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कांग्रेस में मची खलबली: नपं अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग 4 मई को

नगर पंचायत पांडातराई में कांग्रेस सत्ता में है, लेकिन यहां कुछ ठीक नहीं चल रहा है। करीब दो माह पूर्व 14 फरवरी को नगर पंचायत के उपाध्यक्ष सहित कांग्रेस के कुल छह पार्षदों ने नगर पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कलेक्टर को आवेदन दिया था। आवेदन में उन्होंने नगर पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ कई गंभीर आरोप भी लगाए। इसके बाद से कांग्रेस की राजनीति में हलचल मची हुई है।

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कांग्रेस में मची खलबली: नपं अध्यक्ष के खिलाफ  अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग 4 मई को

कांग्रेस में मची खलबली: नपं अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग 4 मई को

पांडातराई. नगर पंचायत पांडातराई में कांग्रेस सत्ता में है, लेकिन यहां कुछ ठीक नहीं चल रहा है। करीब दो माह पूर्व 14 फरवरी को नगर पंचायत के उपाध्यक्ष सहित कांग्रेस के कुल छह पार्षदों ने नगर पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कलेक्टर को आवेदन दिया था। आवेदन में उन्होंने नगर पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ कई गंभीर आरोप भी लगाए। इसके बाद से कांग्रेस की राजनीति में हलचल मची हुई है। इस मामले में लेटलतीफी होने पर उपाध्यक्ष व एक पार्षद ने कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था। इसके बाद अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए 4 मई की तिथि तय हुई है। इस दिन तस्वीर पूरी तरह साफ हो जाएगी। वैसे तो जिले में नगर पंचायत पांडातराई की राजनीति व कांग्रेस की गुटबाजी की चर्चा होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार मामला दूसरा है, जो कि नगर के इतिहास में पहली बार हो रहा है। चुनाव के पूर्व टिकट वितरण से लेकर अब तक कांग्रेस पार्टी की राजनीति में अंदरूनी खींचतान व गहमागहमी मची हुई है। जो कांग्रेस पार्टी के लिए नुकसानदायक है। नगर पंचायत के बीते चुनाव में कांग्रेस के 9, भाजपा के 4 व दो निर्दलीय पार्षद चुनाव जीते थे। बाद में दोनों निर्दलीय पार्षद कांग्रेस में शामिल हो गए। नगर पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए दिए गए आवेदन में कांग्रेस के 5 व एक निर्दलीय पार्षद ने हस्ताक्षर किए।
नगर पंचायत पांडातराई में कांग्रेस सत्ता में है, लेकिन यहां कुछ ठीक नहीं चल रहा है। करीब दो माह पूर्व 14 फरवरी को नगर पंचायत के उपाध्यक्ष सहित कांग्रेस के कुल छह पार्षदों ने नगर पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कलेक्टर को आवेदन दिया था। आवेदन में उन्होंने नगर पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ कई गंभीर आरोप भी लगाए। इसके बाद से कांग्रेस की राजनीति में हलचल मची हुई है। इस मामले में लेटलतीफी होने पर उपाध्यक्ष व एक पार्षद ने कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था। इसके बाद अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए 4 मई की तिथि तय हुई है। इस दिन तस्वीर पूरी तरह साफ हो जाएगी। वैसे तो जिले में नगर पंचायत पांडातराई की राजनीति व कांग्रेस की गुटबाजी की चर्चा होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार मामला दूसरा है, जो कि नगर के इतिहास में पहली बार हो रहा है। चुनाव के पूर्व टिकट वितरण से लेकर अब तक कांग्रेस पार्टी की राजनीति में अंदरूनी खींचतान व गहमागहमी मची हुई है। जो कांग्रेस पार्टी के लिए नुकसानदायक है। नगर पंचायत के बीते चुनाव में कांग्रेस के 9, भाजपा के 4 व दो निर्दलीय पार्षद चुनाव जीते थे। बाद में दोनों निर्दलीय पार्षद कांग्रेस में शामिल हो गए। नगर पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए दिए गए आवेदन में कांग्रेस के 5 व एक निर्दलीय पार्षद ने हस्ताक्षर किए।
चुनाव के बाद से गुटबाजी
चुनाव के बाद नगर में जनवरी 2020 में केबिनेट मंत्री मो.अकबर, क्षेत्रीय विधायक ममता चंद्राकर सहित अन्य प्रमुख नेताओं के आतिथ्य में नवनिर्वाचित अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का पदभार ग्रहण समारोह का आयोजन हुआ था। इस कार्यक्रम में कांग्रेस पार्टी के 6 पार्षद शामिल नहीं हुए थे। वहीं नगर के पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भी नजर नहीं आए थे। इस समय भी नगर में कांग्रेस की गुटबाजी एक बार फिर खुलकर सामने आई थी। इससे साफ हो गया था कि नगर की सत्ता में पहली बार काबिज होने वाली कांग्रेस पार्टी में कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है।
5 पार्षदों को दो बार दिया नोटिस
उक्त मामले को लेकर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ने 5 पार्षदों को अब तक दो बार नोटिस जारी किया है। पहला नोटिस 10 मार्च को दिया और एक सप्ताह में जवाब मांगा। वहीं दूसरा नोटिस 6 अप्रैल को दिया।
असंतुष्ट रहे कुछ पार्षद
कांग्रेस के कुल 9 पार्षद में से छह पार्षदों ने अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी की थी। सभी ने अपने-अपने स्तर पर जोर आजमाइश भी की थी। इसमें से पार्टी आलाकमान ने एक नाम पर मुहर लगाई। इसके बाद बाकी दावेदारों को निराशा हाथ लगी। तभी से यही खबर पता चलती थी कि अन्य दावेदार असंतुष्ट हैं। नतीजा आज सबके सामने है।
जनता के भरोसे पर पड़ रहा असर
नगर की जनता ने बीते चुनाव में कांग्रेस पर भरोसा जताते हुए उन्हें सत्ता पर बैठाया। जनता को भरोसा था कि नगर का चहुमुखी विकास होगा, लेकिन सत्ता में बैठी कांग्रेस में व्याप्त अंतर्कलह के चलते नगर के विकास व जनता के भरोसे पर असर पड़ रहा है। जनप्रतिनिधियों के आपसी खींचतान के चलते नगर का विकास बाधित हो रहा है। इसके चलते जनता में नाराजगी भी देखी जा रही है।
भाजपा ने साध रखी है चुप्पी
नगर पंचायत में विपक्ष की भूमिका में काबिज भाजपा ने इस मामले में पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है। अविश्वास प्रस्ताव के लिए होने वाले वोटिंग में भाजपा पार्षदों का क्या स्टेंड होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा। इस मामले में भाजपा की भूमिका क्या होगी यह भी नगर में चर्चा का विषय बना हुआ है।