छतरपुर. जिले में संचालित होने वाली कई बसों में टूटी खिड़कियां और सीटें यात्रियों के लिए परेशानी का कारण बन नहीं हैं। लम्बे समय से कांच टूटे होने के बाद भी सुधार नहीं कराया जा रहा है जिससे यह कांच यात्रियों को चोटिल कर रहे हैं। वहीं सीटें भी दुरस्त नहीं होने से बैठने में दिक्कतें हो रही हैं।
छतरपुर बस स्टैंड से चलने वाली करीब ६० बसों में सीटें और खिड़कियां दुरस्त नहीं हैं। इनमें से किसी में सीटें जर्जर हैं जो किसी की खिड़की गायब है और किसी के कांच टूटे हैं फिर भी उन्हें चलाया नहीं जा रहा है। जिससे इन बसों में सफर करने वाले यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार कांच यात्रियो को लग जाते हैं इस दौरान न तो उन्हें बस में प्राथमिक इलाज मिलता है और ही अन्य सहायता। जिससे लोगों को बस से उतरने के बाद मरहम पट्टी करानी पड़ रही है।छतरपुर से चंदला जाने वाली बस में सवार दामोदर अनुरागी, सरवई से आए यात्री रामकिशोर, ब्रजकिशोर आदि ने बताया कि इस रूट की अधिकतर बसें दुरस्त नहीं हैं। बेहतर सेवा देने का दावा करने वाली इन बसों का बुरा हाल है। बसों में टूटी सीटों और टूटे शीशे के कारण ऐसी भीषण गर्मी में यात्री परेशान होते हैं। बस में सफर करने वाले यात्री किराया तो भरपूर दे रहे हैं, लेकिन सुविधाओं से वंचित हैं। यात्रियों को विभिन्न रुटों पर लेकर जाने वाली कई बसों के हालात बहुत खराब है। टूटे शीशों के बीच सफर करना और मुश्किल हो जाता है। गर्म हवाओं से यात्री हलाकान हो रहे हैं। वहीं कई बाद हाथ टच होने से चोट लग जाती है।
लोगों का कहना है कि पुरानी बसों का सफर यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। दोपहर में गर्म हवा चलने पर खिड़कियां सही न होने से यात्रियों को बहुत परेशानी होती है। यात्रियों का कहना कि जब हर टिकट में किराए के साथ सुविधा शुल्क लगता है, तो हमें सुविधाएं क्यों नहीं दी जाती हैं। बस संचालकों द्वारा यात्रियों के सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है मात्र उनसे किराया वसूल किया जाता है।