
कबाड़ हुई लाखों की किताबें, विद्यार्थियों को थमा रहे सिलेबस से बाहर की पुस्तकें
कवर्धा. छत्तीसगढ़ के शासकीय स्नात्कोत्तर महाविद्यालय के होनहारों को यह जानकर दु:ख होगा कि जिन किताबों को पढ़कर वे महारत हासिल करना चाहते हैं, वे किताबे काफी पुराने हो चुके हैंं।नए सिलेबस के किताबें गिनती के हैं जो सभी विद्यार्थियों को नहीं मिल पाता है।जिले का एकलौता शासकीय स्नात्कोत्तर महाविद्यालय इन दिनों "चिराग तले अंधेरा" की कहावत को चरितार्थ कर रहा है।बाहर से जितना तामझाम दिखाई दे रहा है। वास्तव में ऐसा है नहीं। यहां अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की सुविधा के मद्देनजर केंद्रीय ग्रंथालय संचालित किया जा रहा है। प्रतिवर्ष ग्रंथालय में लाखों रुपए की किताबें खरीदी जा रही है। लापरवाह व्यवस्था के कारण पूर्व में खरीदे गए किताबें कबाड़ हो रहे हैं और इस पुराने किताबों से ही विद्यार्थियों की पढ़ाई हो रही है। इसके कारण कई विद्यार्थी किताबे लेकर ही नहीं जाते हैं।
पीजी कॉलेज के केंद्रीय ग्रंथालय के लिए विशाल भवन निर्मित है। इसके बाद भी किताबों को रखने के लिए स्थानाभाव है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि यहां हर साल लाखों रुपए के किताब खरीदे जाते हैं। किताबों की संख्या अधिक होने से आलमारी कम पड़ रहे हैं, तो उन्हें जमीन पर ही रख दिए हैं। आलम तो यह है कि हजारों बोगस किताबें भी इन्हीं नए किताबों के बीच जहां-तहां सजाकर रखे गए हैं।
केंद्रीय ग्रंथालय में महाविद्यालयीन विद्यार्थियों को पढऩे के लिए पुरानी किताबें थमाई जा रही है। इनमें अधिकांश किताबें तो ऐसी भी हैं, जो अब सिलेबस से बाहर हो चुके हैं। इसके बाद भी छात्रों को वही किताबें पढऩे के लिए दी जाती है। एक सत्य यह भी है कि ग्रंथालय होने के बाद भी महाविद्यालय विद्यार्थी हर साल बाजार से प्रश्नोत्तरी किताबें पढ़कर ही परीक्षा दिलाते हैं।
जिले के एकमात्र पीजी कॉलेज में विद्यार्थियों से लाइबे्ररी के नाम पर फीस लिया जाता है, लेकिन जब विद्यार्थियों को पुस्तकों की जररुत होती है तो नहीं मिल पाता है। प्रत्येक विषय के कुछ ही पुस्तक होने के कारण ग्रुप बनाकर पुस्तक वितरण किया जाता है। एक सप्ताह पढ़ाई करने के बाद दूसरे को पुस्तक दिया जाता है। इससे जब जरुरत है तब पुस्तक नहीं मिल पाता है। इससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं।
एसएस महापात्रे, प्रभारी प्राचार्य, पीजी कॉलेज
Published on:
23 Oct 2018 06:55 pm
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