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खुले में शौच मुक्त ग्राम पंचायतों की कुछ और है जमीनी हकीकत

बरबसपुर सहित पांच पंचायतों के ग्राउंड रिपोर्ट में चौकाने वाले दृश्य सामने आया है। क्षेत्र के ग्राम पंचायत बरबसपुर, डबराभाट, सिंघनपुरी, जरती, जेवडऩ खुर्द को 15 अगस्त 2016 में खुलें में शौच मुक्त ग्राम पंचायत घोषित कर दिया है। जबकि हकीकत यह है कि वर्तमान समय में ग्रामीण सहित पंचायत के जनप्रतिनिधि खुले में शौच कर रहे हैं।

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खुले में शौच मुक्त ग्राम पंचायतों की कुछ और है जमीनी हकीकत

खुले में शौच मुक्त ग्राम पंचायतों की कुछ और है जमीनी हकीकत

बरबसपुर. शासन के महत्तवकांक्षी योजना स्वच्छ भारत के तहत जनपद पंचायत कवर्धा अंतर्गत ग्राम पंचायत बरबसपुर सहित आसपास के पंचायतों में ग्रामीणों के सुविधा के लिए शौचालय बनाया गया, लेकिन लोग इनका उपयोग नहीं कर रहे। शौचालय की वर्तमान स्थिति देखकर बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है।
बरबसपुर सहित पांच पंचायतों के ग्राउंड रिपोर्ट में चौकाने वाले दृश्य सामने आया है। क्षेत्र के ग्राम पंचायत बरबसपुर, डबराभाट, सिंघनपुरी, जरती, जेवडऩ खुर्द को 15 अगस्त 2016 में खुलें में शौच मुक्त ग्राम पंचायत घोषित कर दिया है। जबकि हकीकत यह है कि वर्तमान समय में ग्रामीण सहित पंचायत के जनप्रतिनिधि खुले में शौच कर रहे हैं। कवर्धा तहसील अंतर्गत इन छ: पंचायत की आबादी 2000 के करीब है, वहीं सभी पंचायतों में स्वच्छ भारत अभियान के तहत 500 से अधिक शौचालय का निर्माण कराया गया है। ग्राम पंचायत में निर्मित लगभग 50 फीसदी शौचालय घर से दूर, बाड़ी या शासकीय भूमि पर बनाया गया, जिससे नियमित उपयोग तो दूर की बात है लोग यहां झांकने तक नहीं जातें। ऐसे में खुले में शौच मुक्त पंचायत का दर्जा देना उचित नहीं है। जिसकी वजह, शौचालय बनने के बाद उपयोग नहीं करने से शौचालय अनुपयोगी साबित हो रहा है। वहीं देखरेख के अभाव में शौचालय के सीट व दरवाजा धराशाही हो चुका है।
ज्यादातर शौचालय बदहाल
जिन गांवों में खाली जगह पर शौचालय बने हैं, वह टूट गए हैं, उनकी मरम्मत की तैयारी स्थानिय प्रतिनिधि करवाने की बात कहते हैं। जिले में स्वच्छ भारत मिशन अभियान का असर लोगों में जरूर दिख रहा है, लेकिन लोगों को अभी और जागरूक होने की जरूरत है, क्योंकि अभी भी लोग खुले में शौच जा रहे हैं। हालांकि खुले में शौच जाने वालों की संख्या में कमी जरूर आई है, लेकिन अब फिर पुराने ढर्रे शुरू होने लगा है।
लाखों खर्च बावजूद स्तरहीन निर्माण
योजना के तहत शौचालय निर्माण के लिए लाखों रुपए खर्च किया, लेकिन स्तरहीन निर्माण के चलते ज्यादातर शौचालय अनुपयोगी है। निर्माण के दौरान दबावपूर्वक शौचालय निर्माण कराया गया, जिनके पास शौचालय बनाने जगह नहीं है, उनके लिए गांव की खाली जगहों पर शौचालय बनाया गया, लेकिन शौचालयों में पानी की कमी व उनका उपयोग नहीं करने के कारण शौचालय टूट गए हैं। अब इन टूटे शौचालय की मरम्मत के नाम पर लाखों फूंकने की तैयारी है।