गत प्राथमिक शाला चकराघाट का सामने आया है। बस्ती के रहने वाले बच्चे या तो निजी स्कूल में पढ़ रहे हैं या फिर किसी अन्य स्कूल में, लेकिन चकराघाट प्राथमिक शाला में प्रवेश नहीं लिया है। आपको जानकार ताज्जुब होगा कि साल दर साल बच्चों की उपस्थिति घटती गई और शिक्षा विभाग कुछ नहीं कर पाया। हद तो तब हो जा रही है कि बिना बच्चों के शिक्षकों को दो साल से विभाग हर माह वेतन लुटाए जा रहा है।
बता दें कि यहां पर एक भी बच्चा दर्ज नहीं है। दो शिक्षक यहां पर पदस्थ थे। 31 दिसम्बर को शिक्षक हरिशंकर यादव प्राथमिक शिक्षक प्रधानाध्यापक सेवानिवृत्त हो गए हैं। जिन्हें 32 हजार रुपये वेतन मिल रहा था, इसी तरह प्राथमिक शिक्षक सुनीत पांडेय अभी भी पदस्थ हैं। जिनका वेतन लगभग 30 हजार रुपये है। स्कूल के आसपास हीरापुर कौडिय़ा, पिपरिया, अधिकांश लोग खेत में बसे हुए हैं। 32 परिवारों का मोहल्ला है। स्कूल जाने के लिए कीचड़ आदि रहता है, हमेशा समस्या रहती है, इसलिए अभिभावक इस स्कूल में बच्चों को पढ़ाने रुचि नहीं रखते। तीन-चार बच्चे जो बचे थे वे यहां से छोड़कर निजी स्कूलों में पढऩे चले गए हैं। ऐसे में शिक्षक द्वारा बार-बार मांग किए जाने के बाद भी अधिकारी न तो स्थानांतरित कर रहे और ना ही संलग्नीकरण, शिक्षा विभाग की इस तरह की कारगुजारी से शैक्षणिक स्तर लगातार खराब हो रहा है, क्योंकि अभी भी कई स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं।
यह है स्कूल की हकीकत
वर्ष दर्ज संख्या
2021-22 -00
2021-20 -01
2019-20 -02
मर्ज करने की प्रक्रिया अधर में
शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने में भी न तो कोई रुचि रखते और ना ही कोई सार्थक पहल होती, सिर्फ मर्ज-मर्ज खेल चल रहा है, लेकिन यहां के स्कूल को दो साल से मर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन अभी तक इसे न तो मर्ज किया गया है, और ना ही स्कूल की उपस्थिति दर्ज कराने कोई सार्थक पहल की गई। आरटीइ के नियम अनुसार किसी भी बसाहट से 2 किलोमीटर की बसाहट में यदि कोई स्कूल नहीं है तो उस स्कूल चालू रखना होता है, इस कारण स्कूल चल रहा है।
राशि भी नहीं हुई खर्च
बताया जा रहा है कि हर साल स्कूल के रंगरोगन सहित अन्य विकास कार्यों के लिए राशि भी आती है, लेकिन खर्च नहीं की गई। 90 हजार रुपये कंटनजेंसी आदि मद की राशि थी, लेकिन खर्च नहीं होने न प्रधानाध्यापक ने विभाग को लौटा दी है।
स्थानांतरण निरस्त, नहीं हुआ संलग्नीकरण
शिक्षक सुनीत पांडेय के द्वारा स्थानांतरण के लिए आवेदन लगाया गया और स्थानांतरण देवरी हटाई प्राथमिक शाला हो गया। लेकिन यहां पर पर राज्य स्तरीय स्थानांतरण के तहत एक महिला शिक्षिका आ गईं, जिससे सुनीत पांडेय का स्थानांतरण निरस्त हो गया। इसके बाद इन्होंने हीरापुर कौडिय़ा में इपीएस दो शालाएं हैं वहां पर गणित के दो पद खाली हैं, वहीं पर स्थानांतरण के लिए शिक्षा विभाग में पत्राचार किया गया, लेकिन नियमों का बाधा बताकर नहीं किया और ना ही संलग्नीकरण की कोई प्रक्रिया अपनाई गई। अब एक सप्ताह पहले फिर जिला शिक्षा अधिकारी को शिक्षक के द्वारा अन्यत्र स्थानांतरण के के लिए आवेदन पत्र दिया गया है।
इनका कहना है
मेरे पास शिक्षक ने अटैचमेंट के लिए आवेदन दिया है। डाइट व्याख्याता राजेंद्र असाटी के साथ आकर मिले भी हैं। स्कूल में जीरो बच्चे हैं इसकी जानकारी नहीं है। स्कूल तो अभी नहीं बंद कर सकते, लेकिन सोमवार से शायद स्कूल खोले जाने की प्रक्रिया चल रहा है, यदि खुलते हैं तो शिक्षकों को कहीं अटैच किया जाएगा।
पीपी सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी।
Published on:
31 Jan 2022 09:43 pm
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