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कटनी. जिले में आधा सैकड़ा से अधिक शिक्षकों का स्थानांतरण हो जाने के बावजूद वे अब तक नई पदस्थापना वाली संस्थाओं में ज्वाइन नहीं कर रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से ढाई दर्जन से अधिक शिक्षक ऐसे हैं जिन्होंने स्वेच्छा से स्थानांतरण लिया, फिर भी वे नए स्थान पर उपस्थित नहीं हो रहे हैं। इस स्थिति के चलते कई विद्यालयों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है। जिले में शिक्षकों के स्थानांतरण के बाद सामने आई लापरवाही अब बच्चों की शिक्षा पर भारी पडऩे लगी है। जून माह में हुए तबादलों के बावजूद आधा सैकड़ा से अधिक शिक्षक अब तक अपनी नई पदस्थापना वाली संस्थाओं में ज्वाइन नहीं कर रहे हैं। चिंताजनक तथ्य यह है कि इनमें से ढाई दर्जन से अधिक शिक्षक ऐसे हैं जिन्होंने स्वयं की इच्छा से स्थानांतरण लिया, फिर भी वे नई संस्था में योगदान देने से बच रहे हैं।
शिक्षा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जून माह में जिले के विभिन्न शासकीय विद्यालयों के शिक्षकों के स्थानांतरण आदेश जारी किए गए थे। इन आदेशों के तहत कुल 50 से अधिक शिक्षकों का प्रशासनिक स्तर पर तबादला किया गया, वहीं 30 शिक्षकों ने स्वैच्छिक स्थानांतरण के लिए आवेदन किया था। इसके बावजूद शिक्षक अब तक नई संस्था में योगदान नहीं दे पाए हैं, जिनमें से 54 शिक्षकों ने पोर्टल पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई।
सूत्रों के अनुसार स्थानांतरण से असंतुष्ट कुछ शिक्षकों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और स्थगन आदेश (स्टे) प्राप्त कर लिया है। इससे प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई में भी देरी हो रही है। हालांकि, बड़ी संख्या ऐसे शिक्षकों की भी है जिन्होंने न तो स्टे लिया है और न ही नई पदस्थापना पर ज्वाइन किया है। शिक्षकों के ज्वाइन न करने का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव उन स्कूलों पर पड़ रहा है जहां शिक्षक पदस्थापित तो दिख रहे हैं, लेकिन वास्तव में मौजूद नहीं हैं। चूंकि शिक्षा विभाग के पोर्टल में शिक्षक की पदस्थापना दर्ज है, इसलिए उन विद्यालयों में अतिथि शिक्षक की नियुक्ति भी नहीं हो पा रही। इस तकनीकी और प्रशासनिक विसंगति के कारण कई स्कूलों में एक या दो शिक्षकों के भरोसे पूरी कक्षाएं संचालित की जा रही हैं, वही कहीं-कहीं विषय शिक्षण पूरी तरह बाधित हो गया है।
शिक्षकों की कमी के कारण नियमित कक्षाएं नहीं लग पा रही हैं। परीक्षा की तैयारी, पाठ्यक्रम की समय पर पूर्ति और बच्चों के शैक्षणिक स्तर पर इसका प्रतिकूल असर साफ देखा जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों में स्थिति और भी गंभीर है, जहां पहले से ही संसाधनों की कमी बनी रहती है। बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग द्वारा संबंधित शिक्षकों को कई बार ज्वाइनिंग के लिए स्मरण पत्र (रिमाइंडर) भेजे गए, लेकिन इसके बावजूद कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया। इस पूरे मामले में जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों की निष्क्रियता भी सवालों के घेरे में है। न तो ज्वाइन न करने वाले शिक्षकों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो रही है और न ही वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है। शिक्षाविदों और अभिभावकों का कहना है कि यदि विभाग ने जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया, तो इसका खामियाजा सीधे बच्चों को भुगतना पड़ेगा।
वर्जन
यह बात सही है शिक्षकों का स्थानांतरण होने के बाद वे नई पदस्थापना वाले स्कूल में नहीं पहुंचे हैं। कुछ शिक्षकों ने न्यायालय से स्टे ले लिया है। शीघ्र ही इस मामले में आवश्यक पहल की जाएगी।
राजेश अग्रहरि, डीइओ।
Published on:
15 Dec 2025 10:07 am
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