
Lok Sabha Election 2024: पूर्व मुख्यमंत्री को अपना सांसद और सांसद को बाद में मुख्यमंत्री बनाने वाला राजनांदगांव लोकसभा संसदीय क्षेत्र कई बड़े उलटफेर का गवाह रहा है। यहां से पैराशूट नेताओं ने भी जीत दर्ज की है तो दिग्गजों को बेहद कमजोर समझे जाने वाले नेताओं से भी हार का सामना करना पड़ा है।
राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र का इतिहास बेहद रोचक और दिलचस्प रहा है। यहां से सबसे ज्यादा बार प्रतिनिधित्व खैरागढ़ राजपरिवार ने किया है तो लगातार दो जीत और दो से ज्यादा जीत का रिकॉर्ड भी खैरागढ़ राजपरिवार के पास है। उनके अलावा किसी को यह सौभाग्य नहीं मिला। दूसरे सांसदों को या तो अगली बार हार का सामना करना पड़ा या फिर उनको टिकट ही नहीं मिली।
Chhattisgarh Lok Sabha Election 2024: वर्ष 1998 में यहां से दुर्ग के कांग्रेस नेता, पूर्व राज्यपाल व पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा सांसद बने। उनका कार्यकाल ज्यादा नहीं रहा। करीब 13 महीने बाद फिर से 1999 में लोकसभा चुनाव हुआ और वे फिर मैदान में उतरे। उनके मुकाबले भाजपा ने करीब छह महीने पहले कवर्धा विधानसभा का चुनाव हारने वाले डॉ. रमन सिंह को टिकट दिया। राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि वोरा को इस चुनाव में भाजपा ने वॉक ओवर दे दिया है लेकिन जनता ने रमन पर भरोसा जताया और वोरा को आश्चर्यजनक हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद तो वे चुनावी राजनीति से दूर ही चले गए।
BJP Plans For Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस को वर्ष 2009 में देश की जनता का आशीर्वाद तो मिला और सरकार भी बन गई लेकिन राजनांदगांव में फिर एक बड़ा उलटफेर हुआ। कांग्रेस के मौजूदा सांसद देवव्रत सिंह यहां से चुनाव हार गए। उनको उस समय के मेयर मधुसूदन यादव ने अच्छे खासे वोट के अंतर से पराजित किया। यह एक दौर का बदलाव साबित हुआ।
इस बार चुनाव मैदान में पूर्व मुख्यमंत्री व छह बार के विधायक भूपेश बघेल हैं। वे अविभाजित मध्यप्रदेश के साथ छत्तीसगढ़ की पहली सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। दो बार लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। उनके सामने भाजपा से संतोष पांडेय हैं, जो दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं। वे अभाविप, युवा मोर्चा व प्रदेश संगठन में कई पदों पर रह चुके हैं। आरएसएस से जुड़े हैं। छत्तीसगढ़ राज्य युवा आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
वर्ष 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र में कुल 10 लाख 16 हजार 713 वोटर थे। इसमें से 5 लाख 91 हजार 992 मतदाताओं ने वोटिंग की थी। डॉ. रमन सिंह को कुल 51.46 प्रतिशत मतलब 3 लाख 4611 वोट मिले, जबकि मोतीलाल वोरा को 46.94 प्रतिशत यानी 2 लाख 77 हजार 896 वोट मिले। डॉ. सिंह ने 26 हजार 715 वोटों से जीत दर्ज की थी। बाद में छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद वर्ष 2003 में एक संयोग यह हुआ कि पूर्व मुख्यमंत्री वोरा को हराने वाले डॉ. रमन सिंह ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने।
कांग्रेस से तीन बार के सांसद रहे खैरागढ़ राजपरिवार के राजा शिवेंद्र बहादुर सिंह को कांग्रेस ने वर्ष 1998 में टिकट न देकर मोतीलाल वोरा को उम्मीदवार बनाया। कांग्रेस से खफा होकर शिवेंद्र ने समाजवादी पार्टी का दामन थामा और सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। वोरा जो मूलत: समाजवादी विचारधारा के थे, वे कांग्रेस की ओर से मैदान में थे और राजशाही परिवार से आने वाले शिवेंद्र इस चुनाव में समाजवादी पार्टी की ओर से मैदान में रहे, हालांकि शिवेंद्र यह चुनाव हार गए।
Updated on:
01 Apr 2024 12:52 pm
Published on:
01 Apr 2024 12:08 pm
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