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जलवायु परिवर्तन के कारण जिले में लगातार बढ़ रहा गन्ने की रकबा

ग्रामीण अंचलों में इन दिनों समर्थन मूल्य पर अपना गन्ना शक्कर कारखाना को देने व चना, गेहूं की कटाई करने के बाद गन्ने की नई फसल की तैयारी में जुट गए हैं। गन्ने की बीज350 रुपए प्रति क्विंटल में खरीदकर गुड़ी पद्धति से अपने अपने खेतों में जोर शोर से लगा रहे हैं।

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जलवायु परिवर्तन के कारण जिले में लगातार बढ़ रहा गन्ने की रकबा

जलवायु परिवर्तन के कारण जिले में लगातार बढ़ रहा गन्ने की रकबा

बरबसपुर. कबीरधाम जिले की उपजाऊ भूमि धान के साथ ही दलहन, तिलहन और गन्ना की फसल के लिए अच्छी मानी जाती है, लेकिन पिछले कुछ साल से जलवायु परिवर्तन की वजह से दलहन व तिलहन की खेती काफी प्रभावित हुई है। इसकी खेती घाटे का सौदा साबित हो रहा है। धान में उत्पादन लागत अधिक होने और लाभकारी मूल्य नहीं मिलने की वजह से किसानों का उदरपूर्ति का साधन ही बना हुआ है। गन्ना ही एक मात्र ऐसा फसल है, जो विपरित परिस्थिति में किसानों के साथ खड़ा होता है।
ग्रामीण अंचलों में इन दिनों समर्थन मूल्य पर अपना गन्ना शक्कर कारखाना को देने व चना, गेहूं की कटाई करने के बाद गन्ने की नई फसल की तैयारी में जुट गए हैं। गन्ने की बीज350 रुपए प्रति क्विंटल में खरीदकर गुड़ी पद्धति से अपने अपने खेतों में जोर शोर से लगा रहे हैं। ग्रामीण किसानों ने बताया कि एक एकड़ खेतों में 40 क्विंटल 085 किस्म के बीज लगता है और 085 गन्ने के बीज 350 रुपए प्रति क्विंटल खरीद कर लगा रहे हैं। क्योंकि गन्ने की इस किस्म की मांग अधिक होता है। ग्राम हरिनछपरा के पेखन साहू, अशोक साहू, सनद, सागर बघेल अपने तीन तीन एकड़ में गुड़ी पद्धति से गन्ना लगा रहे हैं। वहीं आस-पास के गांव में भी गन्ना लगाने का शुरू हो चुका है।
एक और कारखाना की मांग
इस वजह से जिले में बड़े रकबे पर गन्ने की खेती होती है। यहीं कारण है कि जिले में दो शक्कर कारखाना होने के बावजूद ७५ प्रतिशत गन्ने को कारखाने से बाहर बेचना पड़ता है, जहां उसे उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। यहीं कारण है कि पिछले कुछ वर्षों से जिले में एक और शक्कर कारखाना की आवश्यकता महसूस की जा रही है। एक और शक्कर कारखाना सहित अन्य नौ सूत्रीय मांगों को लेकर किसानों ने गुरुवार को प्रदर्शन भी किया है।
गुड़ फैक्टी में कम कीमत पर देना पड़ता है गन्ना
जिला कबीरधाम में दो शक्कर कारखाना होने के बाद भी गन्ने की खपत नहीं हो पाती है। ऐसे में किसान अपना गन्ना गुड़ फैक्ट्री में देने के लिए मजबूर होते हैं। कबीरधाम जिले में दो शक्कर कारखाना होने बावजूद लगभग २०० से अधिक गुड़ फैक्ट्री संचालित है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती होती है। ग्रामीण अंचल के किसान इन दिनों जोर शोर से गन्ने की नई फसल की तैयारी में जुट गए हैं। धान, गेहूं, चना, तीवरा व अरहर स्थान पर अब बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती होती है।