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विद्यार्थियों के सुरक्षा पर सवाल, स्कूल में फस्ट एड बॉक्स ही नहीं

स्कूल में अनिवार्य रूप से रखे जाने वाले चिकित्सा व्यवस्था और अग्निशमन उपकरण नदारद हैं।

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विद्यार्थियों के सुरक्षा पर सवाल, स्कूल में फस्ट एड बॉक्स ही नहीं

कवर्धा . छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में शासकीय स्कूल में विद्यार्थियों को सुविधा मिलनी तो दूर की बात हुई, इन्हें सुरक्षा भी नहीं मिल पा रही है। स्कूल में अनिवार्य रूप से रखे जाने वाले चिकित्सा व्यवस्था और अग्निशमन उपकरण नदारद हैं। ऐसे में किसी तरह की घटना-दुर्घटना होने पर स्कूल के पास बचाव के कोई उपाय नहीं है।

स्कूल में किसी तरह की घटना-दुर्घटना होने पर चिकित्सा सेवा मतलब फस्ट एड बॉक्स रखना अनिवार्य है। स्कूल में चिकित्सा सेवा के लिए शासन द्वारा राशि भी दी जाती है। छात्र-छात्राओं को खेलकूद के दौरान होने वाली छोटी-मोटी चोट या खरोच होने तुरंत फस्ट एट बॉक्स में मौजूद सामग्रियों से उन्हें राहत दी जा सकती है। लेकिन जिले के 60 फीसदी शासकीय स्कूल में यह सामग्री मौजूद ही नहीं है। ऐसे में कोई विद्यार्थी चोटिल हो जाता है तो उन्हें स्कूल से न रुई मिलती है और न ही एंटी सेप्टिक दवाई। रुमाल या फिर किसी अन्य कपड़े के सहारे ही विद्यार्थियों को खुद की देखभाल करनी पड़ रही है।

बरसात में जहरीले जीव जंतुओं का प्रकोप बढ़ जाता है। स्कूल में भी विद्यार्थी कीटों के शिकार हो जाते हैं। कीटों के काटने से खुजली, फूंसी सहित कई प्रकार के जख्म भी बन जाते हैं। इसके लिए तुरंत एंटी सेप्टिक दवाई का उपयोग कर इसके प्रभाव से बचा जा सकता है, लेकिन शासकीय स्कूल में यह सुविधा नहीं होने के कारण विद्यार्थियों को परेशानी उठानी पड़ती है जबकि निजी स्कूल में फस्ट एड बॉक्स सहित अन्य सुविधाएं भी मौजूद रहती है।

प्रत्येक वर्ष स्कूल संचालन के लिए प्रधानपाठकों को राशि दी जाती है, जिससे वह आवश्यक सामग्री का क्रय कर सके, लेकिन होता यह कि प्रधानपाठक द्वारा इस राशि उपयोग विभिन्न कार्य के लिए करते हैं जबकि अनिवार्य सुविधा व सुरक्षा पर पहले ध्यान देने की आवश्कयता है। स्कूलों में फस्ट एड बॉक्स अनिवार्य होना ही चाहिए, ताकि बच्चों की सुरक्षा को लेकर लापरवाही न हो सके। यही स्थिति हाई व हायर सेकण्डरी स्कूल की भी है। वहां पर इसकी आवश्यकता है।