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CG News: मध्यान्ह भोजन के नाम पर बच्चों से खिलवाड़, मीनू के अनुसार नहीं दिया जा रहा खाना

CG News: अधिकतर समूह द्वारा बच्चों के भोजन में काफी कांटामारी की जा रही है क्योंकि अब भी गिनती के स्कूल में बेहतर भोजन मिलता है उसी दर पर जो प्रत्येक समूह को मिलता है। प्राथमिक स्कूल के प्रत्येक बच्चे पर रोजाना 6.18 रुपए और पूर्व माध्यमिक के बच्चे पर 7.45 रुपए खर्च किए जाते हैं।

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file photo

CG News: बच्चों को पौष्टिक आहार मिले इसके लिए मध्याह्न भोजन प्रारंभ किया गया, लेकिन मध्याह्न भोजन में अब पूर्व की तरह पौष्टिकता नहीं बची है। बच्चों को अब केवल सामान्य चावल, दाल और सब्जी ही खिलाया जाता है। खीर, पूरी, सलाद, पापड़ और आचार तो बीती बात हो चुकी है। अंडा या केला देना भी बंद चुका है। जबकि राशि पूर्व की तरह यथावत है केवल कांटामारी के चक्कर में मीनू का पालन नहीं किया जा रहा है। सब्जी के नाम पर बच्चों को केवल लौकी, बैगन और आलू ही खिलाया जा रहा है।

कबीरधाम जिले में 989 शासकीय प्राथमिक स्कूल में 73 हजार 701 और 499 पूर्व माध्यमिक स्कूल में 48003 बच्चे सहित कुल एक लाख 21 हजार 704 विद्यार्थी अध्ययनरत बच्चे हैं। इन बच्चों के लिए रोजाना ही मध्याह्न भोजन दिया जाता है। लेकिन अब इनके भोजन से वह पौष्टिकता गायब हो चुकी है जो पूर्व में मिलती थी। चूंकि अब महिला स्वसहायता समूह मध्याह्न भोजन संचालित करती है तो इन पर विभागीय दबाव भी नहीं है। इसके चलते बच्चों की थाली में केवल सादा भोजन ही रह गया है। जबकि प्रतिदिन बच्चों को 8 लाख 13 हजार रुपए खर्च किए जा रहे हैं।

पूर्व में मध्याह्न भोजन क जिम्मेदारी प्रधानपाठकों पर थी, जिसके कारण बच्चों को मीनू के अनुसार ही भोजन परोसा जाता था। प्रधानपाठकों पर दबाव भी रहता था कि बेहतर भोजन नहीं मिलने पर कार्रवाई हो जाएगी, लेकिन अब बच्चों को केवल चावल, दाल और सब्जी परोसी जा रही है बाजवूद कोई बोलने वाला नहीं है। चार साल पूर्व खीर, पुरी, सलाद, आचार, पापड़, अंडा, केला भी मीनू में शामिल था, रोजाना नहीं कम से कम सप्ताह में एक बार तो मिलता ही था, लेकिन अब तो वह भी बंद हो चुका है।

अधिकतर समूह द्वारा बच्चों के भोजन में काफी कांटामारी की जा रही है क्योंकि अब भी गिनती के स्कूल में बेहतर भोजन मिलता है उसी दर पर जो प्रत्येक समूह को मिलता है। प्राथमिक स्कूल के प्रत्येक बच्चे पर रोजाना 6.18 रुपए और पूर्व माध्यमिक के बच्चे पर 7.45 रुपए खर्च किए जाते हैं। खाना स्कूल में पहुंचने वाले प्रत्येक बच्चे के हिसाब से बनता है जबकि खाना 80 से 90 प्रतिशत बच्चे करते हैं। शहर में तो बड़ी संख्या में बच्चे अपने घर चलते जाते हैं खाना खाने।

मीनू का पालन नहीं
किसी भी दिन मध्याह्न भोजन मीनू का पालन नहीं किया जा रहा है। बच्चों को चावल, दाल के अलावा मौसम में जो सबसे सस्ती सब्जी होती है वह खिलाया जाता है। मुख्य रूप से लौकी, बैगन, आलू जैसे सब्जी तो रोजाना परोसा जाता है।