
नेताओं के वादों को मुँह चिढ़ा रही सूखी नहरें
कौशांबी. केंद्र की मोदी व प्रदेश सरकार के वादों को कौशांबी जिले की सूखी नहरें मुँह चढ़ती नजर आ रही है| चुनाव से पहले किए गए नहरों मे पानी लाने के वादों पर सरकारें खरी नहीं उतरी जिसका खामियाजा किसानों को उठाना पड़ रहा हैं| प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या का गृह जनपद कौशांबी यूँ तो गंगा-यमुना के बीच बसा है लेकिन यहाँ पानी की बिकराल समस्या है|
जिले के आठ मे से चार ब्लॉक डार्क जोन घोषित हैं, जबकि दो ब्लॉक आंशिक डार्क जोन घोषित किए जा चुके है| इसके बाद भी यहाँ पानी की समस्या से निपटने के लिए धरातल पर व्यापक बंदोबस्त नहीं किए जा रहे हैं| एक ओर किसान जहाँ सरकार की वादाखिलाफी से नाराज है वहीं जनप्रतिनिधि अभी भी वादों की झड़ी लगाने से नहीं चूकते हैं| वहीं दूसरी ओर विभागीय अधिकारी कागजी आकड़ों को पूरा करने से बाज नहीं आ रहे हैं|
प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के गृह जनपद कौशांबी की नहरों का हाल देख कर हर कोई हैरान हैं| यहाँ की सबसे प्रमुख नहर निचली रामगंगा व जरौली पंप कैनाल नहर मे दो दशक से सही तरीके से पानी नहीं आया| दोनों नहरें फ़तेहपुर जिले की सीमा से निकलती है| जब कभी किसान संगठन या कोई सामाजिक संगठन धरना-प्रदर्शन करते हैं तो चार-छह दिन के लिए पानी छोड़ा जाता है जो टेल तक पहुँचने से पहले ही सुख जाता है| हैरत की बात तो यह कि नहर विभाग के कागजों मे हर साल सिल्ट सफाई के नाम पर लाखों रुपये निकाल लिया जाता है|
जबकि हकीकत मे जिले की दोनों प्रमुख नहरों मे बड़ी बड़ी घास व खर पतवार सरकारी दावों की पॉल खोलने के लिए काफी हैं| यहाँ की नहरें बरसात के दिनों मे भी सूखी रहती है| किसान संगठन के लोगों का मानना है कि नहरों मे पानी भरा रहे तो जिले के चारों ब्लॉक डार्क जोन से बाहर आ जायेंगे| नहरों मे पानी न आने व किसानों की समस्या से इलाकाई जनप्रतिनिधि भी इत्तफाक रखते हैं लेकिन आज तक संधन नहीं करा सके|
सिराथू विधायक शीतला प्रसाद पटेल का कहना है कि सदस्यता ग्रहण करने के साथ ही उन्होने रामगंगा व जरौली पंप कैनाल नहर के अधिशाषी अभियंता से बात किया था| जिले के मुख्य विकास अधिकारी व नहर के अधिकारियों के साथ कई किमी तक नहर का स्थलीय निरीक्षण कर समस्या से निजात पाने के लिए रणनीति भी बनाई गई है| सबसे बड़ी समस्या नहर मे छोड़े जाने वाले पानी की छमता है|
विधायक की माने तो रामगंगा नहर फ़तेहपुर के अधिशाषी अभियंता का कहना है कि टेल तक पानी पहुँचने के लिए 11 सौ क्लूसिक पानी की आवश्यकता है, जबकि महज चार से पाँच सौ क्लूसिक पानी ही नहर मे छोड़ा जाता है जो फ़तेहपुर से आगे नहीं बढ़ पाता| नहरों के फाटक मे जो उपकरण लगे है वह खराब हो गए हैं उनकी मरम्मत व बदलने के लिए भी निर्देश दिये गए हैं| इन समस्याओं के बाद भी वह जिले की दोनों महत्वपूर्ण नहरों मे पानी पहुँचने के लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं|
कहने को देश के नेता व अधिकारी इसी बात का ढिंढोरा हर जगह पीटते है कि किसानों के कंधों पर ही देश की आर्थिक स्थिति का बड़ा हिस्सा टिका हैं| फिर भी किसानों की समस्या का सही तरह से निराकरण नहीं किया जाता| लोकसभा चुनाव से पहले खुद नरेंद्र मोदी ने जिले के किसानों की दुखती रग नहर मे पानी के समस्या को दूर करने का वादा कर वोट बटोर लिया था लेकिन साढ़े तीन साल मे हफ्ता भर भी सही तरह से यहाँ की प्रमुख नहरों मे पानी नहीं आ पाया|
विधानसभा चुनाव मे नहर मे पानी की समस्या प्रमुख मुद्दा बनाया गया लेकिन सरकार बनने के बाद सारे वादे ठंडे बस्ते मे दाल दिये गए| प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या से जिले के लोगों को बड़ी उम्मीदें थी लेकिन वह भी अब धूमिल पड़ने लगी है|
Published on:
26 Nov 2017 05:54 pm
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