
कवर्धा के प्राचीन भोरमदेव मंदिर में शिवलिंग से चांदी की परत और हनुमान मंदिर से आधा किलो चांदी का मुकुट गायब
कवर्धा. छत्तीसगढ़ के खजुराहो के नाम से विख्यात भोरमदेव मंदिर इन दिनों प्रशासन की अनदेखी का शिकार हो रहा है। कोरेाना संकट के बीच मंदिर बंद होने के बाद चांदी की परत और मुकुट गायब हो गया है। दो वर्षों में स्थानीय प्रशासन द्वारा भोरमदेव तीर्थ प्रबंध कमेटी की मीटिंग नहीं बुलाई गई। इसके चलते ही भोरमदेव मंदिर में देखरेख को लेकर लापरवाही बढ़ती जा रही है। भोरमदेव मंदिर में शिवलिंग व जलहरि को चांदी की परत लगवाकर कवर किया गया था, ताकि जल में क्षरण व लोगों के स्पर्श से बचाया जा सके। लेकिन आज यह स्थिति है की इस चांदी की परत के टुकड़े-टुकड़े हो गए। दूसरी ओर हनुमान मंदिर में आधा किलो का चांदी मुकुट भी अब गायब हो चुका है। भोरमदेव तीर्थ प्रबंध कमेटी के सहसचिव बृजलाल अग्रवाल ने इस गंभीर विषय पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि प्रशासन की निगरानी में दानपेटी को खोला जाए।
भोरमदेव तीर्थ प्रबंध कमेटी के सहसचिव ने पुरातत्व विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पुरातत्व विभाग के कब्जे में आने के पश्चात भोरमदेव मंदिर में कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं कराया गया। इनके केयर टेकर भी नाममात्र है। अर्थात इनकी उपस्थिति नगण्य है। अधिकांश समय या तो अनुपस्थिति रहते हैं या पुजारी का रोल अदा करते हैं। मड़वा महल जीता जागता उदाहरण है।
शिवलिंग को न करने दिया जाए स्पर्श
देश के कई मंदिर में गर्भगृह के शिवलिंग को स्पर्श कर दर्शन करने नहीं दिया जाता। यहां पर भी शिवलिंग को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे। गर्भगृह के पहले जो गेट है उस गेट को जाली से पैक कर दिया जाए उसी जाली के माध्यम से एक पाईप लाइन की व्यवस्था किया जाए जिससे मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं द्वारा जल को अर्पण किया जा सके।
आरती का लाइव प्रसारण हो
भोरमदेव मंदिर के परिसर में ही एक बड़ा प्रोजेक्टर लगवा दिया जाए जिससे की मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को प्रोजेक्टर के माध्यम से दर्शन प्राप्त हो सके। अन्य मंदिरों की तरह भोरमदेव मंदिर की आरती को भी लाईव प्रसारण के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से किया जाना चाहिए।
Published on:
18 Aug 2020 11:18 am
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