
Colonizer maps entangled plot buyers
खंडवा. नहाल्दा में पटवारी के सीमांकन के बाद भी कालोनाइजर की भूमि पर प्लाटों के निजी सीमांकन को लेकर तनाव बरकार है। सोमवार की सुबह 10.30 बजे मौके पर पहुंचे प्लाट खरीदार (क्रेता) कालोनाइजर के नक्शे में भूमि खोज रहे हैं। मामले को पत्रिका ने मुद्दा बनाया तो कालोनाइजर से जुड़े कारोबारियों ने भूमि मापने के लिए रजिस्ट्री के दो गवाहों को मौके पर भेज दिया। वहां मौजूद प्लाट खरीदार एक दूसरे को प्लाट की नापी कराने सूचना दे रहे हैं।
कालोनाइजर के नक्शे में उलझे क्रेता
इस दौरान प्लाट पर मौजूद क्रेता अवधेश, भवानी शंकर और काशीनाथ मेहरा नक्शे में जमीन का लोकेशन खोज रहे थे। प्लाट पर मौजूद क्रेताओं ने मौके पर पहुंचे एक कर्मचारी को जानकारी दी कि वर्ष 2002 में मुख्य कालोनाजर किरन जैन भूमि बेचने के काम करते थे अब उनका निधन हो गया। अब जमीन महंगी हो गई तो उनके बच्चे व इस कारोबार से जुड़े लोग मौके पर नहीं आ रहे हैं। पटवारी के सीमांकन के बाद अब जमीन मापने के लिए गवाहों को भेज दिया है। ये कहानी अकेले इन प्लाट खरीदारो की नहीं बल्कि दो दर्जन से अधिक क्रेता परेशान हैं।
रजिस्ट्री करने वाले नहीं आ रहे सामने
रतागढ़ के सामने केन्द्रीय विद्यालय के निकट वर्ष 2002 में तत्कालीन समय किरन जैन ने साढ़े चार एकड़ एरिया में प्लाटिंग की है। वहां पर मौजूद प्लाट खरीदारों का कहना है कि वर्ष 2002 में हम लोगों को जमीन की रजिस्ट्री दीपक व विशेष सोनी ने किया है। दोनों मौके पर नहीं आ रहे हैं। जमीन मापने के लिए रजिस्ट्री में गवाह महेन्द्र व राहुल को भेज दिया गया है। उस समय भूमि पर कब्जा नहीं मिला। अब अपनी ही भूमि को लेने के लिए पैसे खर्च करना पड़ रहा है।
नक्शे के तहत नहीं दिया जा रहा प्लाट
नहाल्दा में नाले के बगल प्लाटिंग की भूमि पर नक्शे के हिसाब से प्लाट पर कब्जा नहीं दिया जा रहा है। 20 साल बाद जैसे-जैसे रजिस्ट्री के अनुसार जमीन पर कब्जा दिलाने के लिए गवाह आए। लेकिन, नक्शे के हिसाब से प्लाट नहीं दिया जा रहा है। इसको लेकर प्लाट खरीदारों में असंतोष है।
Published on:
15 Mar 2022 01:08 pm
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