न गड्ढा किया और न ही सीट बिठाया
अमनिया पंचायत के आश्रित ग्राम खेरा में कुछ शौचालय मिट्टी से बनाए गए हैं। वहीं छत लकड़ी, भूसा, पॉलीथिन और टीन से बनाए गए है। इसमें कुछ शौचालयों के लिए तो गड्ढे तक नहीं किए गए। कहीं-कहीं तो सीट तक नहीं बैठाया गया।खुले में जा रहे शौच
निर्माण तो 2016 -17 में किया गया, लेकिन आज तक नहीं सुधारे जा सके। ऐसी स्थिति पंडरिया ब्लॉक के वनांचल में आसानी से देखे जा सकते हैं। इसके चलते ही ग्रामीण आज भी खुले में शौच को जाते हैं।ऐसे में केवल एक नहीं सभी पंचायतों में निर्मित शौचालयों की जांच होनी चाहिए।धमकी देकर बनाए
अधिकतर गांव में सरपंच, सचिव ने ग्रामीणों को राशन नहीं देने की धमकी देकर शौचालय बनवाए गए। ग्रामीणों ने जैसे तैसे राशन नहीं मिलने के डर से शौचालय बनाया। ग्रामीणों के नाम से राशि तो आहरण हुआ, लेकिन उन्हें मिला भी नहीं। कई पंचायत सिर्फ इसी तरह केवल कागजों पर ही ओडीएफ घोषित किए गए हैं।1.12 लाख शौचालय निर्मित
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल एक लाख 12 हजार से अधिक शौचालय निर्माण कराया गया हैं । इसमें स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत 80242 और मनरेगा के तहत करीब 32000 शौचालय निर्मित किए गए। इसके लिए शासन ने 134 करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च की। इसमें मैदानी क्षेत्र के शौचालय की हालत ठीक है, लेकिन वनांचल में राशि का बंदरबाट करते हुए निर्माण कराया गया। कई गांव में तो ग्रामीणों ने स्वयं के खर्च से शौचालय निर्माण किए, जिसकी राशि आजत उन्हें नहीं मिल सके हैं। वहीं कहीं पंचायत में निर्माण कराए, लेकिन उसमें भी ग्रामीणों को मेहनताना नहीं मिल सका।जाकर देखूंगा
जनपद पंचायत पंडरिया के सीईओ, आनंदरूप तिवारी का कहना हैं- फिलहाल अभी मेेरी जानकारी में तो नहीं है। यदि ऐसा है तो मैं स्वयं स्थल पर जाकर देखूंगा। अधूरा निर्माण या गलत तरह से निर्माण कराया गया तो संबंधितों के खिलाफी तुरंत कार्रवाई की जाएगी।