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कौशांबी : जनपद का जिला कारागार इन दिनों एक नेक पहल के लिए चर्चा में है। पेड़-पौधों की संख्या में अंधाधुंध कटाई एवं आधुनिकता की होड़ में संवेदना से विमुख हो रही मानवता के कारण आसरे को भटकते पक्षियों को आशियाना उपलब्ध कराने के लिए। भटकते पक्षियों को देख जेलर बीएस मुकुन्द के मन में संवेदना जगी और मिल गया पक्षियों को सुरक्षित ठिकाना। जी हां! बंदियों व जेलर के प्रयास से जेल की दो बैरकों की दीवारों पर बनाए गए हैं आशियाने।
हत्या व दुष्कर्म जैसी जघन्य वारदातों को अंजाम देकर औरों का घर उजाड़ने वालों के हाथ जेलर की पहल पर अब पक्षियों का आशियाना बना रहे हैं| जेलर की पहल एवं कैदियों के समर्पण से आकार ले रही इस पहल के कारण जेल का माहौल बदलने लगा है। ऊंची-ऊंची चहारदीवारियों के अंदर पहले हमेशा बोझिल वातावरण बना रहता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। जेल का बोझिल वातावरण अब पक्षियों की चह-चहाहट एवं कलरव से सुरम्य सा बन गया है। जेल की चहारदीवारी के अंदर कबूतर की गुटरगूं और गौरैया की चह-चहाहट से स्वच्छ पर्यावरण का एहसास होने लगा है। जेलर की इस अनोखी पहल से जहां जेल के ईर्द-गिर्द मंडराते पक्षियों को सुरक्षित आशियाना मिल गया, वहीं जेल में अपने जुर्म की सजा भुगत रहे कैदियों को अपने कुकृत्य का पश्चाताप करने का अवसर व खाली हाथ को काम भी। स्वच्छता एवं पक्षियों के संरक्षण की दिशा में जिला जेल से हुई इस पहल की सर्वत्र सराहना हो रही है। जिला कारागार में हुई इस पहल से विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी गौरैया के संरक्षण की उम्मीद जगी है।
और आशियानों का हो रहा निर्माण
जेलर बीएस मुकुन्द ने इस संबंध में बताया कि दो बैरकों की दीवारों पर पक्षियों के लिए आशियाना बनाने का काम पूरा हो चुका है। इनमें पक्षियों ने अपना घोंसला भी लगा लिया है। उन्होंने कहा कि कई पक्षियों ने इन घोंसलों में अण्डे भी दिए हैं। अन्य बैरकों की दीवारों पर भी इस तरह के आशियाने के निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। कैदी पूरे मनोयोग एवं तीव्रता से पक्षियों के लिए आशियाने बनाने में जुटे हैं। जेल की दीवारों पर पक्षियों के लिए बनाए गए आशियाने की देख-भाल के लिए कैदियों को बाकायदा जिम्मेदारी सौंपी गई है। दहेज हत्या के आरोप में बंद गजराज उर्फ ठोकिया, ललऊ व दुष्कर्म के मामले में सजायाफ्ता रामनरेश उर्फ ददुआ सहित कई क़ैदी कबूतरों व गौरैया के घोंसलों की निगरानी में लगाए गए हैं। पक्षियों के लिए दाना पानी की व्यवस्था करने का दायित्व भी इन्हीं को दिया गया है। इनके लिए हर महीने बाजरा व दूसरे अन्न के दानों की व्यवस्था भी की जाती है|
तेल एवं घी के खाली डब्बों का कर रहे इस्तेमाल
पक्षियों के लिए आशियाना की आस बना जिला जेल का यह अभियान पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी ठोस पहल बन सामने आया है। इसके लिए जेल में खाना बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले तेल एवं घी के खाली डब्बों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
Input By : Shiv Sahu
Published on:
25 Dec 2017 06:33 pm
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